चरखी दादरी: जिले के गांव मकड़ानी का गरीब किसान परिवार को पहले कर्ज ने डुबोया फिर बेटे की संदिग्ध मौत होने पर कहीं का नहीं छोड़ा. यहां तक कि परिवार के समक्ष कर्ज के कारण जमीन तक कुर्क होने के आदेश जारी हो गए. इसी दौरान किसान बेटे की संदिग्ध मौत मामले में आरोपियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है.
किसान परिवार गांव की चौकी से लेकर दिल्ली में जंतर-मंतर तक न्याय की गुहार लगा चुका है. हालांकि दो वर्ष बाद पुलिस ने महिला सहित आठ के खिलाफ हत्या के लिए मजबूर करने का केस दर्ज किया है. बावजूद इसके पीड़ित किसान सहमत नहीं है और हत्या का केस दर्ज करवाने की मांग की है.
अब हारकर किसान परिवार देश छोड़ने का फैसला लेना चाहता है. उनका कहना है कि जब उन्हें देश में न्याय नहीं मिला तो हम या तो देश छोड़ दें या फिर परिवार सहित आत्महत्या कर लें.
बता दें कि चरखी दादरी के गांव मकड़ानी में 9 मार्च 2018 को एक युवक की संदिग्ध हालातों में मौत हो गई थी. किसान परिवार ने पुलिस के समक्ष बेटे की हत्या कर शव को पेड़ से लटकाने का आरोप लगाया गया था. पुलिस द्वारा इस मामले में आत्महत्या का केस दर्ज कर फाइल बंद कर दी गई. किसान परिवार ने हार नहीं मानी और लगातार पुलिस अधिकारियों सहित प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर लगाए.
कहीं से भी न्याय नहीं मिला तो सीएम विंडों पर दरखास्त लगाई. सीएम विंडों की शिकायतें भी फाइल हो गई तो किसान परिवार ने हार नहीं मानी. पुलिस के उच्चाधिकारियों से लेकर हरियाणा सरकार के मंत्री तक न्याय की गुहार लगाया.
बावजूद इसके न्याय नहीं मिला तो परिवार सात दिन तक दिल्ली के जंतर मंतर पर दिन-रात धरना देने पर भी कोई उनके आंसूओं पर मरहम लगाने नहीं पहुंचा तो हारकर घर बैठ गए और बेटे की मौत को लेकर सरकारी अमले को कोसने पर मजबूर हैं.
गृह मंत्री से मिला किसान, तब हुआ केस दर्ज
हालांकि गृह मंत्री अनिल विज के दरबार पर फरियाद लेकर पहुंचे तो पुलिस ने दबाव में आकर एक महिला सहित आठ के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का केस दर्ज कर लिया.
आरोपियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज नहीं होने पर पीड़ित किसान परिवार ने न्याय की लड़ाई जारी रखने का निर्णय लिया है. साथ ही कहा कि अगर न्याय नहीं मिला तो परिवार सहित देश छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे.
गांव मकड़ानी निवासी राजेश शर्मा ने कई साल पहले अपने भाइयों के साथ खेती के लिए बैंक से कर्ज लिया. खेती में बचत नहीं होने और परिवार का पालन-पोषण मुश्किल से होने पर बैंक का कर्ज तक अदा नहीं कर पाए. दो साल पहले किसान परिवार की जमीन कुर्क करने के बैंक द्वारा आदेश जारी हुए तो परिवार टूट गया. किसी तरह जमीन कुर्क होने से बची तो बेटे की मौत परिवार पर कहर का पहाड़ टूट पड़ा.
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