यमुनानगर : ज़हरीली शराब पीने से मौतों के बाद प्रशासन की टीम फौरन हरकत में आई और गांव पहुंचकर सैंपल लिए गए. लेकिन खास बात ये रही कि श्मशान ये टीम पहुंचती है और अंतिम संस्कार के बाद बची राख से भी सैंपल लिए जाते हैं ताकि पता चल सके कि क्या मौतें ज़हरीली शराब पीने से हुई थी. अब ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या राख से भी इस बात का पता लग सकता है कि क्या शराब पीने से मौत हुई.
क्या कहते हैं फॉरेंसिक एक्सपर्ट ? : इन तमाम सवालों को लेकर ईटीवी भारत की टीम पहुंची पीयू के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में. हमने पीयू के फॉरेंसिक विभाग के प्रोफेसर डॉ. जगदीश से इस पूरे मामले पर बातचीत की. वे कहते हैं कि जब अंतिम संस्कार हो जाता है तो बहुत सारे तथ्य खत्म हो जाते हैं. जहां तक यमुनानगर में जहरीली शराब पीने से मौत का मामला है, तो मौत से पहले मृतक ने उल्टियां की होंगी, जिससे आसानी से पता चल सकता है कि मौत कैसे हुई ? अगर मृतक को पहले अस्पताल में भर्ती किया गया होगा तो डॉक्टर ने सिमटम्स ऑब्जर्व किए होंगे, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे मौत हुई होगी. जिन लोगों को जलाया नहीं गया है, उनके पोस्टमार्टम से पता चल सकता है कि ज़हरीली शराब से मौत हुई है या नहीं. वे कहते हैं कि ज़हरीली शराब में मेथनॉल होता है. जब शरीर में ये ज्यादा मात्रा में चला जाता है तो बॉडी के सेल्स को मारना शुरू कर देता है. लेकिन इसका पता मृतक के शरीर से लगाया जा सकता है. जलने के बाद उसका लॉजिकल कंपैरिज़न करना संभव नहीं है. हालांकि अगर हड्डियां बची हो तो मौत की बाकी वजहों का पता लगाया जा सकता है. इस मामले में ज़हरीली शराब का राख से जांच करना संभव नहीं हो पाएगा. जब उनसे सवाल पूछा गया कि जला देने के बाद राख और हड्डियों से कितनी जानकारी मिल सकती है. इस पर वे कहते हैं कि ये अलग-अलग टॉक्सिन पर निर्भर करता है. अगर हैवी मेटल टाइप के टॉक्सिन है तो कुछ पता चल जायेगा. किसी को जला देने के बाद बहुत सारी चीजें नष्ट हो जाती है. हालांकि अगर हड्डियों के टुकड़े हो तो उससे शरीर में आई चोटों के बारे में पता चल जाता है.
ये भी पढ़ें : यमुनानगर में ज़हरीली शराब पीकर मरने वालों का आंकड़ा बढ़ा, अब तक 14 लोगों की हुई मौत