चरखी दादरी: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हटाए गए पीटीआई शिक्षकों ने बुधवार को पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने पूर्व मंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए उन्हें सुरक्षा सेवा देने की मांग की.
नई भर्ती पर रोक लगाने की मांग
इस संबंध में हटाए गए पीटीआई सुनील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते उनकी नौकरी चली गई. अब उनकी भर्ती की उम्र भी नहीं बची है. उन्होंने कहा कि ऐसे में उनके पास आजीविका के लिए कुछ नहीं बचा है. वे पिछले 10 साल से नौकरी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि सतपाल सांगवान से मांग की गई है कि वो उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के माध्यम से पीटीआई की भर्ती पर रोक लगवा दें. ताकि उनकी नौकरी बच सके.
वहीं जिला शारीरिक शिक्षा अध्यापक संघ के जिला उप प्रधान हरेंद्र सिंह ने कहा कि अध्यापक भले ही सुप्रीम कोर्ट में केस हार चुके हों, लेकिन सरकार को इनके 10 साल के अनुभव को देखते हुए सेवा सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जो याचिकाकर्ता उस समय रह गए थे. राज्य सरकार उन्हें भी विभाग में लगा सकती थी. लेकिन सरकार ने ऐसा ना करके इन अध्यापकों के पद पर दोबारा भर्ती के लिए विज्ञापन निकाल दिया है.
उन्होंने सरकार से मांग की कि वो हटाए गए अध्यापकों के बारे में सोचें. जिससे ये भी अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें. उन्होंने कहा कि ज्यादातर पीटीआई अध्यापकों की उम्र 40 से ज्यादा की हो चुकी है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक भी अध्यापक को दोषी नहीं पाया है. केवल भर्ती एजेंसी ही दोषी पाई गई है. एजेंसी के ऊपर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ना कि अध्यापकों पर.
वहीं पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान ने कहा कि वे उनकी मांग को उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के सामने रखेंगे. उन्होंने कहा कि किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. सतपाल सांगवान ने कहा कि जरूरत पड़ने पर वो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से भी मुलाकात करेंगे. ताकि इन पीटीआई शिक्षकों की समस्या का समाधान किया जा सके.
क्या है मामला?
साल 2010 में हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.
इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.
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