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मिसाल बने दादरी के ये किसान, रेतीली जमीन पर भी उगा दी केसर की फसल

हरियाणा का दक्षिण छोर जहां रेतीली भूमि और खारा पानी होने के कारण गन्ने या कपास की खेती भी मुश्किल है. वहां के किसानों ने अपनी आय का दूसरा रास्ता निकाल लिया है. दादरी में किसानों ने इसी रेतीली जमीन पर केसर उगाकर किसानों के लिए मिसाल कायम की है.

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Published : Apr 6, 2019, 11:09 PM IST

केसर की खेती से लाखों कमा रहे हैं किसान

चरखी दादरीः दादरी के द्वारका गांव में रहने वाले किसानों ने अपनी आय बढ़ाने का एक अनोखा तरीका ढूंढ निकाला है. यहां के किसान अब रेतीली जमीन पर केसर की खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं. इसी के साथ यहां के किसानों से प्रेरणा लेकर अन्य किसानों ने भी केसर की पैदावार शुरू की. जिससे उन्हें भी काफी फायदा हो रहा है.

किसान राजमल बने दूसरे किसानों की प्रेरणा

हालांकि अब किसानों के सामने एक ही चुनौती दिख रही है और वो है मार्केटिंग की. आपको बता दें कि हरियाणा में केसर खरीदने के लिए कोई एजेंसी या मंडी नहीं है. जिसके कारण किसानों को अपनी केसर की फसल बेचने में काफी परेशानी हो रही है.

चरखी दादरीः दादरी के द्वारका गांव में रहने वाले किसानों ने अपनी आय बढ़ाने का एक अनोखा तरीका ढूंढ निकाला है. यहां के किसान अब रेतीली जमीन पर केसर की खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं. इसी के साथ यहां के किसानों से प्रेरणा लेकर अन्य किसानों ने भी केसर की पैदावार शुरू की. जिससे उन्हें भी काफी फायदा हो रहा है.

किसान राजमल बने दूसरे किसानों की प्रेरणा

हालांकि अब किसानों के सामने एक ही चुनौती दिख रही है और वो है मार्केटिंग की. आपको बता दें कि हरियाणा में केसर खरीदने के लिए कोई एजेंसी या मंडी नहीं है. जिसके कारण किसानों को अपनी केसर की फसल बेचने में काफी परेशानी हो रही है.


