चरखी दादरी: भले ही सरकार ने किसान से गेहूं के दाने-दाने की खरीद के दावे किए हों, लेकिन गेहूं को सुरक्षित भंडारण तक पहुंचाने से पहले ही अन्न का अनादर चरखी दादरी में देखने को मिल रहा है. मंडियों में चारों तरफ सड़क पर ही गेहूं और सरसों बिखरा पड़ा है और इस पर दिनभर किसानों के वाहन गुजर रहे हैं. पिछले दिनों हुई बारिश व उठान नहीं होने के कारण गेहूं की गुणवत्ता में खासी कमी आई है. हालात ऐसे बन गए हैं कि गेहूं के लोथड़े बन गए हैं.
मौसम और सिस्टम से परेशान किसानों और आढ़तियों ने उठान कंपनी के अलावा मंडी अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाये हैं. सरकार चाहे जो भी दावे करें, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. खरीद एजेंसियां और अधिकारियों की लापरवाही के चलते दादरी की मंडी में अन्न बर्बाद हो रहा है. मंडियों में हजारों टन गेहूं खुले में पड़ा है. तो कहीं जगह नहीं होने के कारण किसान फसल को सड़कों पर डालने को मजबूर हैं.
चरखी दादरी मंडी में चारों तरफ अनाज के ढेर लगे हैं. ऐसे में खरीद प्रक्रिया पर भी खासा असर पड़ रहा है. मंडियों में अनाज डालने के लिए किसानों के साथ आढ़तियों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रामकुमार रिटोलिया और आढती चरण सिंह ने मंडी अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी लचर प्रणाली व उदासीन रवैये के चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है.
आढ़तियों ने कहा कि समय पर उठान नहीं होने से बारिश से गेहूं को नुकसान हुआ है. उठान एजेंसी द्वारा सिर्फ औपचारिकता की जा रही है. अगर ऐसा ही रहा तो बारिश होने पर काफी नुकसान हो सकता है. खरीद एजेंसियों को दिए निर्देश पर कोई अमल नहीं हो रहा है. मार्केट कमेटी सचिव परमजीत नांदल अपने कार्यालय में मौजूद नहीं थे. फोन पर उन्होंने बताया कि लिफ्टिंग की ढीली प्रक्रिया को देखते हुए खरीद एजेंसियों से मीटिंग की गई है और उठान के बारे में निर्देश दे दिये गये हैं. जल्द ही इसका स्थाई समाधान हो जाएगा.
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