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20 नवंबर को मनाया जाएगा वर्ल्ड सीओपीडी-डे, फेफड़े की घातक बीमारी है सीओपीडी - haryana news

20 नवंबर को पूरे विश्व में क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसीज डे यानी वर्ल्ड सीओपीडी डे मनाया जाएगा. सीओपीडी एक फेफड़े से संबंधित घातक बीमारी है. एक सर्वे के अनुसार दुनिया भर में इस समय 25 करोड लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं.

world COPD day celebrate on 20 november in chandigarh
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Published : Nov 19, 2019, 7:08 PM IST

चंडीगढ़: 20 नवंबर को पूरे विश्व में क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसीज डे यानी वर्ल्ड सीओपीडी डे मनाया जाएगा. सीओपीडी एक फेफड़े की बीमारी है.इस दिवस का उद्देश्य लोगों को फेफड़ों और सांस संबंधी बीमारियों के प्रति जागरूक करना है. क्योंकि इस बीमारी से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है.

पूरे विश्व में 25 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं

एक सर्वे के अनुसार दुनिया भर में इस समय 25 करोड लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. जबकि हर साल करीब 30 लाख लोगों की मौत इस बीमारी की वजह होती है. इस बीमारी के कारण भारत में ही लगभग 10 लाख लोगों की मौत हो जाती है.

हरियाणा में वर्ल्ड सीओपीडी डे, देखें वीडियो

जहरीली हवा इस बीमारी का प्रमुख कारण

ये बीमारी दिल और कैंसर की बीमारी की तरह ही घातक है. इसका सबसे बड़ा कारण सांसों के साथ फेफड़ों में जाने वाला धुआं है. चाहे वह वायु प्रदूषण हो या धूम्रपान यह बीमारी धूम्रपान करने वाले लोगों को आम तौर पर अपनी चपेट में ले लेती है. इसके अलावा जो महिलाएं चूल्हे पर खाना बनाती हैं उन्हें भी इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं. वहीं शहरों में रहने वाले लोगों को वायु प्रदूषण की वजह से यह बीमारी हो जाती है.

ये भी जाने- फतेहाबाद में पराली से भरी ट्राली में लगी आग, लाखों का हुआ नुकसान

इस बीमारी में मरीज को सांस लेने में होती है परेशानी

एक अन्य सर्वे के अनुसार 35 साल की उम्र से ज्यादा लोगों में यह बीमारी काफी पाई जा रही है. इस बीमारी में फेफड़े में सांस की नली सिकुड़ जाती है. जिसके कारण मानव ठीक से सांस नहीं ले पाता. इस बीमारी का समय पर इलाज करवाना जरुरी होता है. फेफड़े की सांस की नली सिकुड़ने की वजह से हमारा शरीर ऑक्सीजन ग्रहण नहीं कर पाता. जिस वजह से दिल की धड़कन भी बंद हो सकती है.

प्रदूषण के कारण मरीजों की संख्या में हुआ है इजाफा

डॉ. आशीष ने बताया कि आजकल सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने और पराली जलने की वजह से भी हवा में प्रदूषण की मात्रा ज्यादा दर्ज की जा रही है और इन दिनों में इस बीमारी से संबंधित मरीजों की संख्या 20 से 30% तक बढ़ गई है. इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही मरीज को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

चंडीगढ़: 20 नवंबर को पूरे विश्व में क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसीज डे यानी वर्ल्ड सीओपीडी डे मनाया जाएगा. सीओपीडी एक फेफड़े की बीमारी है.इस दिवस का उद्देश्य लोगों को फेफड़ों और सांस संबंधी बीमारियों के प्रति जागरूक करना है. क्योंकि इस बीमारी से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है.

पूरे विश्व में 25 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं

एक सर्वे के अनुसार दुनिया भर में इस समय 25 करोड लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. जबकि हर साल करीब 30 लाख लोगों की मौत इस बीमारी की वजह होती है. इस बीमारी के कारण भारत में ही लगभग 10 लाख लोगों की मौत हो जाती है.