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From: Pardeep Sahu <sahupardeep@gmail.com>
Date: Sat 6 Apr, 2019, 15:38
Subject: रेतीली भूमि और खारा पानी में केसर की खेती उगाकर असंभव को किया संभव : दादरी के गांव द्वारका में किसान ने गार्डन से शुरू की थी केसर की खेती
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रेतीली भूमि और खारा पानी में केसर की खेती उगाकर असंभव को किया संभव
: दादरी के गांव द्वारका में किसान ने गार्डन से शुरू की थी केसर की खेती
: अब गांव के कई किसान कर रहे केसर की खेती
: किसान राजमल ने गांव के किसानों को दिया फ्री में केसर का बीज
: मार्केटिंग के लिए किसान कर रहे एजैंसियों से बात
: केसर की खेती करना दूर की बात, खाकर भी नहीं देखी थी केसर
प्रदीप साहू
चरखी दादरी। हरियाणा के दक्षिण छोर जहां रेतीली भूमि और खारा पानी होने पर गन्ने या कपास की खेती उगाना भी मुश्किल कार्य है। वहीं यहां के किसानों द्वारा केसर की खेती उगाकर असंभव को संभव कर दिखाया है। राजस्थान के साथ सटे चरखी दादरी के गांव द्वारका में किसान ने गार्डन से केसर की खेती शुरू की थी। अब किसान को जहां लाखों रुपए की आमदनी शुरू हो गई है वहीं इस किसान से प्रेरणा लेकर अन्य किसान भी केसर पैदा करके कमाई कर रहेे हैं। हालांकि हरियाणा में केसर खरीदने के लिए कोई एजेंसी या मंडी नहीं है जिसके कारण  किसानों के समक्ष अब मार्केटिंग की दिक्कतें आ रही हैं। किसान केसरी बेचने के लिए एजैंसियों से बात कर रहे हैं। 
चरखी दादरी जिले के गांव द्वारका निवासी किसान राजमल ने गार्डन के रूप में केसर की खेती की शुरूआत करके अपनी एक अलग पहचान बनाने का काम किया। किसान राजमल ने अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ गांव के किसानों को केसर की खेती के लिए प्रेरित किया और उन्हे फ्री में केसर का बीज भी दिया। जिससे किसानों ने अपने खेतों में केसर की खेती की है। दरअसल, किसान राजमल ने ऐसी भूमि पर केसर की खेती उगाई है जहां पर गन्ने या कपास की खेती उगाना एक मुश्किल काम है। किसान राजमल ने कड़ी मेहनत के साथ असंभव कार्य को भी संभव कर दिखाया है। अब एक लाख रुपय प्रति किलो के हिसाब से बिकने वाली केसर किसानों के खेत में लहलहा रही है। अब उन्हें जरूरत है तो बस मार्केटिंग की, जिससे वे अपनी कड़ी मेहनत से उगाई गई केसर की खेती को अच्छे दामों में बेच सके। 
किसान राजमल ने बताया कि उसने गांव नकीपुर में रतन सिंह वर्मा ने दो वर्ष पहले छह कनाल में केसर की खेती की थी। अखबार में खबर पढऩे के बाद वह पांच-छह किसानों के साथ वहां पर गए। वहां पर उनसे सभी जानकरी जुटाई और गार्डन के रूप में खेती शुरू की है। किसान ने बताया कि जब मैंने इसकी शुरूआत की तो घरवालों ने भी मना किया कि यहां पर केसर पैदा नहीं हो सकती। उसके बाद मेहनत और लगन से तैयार किया जिसके बाद घर वालों ने भी साथ दिया। गांव के ओर किसान भी कार्य को देखकर प्रभावित हुए हैं और वे भी केसर की खेती करना चाहते हैं। उसकी प्ररेणा से 15-16 किसानों ने खेती शुरू की है। केसर को बेचने के लिए वे बैंगलोर और गुरूग्राम में एजैंसी सामने आई है। जिसके लिए वे उनसे बात करेंगे। 
वहीं गांव के ही किसान मनोज ने बताया कि उसने गांव के मास्टर राजमल से प्ररेणा ली। मास्टर से उन्होंने बीज ली और आधा कनाल में केसर की खेती लगाई। आधा कनाल में लगाई है और तीन किलो होने की संभावना है। शुरू में लगाई तो घरवालों ने कहा कि हमने केसर की खेती देखी ही नहीं तो यहां कैसे होगी। उसे अंदाजा भी नहीं था कि आधा कनाल में 3 किलोग्राम केसर हो जाएगी। उनके गांव में नमकीन पानी है। नहर का पानी नहीं आता, नहर नजदीक है लेकिन पानी नहीं आता। खारे पानी में खेती करते हैं। शुरू में लोग हंस रहेे थे कि यहां चना नहीं बन सकता, बाजरा नहीं बन सकता तो केसर कैसी बनेगी। उसके बाद भी मास्टर राजमल ने कहा कि लोगों को कहने दो तुम केसर की खेती शुरू कर दो। अब लोग देखने के लिए आ रहे हैं, उनको टाइम नहीं मिला रहा है, उनका चाय पानी भी बनाना पड़ता है।
किसान राजमल की बेटी मुकेश ने बताया कि पहले ये ही नहीं पता था कि केसर होती कैसी है, बस सुना था कि केसर होती है। ये भी नहीं पता था कि यहां होगी भी नहीं। ट्राई किया तो अच्छा रिजल्ट आया तो और भी प्ररेणा मिली। अब आधा एकड़ में और खेती करने का मन है। 

विजअल-1
गांव के नाम के बोर्ड, केसर दिखाते हुए और खेत में केसर के पौधों के कट-शॉट।
विजअल-2
केसर की फसल में पानी देते हुए किसान, केसर को तोड़ते हुए किसान, खेत से बाहर आता किसान के परिवार के कट-शॉट। 
बाइट-2
राजमल, किसान। 
बाइट-3
मनोज, किसान।
बाइट-4
मुकेश, किसान राजमल की बेटी। 

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Pardeep    9802562000
Charkhi Dadri 





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