चरखी दादरी: दंगल गर्ल बबीता फोगाट और विवेक सुहाग पवित्र बंधन में बंध गए हैं. दोनों ने अग्नि को साक्षी मानकर आठ फेरे लिए. आमतौर पर हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक अग्नि के 7 फेरे लेकर शादी की रस्म पूरी की जाती है, लेकिन बबीता और विवेक ने मिसाल पेश करते हुए अग्नि के आठ फेरे लिए.
बबीता और विवेक ने लिए 8 फेरे
ये आठवां फेरा बेटियों को किसी से कम नहीं समझने के लिए था. ये फेरा ये बात याद दिलाने के लिए था कि बेटियां बेटों से कम नहीं होती है. इस आठवें फेरे के साथ बबीता और विवेक ने लोगों को ये बताने की कोशिश की कि बेटियां हर क्षेत्र में परचम गाड़ सकती है. बस उन्हें एक मौके की जरूर होती है.
गीता भी ले चुकीं हैं अग्नि के 8 फेरे
बबीता फोगाट ने बताया कि उन्होंने आठवां फेरा अपने पिता माहवीर फोगाट की इच्छा पर लिया है. उनके पिता ये चाहते थे की आठवें फेरे के जरिए लोगों को लड़कियों के प्रति जागरुक किया जाए. बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब फोगाट फैमली में आठ फेरे लिए गए हो, इससे पहले भी पहलवान माहवीर फोगाट की बड़ी बेटी गीता फोगाट की शादी के वक्त भी आठ फेरे लिए गए थे.
21 लोगों की बारात लेकर दुल्हन लेने आए विवेक
विवेक सुहाग भी सिर्फ 21 लोगों की बारात लेकर बबीता को लेने पहुंचे. खास बात ये रही की बबीता और विवेक ने 7 की जगह 8 फेरे लिए. ये आठवां फेरा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सहित दहेज कुप्रथा के खिलाफ था. बता दें कि इससे पहले बबीता की बड़ी बहन गीता फोगाट ने भी पवन के साथ 8 फेरे ही लिए थे.
हरियाणवी रीति-रिवाज से शादी
वैसे तो पूरी शादी में हरियाणवी रीति-रिवाज देखने को मिले. फिर चाहे वो बान की रस्म हुआ या फिर मेंहदी. इसके अलावा खास बात ये रही की शादी में रंग बिरंगी लाइटें तो लगाई गई, लेकिन न डीजे लगाया गया और ना ही बाजा बजा.
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शादी में परोसा गया देसी खाना
शादी में आए मेहमानों को हरियाणवी खाना परोसा गया. शादी के मेन्यू में बाजरे की रोटी, चूरमा, केसर की खीर और कचरी की स्पेशल चटनी तैयार की गई थी. इसके अलावा मिस्सी रोटी, सरसों और हरे चने का साग, मक्खन, लस्सी, छाछ, गाजर का हलवा, खीर, जूस, रायता, सलाद और गुड़ शामिल था.
पौधा रोपण कर दिया स्वच्छ पर्यावरण का दिया संदेश
सभी रस्में पूरी करने के बाद बबीता और विवेक ने मिलकर पौधा रोपण भी किया. नवविवाहित जोड़े ने अपने पिता महावीर पहलवान के अखाड़े के नजदीक ही पौधा लगाया और उसमें पानी डाला. बबीता ने कहा कि अखाड़े में पहलवान बनने के लिए स्वच्छ वातारवण भी चाहिए होता है, इसलिए अखाड़े के पास पेड़ होंगे तो वातावरण और भी अच्छा रहेगा.