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चरखी दादरी में सरकारी कॉलेज बनाए जाने की उठी मांग, शिक्षाविदों ने की बैठक - dadri govt college

चरखी दादरी शहर में एक भी सरकारी कॉलेज नहीं है. एक निजी कॉलेज है जो सन 1963 में बनाया गया था. वहीं अब शहर के युवाओं को अन्य जिलों व राज्यों में जाकर अपनी शिक्षा पूरी करनी पड़ती है.

charkhi dadri people demand to build a government college
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Published : Sep 7, 2020, 4:08 PM IST

चरखी दादरी: छात्रों को जिला मुख्यालय पर सरकारी कॉलेज की सुविधा दिलाने के लिए करीब 35 ग्राम पंचायतें, शिक्षाविद, व्यापारी, नगर पार्षद और सामाजिक संस्थाओं ने एक सुर में सरकार से मांग उठाने का फैसला लिया है. करीब 60 साल पहले जिले में निजी संस्था ने जनता कॉलेज बनवाया था, जो बाद में एडेड हो गया था. बावजूद इसके सरकारी कॉलेजों को मिलने वाली सुविधा शहर में नहीं है.

1963 में बना था पहला कॉलेज

अब शिक्षाविदें के साथ-साथ सामाजिक संगठनों ने मीटिंग कर जिला मुख्यालय पर सरकार कॉलेज खोलने की मांग उठाई है. बता दें कि 1963 में पहला कॉलेज बना था. जिस समय जिले की आबादी करीब 1 लाख होती थी जो बढ़कर अब करीबन 6 लाख हो चुकी है.

चरखी दादरी में सरकारी कॉलेज बनाए जाने की उठी मांग, शिक्षाविदों ने की बैठक

जिले में उच्च शिक्षा लेने वाले विद्यार्थियों को फैकल्टी और सीटों सहित मनपसंद सब्जेक्ट नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में जिले से हजारों विद्यार्थी रोहतक, भिवानी, हिसार, कुरुक्षेत्र, चंडीगढ़ और दिल्ली में अपनी पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन से पहले तक थे प्लांट हेड, अब गली-गली जाकर बेच रहे सब्जी

मीटिंग में कई गांवों के सरपंचों ने कहा कि अगर सरकारी कॉलेज बनता है तो वो अपने गांव की सरकारी जमीन देने को तैयार हैं. मीटिंग में ज्यादातर गणमान्य लोगों ने सिर्फ शहर में ही संस्था या सरकारी जमीन पर कॉलेज बनाने पर इच्छा जाहिर की, ताकि बच्चों को सभी सुविधाएं एक ही जगह पर मिल सके.

इस दौरान अधिवक्ता संजीव तक्षक और विरेंद्र डूडी ने कहा कि शहर में दो निजी संस्था के कॉलेज होने कारण इनकी फीस भी सरकारी कॉलेज से ज्यादा है. जिले के विद्यार्थियों को ज्यादा फीस देने पर भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. ऐसे में सरकार को शहर में सरकारी कॉलेज बनाना चाहिए.

चरखी दादरी: छात्रों को जिला मुख्यालय पर सरकारी कॉलेज की सुविधा दिलाने के लिए करीब 35 ग्राम पंचायतें, शिक्षाविद, व्यापारी, नगर पार्षद और सामाजिक संस्थाओं ने एक सुर में सरकार से मांग उठाने का फैसला लिया है. करीब 60 साल पहले जिले में निजी संस्था ने जनता कॉलेज बनवाया था, जो बाद में एडेड हो गया था. बावजूद इसके सरकारी कॉलेजों को मिलने वाली सुविधा शहर में नहीं है.

1963 में बना था पहला कॉलेज

अब शिक्षाविदें के साथ-साथ सामाजिक संगठनों ने मीटिंग कर जिला मुख्यालय पर सरकार कॉलेज खोलने की मांग उठाई है. बता दें कि 1963 में पहला कॉलेज बना था. जिस समय जिले की आबादी करीब 1 लाख होती थी जो बढ़कर अब करीबन 6 लाख हो चुकी है.

चरखी दादरी में सरकारी कॉलेज बनाए जाने की उठी मांग, शिक्षाविदों ने की बैठक

जिले में उच्च शिक्षा लेने वाले विद्यार्थियों को फैकल्टी और सीटों सहित मनपसंद सब्जेक्ट नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में जिले से हजारों विद्यार्थी रोहतक, भिवानी, हिसार, कुरुक्षेत्र, चंडीगढ़ और दिल्ली में अपनी पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

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मीटिंग में कई गांवों के सरपंचों ने कहा कि अगर सरकारी कॉलेज बनता है तो वो अपने गांव की सरकारी जमीन देने को तैयार हैं. मीटिंग में ज्यादातर गणमान्य लोगों ने सिर्फ शहर में ही संस्था या सरकारी जमीन पर कॉलेज बनाने पर इच्छा जाहिर की, ताकि बच्चों को सभी सुविधाएं एक ही जगह पर मिल सके.

इस दौरान अधिवक्ता संजीव तक्षक और विरेंद्र डूडी ने कहा कि शहर में दो निजी संस्था के कॉलेज होने कारण इनकी फीस भी सरकारी कॉलेज से ज्यादा है. जिले के विद्यार्थियों को ज्यादा फीस देने पर भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. ऐसे में सरकार को शहर में सरकारी कॉलेज बनाना चाहिए.

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