चंडीगढ़: हर साल 4 मार्च को वर्ल्ड ओबेसिटी डे यानी विश्व मोटापा दिवस मनाया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि चंडीगढ़ की आधी आबादी इस बीमारी से ग्रस्त है. ये बीमारी लीवर से जुड़ी होती है. विशेषज्ञों की माने तो इसकी बड़ी वजह आलस और मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल बढ़ गया है. जिससे शरीर में फैट की मात्रा ज्यादा हो रही है. इसके अलावा खराब लाइफस्टाइल, एक्सरसाइज ना करना, बहुत ज्यादा जंक और फास्ट फूड का सेवन करना, लंबे वक्त तक एक ही जगह पर बैठे रहना भी इस बीमारी को बढ़ाता है. इस मोटापे की वजह से कई गंभीर बीमारियों की शुरुआत है.
इससे डायबिटीज, हाई बीपी, हृदय रोगों, कैंसर और स्ट्रोक जैसी बीमारियों की संभावना हो सकती है. इस बीमारी को लेकर चंडीगढ़ पीजीआई डिपार्टमेंट ऑफ हेपेटोलॉजी के प्रोफेसर डॉक्टर अजय दुसेजा ने ईटीवी से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि ओबेसिटी की बीमारी को बॉडी मास इंडेक्स के पैमाने पर नापा जाता है. जहां बॉडी और आपके हाइट के मुताबिक वजन को रखने की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती है. जिसमें ये देखा जाता है कि एक व्यक्ति की कितनी लंबाई है और उसके हिसाब से उसका वजन कितना होना चाहिए. इसके आधार पर व्यक्ति के बीएमआई को कैलकुलेट किया जाता है.
क्या है ओेबेसिटी: जिस व्यक्ति का वजन उसकी लंबाई के मुताबिक अधिक होता है, उनमें ओबेसिटी की बीमारी अधिक होती है. भारत की बात करें तो यहां का अधिकतम शारीरिक आकार के तहत ना ज्यादा लंबे और ना ज्यादा छोटे लोग पाए जाते हैं. ऐसे में एक व्यक्ति की 23 बीएमआई तक रिपोर्ट अगर होती है, तो उसे हम स्वस्थ्य व्यक्ति माना जाता है. जिस व्यक्ति का बीएमआई 25 तक चला जाता है. उसे हम ओबेसिटी की बीमारी से ग्रसित मरीज कहते हैं. डॉक्टर अजय देसूजा ने बताया कि ओबेसिटी बीमारी का कारण लोगों के खानपान में बैलेंस ना होना है.
चंडीगढ़ पीजीआई में हुआ शोध: डॉक्टर ने बताया कि लोगों को नहीं पता कि वो दिन में कितनी कैलोरी ले रहे हैं और कितनी कैलोरी बर्न कर रहे हैं. हमें ये समझने की जरूरत है कि ओबेसिटी एक बीमारी है और ये बाकी बीमारियों के लिए भी एक जड़ है. चंडीगढ़ में दो महीने पहले पीजीआई के डॉक्टरों ने हेल्थी डोनर द्वारा ब्लड बैंक में एक टेस्ट लिया था. जहां पर हम जानना चाहते थे कि लोगों का लीवर कैसा है, क्योंकि मैं एक लीवर का डॉक्टर हूं, तो मैंने अपनी टीम के साथ मिलकर 1000 से अधिक लोगों के लीवर को जांच की, 500 से अधिक लोगों के लिवर में फैट जमा था और उन्हें ओबेसिटी से संबंधित बीमारी की शिकायत थी.
वहीं पीजीआई द्वारा कराए गए सर्वे में पाया गया कि 80 से 85% लोगों का वजन उनके शरीर के मुताबिक अधिक है. वहीं इनमें से 70% से अधिक लोगों में ओबेसिटी से संबंधित शिकायतें हैं. 15 से 20% लोगों में ओवर वेट पाया गया है. सिर्फ 10 से 12% लोगों ऐसे हैं. जिनमें फैटी लीवर तो हैं, लेकिन उनका उनका वजन सामान्य है. डॉक्टर अजय देसूजा ने बताया कि वजन घटाना किसी के लिए भी आसान नहीं है. ये एक दिन में नहीं किया जा सकता. एक बड़े परिवार में रहते हुए किसी को अगर पतला होना है, तो उसे समस्या का सामना करना पड़ेगा.
इन बातों का रखें ध्यान: ऐसे में खाने की तरफ ध्यान रखते हुए कसरत को भी अपने रोजाना के जीवन में लाना चाहिए. अगर कसरत नहीं की जाएगी, तो वजन को कम कर पाना मुश्किल होगा. इसके अलावा खाने की चीजों में भी कुछ बदलाव करना होगा. जिसमें आप तरल पदार्थ को अधिक सेवन करते हुए अपने वजन को स्थिर रख सकते हैं. वहीं कुछ केसों में देखा गया है कि खाने की आदत और कसरत करने के बावजूद भी वजन में कमी नहीं आ रही. ऐसे लोगों के लिए कुछ दवाईयां हैं. डॉक्टर के परामर्श के बाद इन दवाइयों के इस्तेमाल से वो वजन कम कर सकते हैं.