चंडीगढ़: 17 मार्च को वर्ल्ड स्लीप डे के तौर पर मनाया जाता है. ऐसे में विश्व में लोगों को नींद से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. अक्सर दिन के समय काम करते करते लोग गहरी नींद में चले जाते हैं और कुछ को रात के समय खर्राटे की आदत होती है. ऐसे में यह सब लक्षण ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया नामक बीमारी भी हो सकती है.
बॉलीवुड के मशहूर डिस्को गायक बप्पी लाहिड़ी की अचानक निधन होने से लोगों को हैरात थी कि वे एक स्वास्थ्य जीवन गुजारते थे. अचानक सोते सोते कैसे मौत आ सकती है. डॉक्टर की मानें तो बप्पी लाहिड़ी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से पीड़ित थे. ऑक्टिव स्लीप एपनिया दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में इस बीमारी के बारे आम लोगों को छोड़िए सभी स्वास्थ्य संस्थान में भी कम ही ज्ञान है. ऐसे में लोगों को जागरूक करना जरूरी है. क्योंकि नींद से जुड़ी समस्याओं पर भारत में कम ही रिसर्च की जाती है. हैरानी के बात तो यह भी है उत्तर भारत में सरकारी डॉक्टर के तौर पर सिर्फ पीजीआई में ही एक ही डॉक्टर है जिन्हें इस संबंध में जानकारी है.
क्या है ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया?: जब हम कहते हैं कि किसी व्यक्ति को रात में सोने में कठिनाई हो रही है, तो यह दो कारणों से हो सकता है, या तो व्यक्ति सो नहीं पाता है या व्यक्ति रात में सो जाता है. लेकिन, सांस फूलने के कारण कई बार जग जाता है. दरअसल पहला अनिद्रा का मामला है, जिसमें आप एक मनोचिकित्सक के पास जाएंगे. जबकि, दूसरा ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का मामला है. ओएसए व्यस्कों के साथ-साथ बच्चों में सभी प्रमुख हृदय रोगों और अन्य रुग्णाताओं की जननी है. हाल के अध्ययनों ने ओएसए के प्रसार को पुरुषों में 22% (937) और महिलाओं में 17% (रेज, 5-50%) के औसत देखा गया है. इस बीमारी के बारे में कम लोगों को ही जानकारी है.
ईएनटी विभाग पीजीआईएमईआर के प्रभारी प्रो. संदीप बंसल ने बताया कि वे हर महीने ओएसए के लगभग 30 नए रोगी देखते हैं और एक महीने में लगभग 120 और 130 के करीब मरीज नींद से जुड़ी गंभीर बीमारी की समस्या के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं. 15-20 दिन करते हैं. यहां तक कि कभी विभाग में लगभग 10 अध्ययन किए जा रहे थे. उन्होंने बताया कि स्लीप एपनिया के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मोटापा मुख्य कारणों में से एक है.
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के कारण: ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया आमतौर पर सांस लेने के प्रयासों के बावजूद नींद के दौरान सांस लेने के बार बार संकुचित होने के कारण होता है. नींद के दौरान व्यक्ति अनजाने में बार-बार सांस लेना बंद कर देते हैं. एक बार जब सांस लेने का संकेत प्राप्त हो जाता है, तो व्यक्ति खरटि ले सकता है, गहरी सांस ले सकता है, या हांफने, दम घुटने से घुटने के साथ पूरी तरह से जाग सकता है.
स्लीप एपनिया हृदय रोग, बीपी, शुगर जैसी संभावित गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. इस दौरान व्यक्ति नींद से भरा हुआ महसूस कर सकता है, ड्राइविंग या काम करते समय नींद आ जती है ये जानलेवा भी हो सकता है और इससे काम पर भी असर पड़ता है. इसलिए समस्या की शीघ्र पहचान और इसका इलाज करना अत्यंत महत्वपूर्ण है.
