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पहले बेड के लिए अस्पतालों के काटे चक्कर, अब शव के इंतजार में मोर्चरी के बाहर बैठे परिजन

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Published : Apr 29, 2021, 6:57 PM IST

बिगड़ी हालत में महिला को दादरी के सिविल अस्पताल लाया गया. जहां से उसे बेड नहीं होने पर रोहतक पीजीआई रेफर किया गया. परिजन किसी तरह उसे रोहतक पीजीआई लेकर पहुंचे तो वहां भी बेड नहीं होने पर दोबारा से उसे दादरी लौटा दिया गया.

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पहले बेड के लिए अस्पतालों के काटे चक्कर, अब शव के इंतजार में मोर्चरी के बाहर बैठे परिजन

चरखी दादरी: कोरोना पॉजिटिव महिला की जान बचाने के लिए परिजनों ने रातभर सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक के चक्कर काटे. बावजूद इसके बेड और इलाज नहीं मिलने की वजह से आखिरकार महिला ने दम तोड़ दिया. मृतका के परिजनों ने सिस्टम को लेकर सवाल उठाते हुए कई आरोप भी लगाए. वहीं स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस संबंध में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया गया.

बता दें कि झज्जर जिले की रहने वाली एक महिला कोरोना पॉजिटिव मिली थी. उसकी हालत बिगड़ने पर महिला के परिजन झज्जर, दादरी और रोहतक जिलों के निजी और सरकार अस्पतालों के चक्कर काटते रहे, लेकिन महिला को ना तो कोई बेड मिला और ना ही इलाज.

पहले बेड के लिए अस्पतालों के काटे चक्कर, अब शव के इंतजार में मोर्चरी के बाहर बैठे परिजन

बिगड़ी हालत में महिला को दादरी के सिविल अस्पताल लाया गया. जहां से उसे बेड नहीं होने पर रोहतक पीजीआई रेफर किया गया. परिजन किसी तरह उसे रोहतक पीजीआई लेकर पहुंचे तो वहां भी बेड नहीं होने पर दोबारा से उसे दादरी लौटा दिया गया.

ये भी पढ़िए: हरियाणाः अस्पताल ने बैनर लगाकर लिखा माफ करें, कोई बेड खाली नहीं है

परिजन रातभर महिला को निजी अस्पतालों में लेकर घूमते रहे, लेकिन कहीं कोई मदद नहीं मिल पाई. देर रात उसे दादरी के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां कुछ देर बाद ही महिला ने दम तोड़ दिया. मृतका के परिजन सुरेंद्र सिंह ने बताया कि साहब, सिस्टम ही खराब है. अगर समय पर सुविधा मिल जाती तो शायद दान बच सकती थी. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि उन्हें शव भी नहीं दिया जा रहा है. वो सुबह से शवगृह के बाहर हैं कभी पुलिस उन्हें भगा रही है तो कभी अस्पताल वाले.

चरखी दादरी: कोरोना पॉजिटिव महिला की जान बचाने के लिए परिजनों ने रातभर सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक के चक्कर काटे. बावजूद इसके बेड और इलाज नहीं मिलने की वजह से आखिरकार महिला ने दम तोड़ दिया. मृतका के परिजनों ने सिस्टम को लेकर सवाल उठाते हुए कई आरोप भी लगाए. वहीं स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस संबंध में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया गया.

बता दें कि झज्जर जिले की रहने वाली एक महिला कोरोना पॉजिटिव मिली थी. उसकी हालत बिगड़ने पर महिला के परिजन झज्जर, दादरी और रोहतक जिलों के निजी और सरकार अस्पतालों के चक्कर काटते रहे, लेकिन महिला को ना तो कोई बेड मिला और ना ही इलाज.

पहले बेड के लिए अस्पतालों के काटे चक्कर, अब शव के इंतजार में मोर्चरी के बाहर बैठे परिजन

बिगड़ी हालत में महिला को दादरी के सिविल अस्पताल लाया गया. जहां से उसे बेड नहीं होने पर रोहतक पीजीआई रेफर किया गया. परिजन किसी तरह उसे रोहतक पीजीआई लेकर पहुंचे तो वहां भी बेड नहीं होने पर दोबारा से उसे दादरी लौटा दिया गया.

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परिजन रातभर महिला को निजी अस्पतालों में लेकर घूमते रहे, लेकिन कहीं कोई मदद नहीं मिल पाई. देर रात उसे दादरी के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां कुछ देर बाद ही महिला ने दम तोड़ दिया. मृतका के परिजन सुरेंद्र सिंह ने बताया कि साहब, सिस्टम ही खराब है. अगर समय पर सुविधा मिल जाती तो शायद दान बच सकती थी. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि उन्हें शव भी नहीं दिया जा रहा है. वो सुबह से शवगृह के बाहर हैं कभी पुलिस उन्हें भगा रही है तो कभी अस्पताल वाले.

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