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लक्षण: स्लीप एपनिया लगभग 5 में से 1 व्यक्ति में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) के हल्के लक्षण होते हैं, जबकि 15 में से 1 में मध्यम से गंभीर लक्षण होते हैं. बता दें कि दुनिया में लगभग 1 अरब लोगों को इससे ग्रसित हैं, लेकिन केवल 20 प्रतिशत का निदान और उपचार किया गया है.
डॉ. बंसल ने बताया कि ओएसए 16 से 36 की उम्र तक लोगों में पाया जाता है तो उसका समय रहते इलाज संभव है, लेकिन अगर उम्र अधिक हो तो उसे ठीक कर पाना मुश्किल है. जिन लोगों को मोटापे की शिकायत है उनमें ओएसए के होने 20-50% चांस होते हैं. टॉन्सिल और एडेनोइड्स का बढ़ना बच्चों में ओएसए का सबसे आम कारण है और 85% बच्चों को उनके ओएसए से एडिनोटोसिलेक्टोमी द्वारा ठीक किया जा सकता है.
बच्चों में नींद के दौरान स्लीप एपनिया के लक्षण: खरटे लेना, सांस लेने में रुक जाना, बेचैन नींद, खांसना या दम घुटना, मुंह से सांस लेना, बिस्तर गीला करना नींद का भय. शिशुओं और छोटे बच्चों को नींद दिन के दौरान, स्लीप एपनिया वाले बच्चे हो सकते हैं. इसके बाच्चों ता स्कूल में खराब प्रदर्शन हो सकता है, किसी काम में सहीं से ध्यान लगा पाना कठिन हो जाता है, सीखने में समस्या होना, व्यवहार संबंधी समस्याएं होना और वजन कम होना इसके लक्षण हैं.
बड़ों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लक्षण: दिन में बहुत नींद आना, जोर से खरटि, नींद के दौरान रुकी हुई सांस के देखे गए एपिसोड, हांफने या घुटने के साथ अचानक जागना, शुष्क मुंह या गले में खराश के साथ जागना, सुबह का सिरदर्द, दिन के दौरान ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, मनोदशा में बदलाव का अनुभव करना जैसे कि अवसाद या चिड़चिड़ापन, उच्च रक्तचाप, रात के समय पसीना आना, कामेच्छा में कमी आदि मुख्य लक्षण हैं.
पीजीआईएमईआर के ईएनटी विभाग में एक महीने में लगभग 15-20 नींद का अध्ययन और स्थिति की गंभीरता कसे जाना जाता है. मरीज को स्लीप लैब मरीज की नींद को नापा जाता है. ऐसे में मरीज के एक मरीज को एक कमरे में सुलाया जाता है. वह जब तक सोना चाहता है उसे सोने दिया जाता है. इस दौरान कैमरों और उपकरणों की मदद से उनकी नींद को और सोने के दौरान हुई हरकतों को स्लीप लैब में मापा जाता है. 5 से कम का AHI सामान्य है. यदि किसी व्यक्ति का AHI5-15 के बीच आता है, तो इसे हल्का 16-30 को मध्य और 30 से अधिक को गंभीर माना जाता है. 15 AHI से अधिक कुछ भी, यह जीवन के लिए खतरा हो सकता है और उपचार की सलाह दी जाती है.
प्रो. बंसल ने कहा कि सावधानी से चुने गए रोगियों में को इलाज के तौर में अपने रोजाना की जीवनशैली में बदलाव करने होंगे, जिससे इस संबंधी बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है. रोजाना योग, कसरत, सैर, स्वास्थ्य खाना पाना. ऐसे में अगर इतनी सावधानियां करने के बाद भी समस्या में कोई सुधार नहीं है तो सीपीएपी मशीन का उपयोग करना पड़ सकता है या रोगी को सर्जरी के लिए ले जाना है तो यह एक उपयोगी सहायक है.
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