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जहरीली हवा इस बीमारी का प्रमुख कारण

ये बीमारी दिल और कैंसर की बीमारी की तरह ही घातक है. इसका सबसे बड़ा कारण सांसों के साथ फेफड़ों में जाने वाला धुआं है. चाहे वह वायु प्रदूषण हो या धूम्रपान यह बीमारी धूम्रपान करने वाले लोगों को आम तौर पर अपनी चपेट में ले लेती है. इसके अलावा जो महिलाएं चूल्हे पर खाना बनाती हैं उन्हें भी इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं. वहीं शहरों में रहने वाले लोगों को वायु प्रदूषण की वजह से यह बीमारी हो जाती है.

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इस बीमारी में मरीज को सांस लेने में होती है परेशानी

एक अन्य सर्वे के अनुसार 35 साल की उम्र से ज्यादा लोगों में यह बीमारी काफी पाई जा रही है. इस बीमारी में फेफड़े में सांस की नली सिकुड़ जाती है. जिसके कारण मानव ठीक से सांस नहीं ले पाता. इस बीमारी का समय पर इलाज करवाना जरुरी होता है. फेफड़े की सांस की नली सिकुड़ने की वजह से हमारा शरीर ऑक्सीजन ग्रहण नहीं कर पाता. जिस वजह से दिल की धड़कन भी बंद हो सकती है.

प्रदूषण के कारण मरीजों की संख्या में हुआ है इजाफा

डॉ. आशीष ने बताया कि आजकल सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने और पराली जलने की वजह से भी हवा में प्रदूषण की मात्रा ज्यादा दर्ज की जा रही है और इन दिनों में इस बीमारी से संबंधित मरीजों की संख्या 20 से 30% तक बढ़ गई है. इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही मरीज को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

Intro:20 नवंबर को दुनिया भर में क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसीज डे यानी वर्ल्ड सीओपीडी डे मनाया जाता है। जिसका मकसद है लोगों को फेफड़ों और सांस संबंधी बीमारियों के प्रति जागरूक करना । क्योंकि इस बीमारी से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है।


Body:एक सर्वे के अनुसार दुनिया भर में इस समय 25 करोड लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं । जबकि हर साल करीब 30 लाख लोगों की मौत इस बीमारी की वजह से हो जाती है। सिर्फ भारत में ही करीब 10 लाख लोग इस बीमारी की वजह से जान गंवा बैठते हैं। आंकड़ों को देखा जाए तो यह बीमारी दिल और कैंसर की बीमारी के समान ही घातक है।
इस बारे में बात करते हुए डॉ आशीष कुमार ने बताया यह बीमारी इस समय काफी फैल चुकी है
इसका सबसे बड़ा कारण सांसों के साथ फेफड़ों में जाने वाला।धुआं है। चाहे वह वायु प्रदूषण हो या धूम्रपान हो। यह बीमारी धूम्रपान करने वाले लोगों को आम तौर पर अपनी चपेट में ले लेती है । इसके अलावा जो महिलाएं चूल्हे पर खाना बनाती हैं उन्हें भी इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं ।वहीं शहरों में रहने वाले लोगों को वायु प्रदूषण की वजह से यह बीमारी हो जाती है । एक अन्य सर्वे के अनुसार 35 साल की उम्र से ज्यादा लोगों में यह बीमारी काफी पाई जा रही है । जिनमें से 5% पुरुष और 3% महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं।

किस बीमारी में फेफड़े में सांस की नली सिकुड़ जाती है । जिस वजह से इंसान ठीक से सांस नहीं ले पाता ।हालांकि दवाइयों से इस बीमारी का इलाज संभव है ।लेकिन अगर समय पर इस बार का इलाज ना करवाया जाए तो इंसान की मौत भी हो सकती है। क्योंकि फेफड़े की सांस की नली सिकुड़ने की वजह से हमारा शरीर ऑक्सीजन ग्रहण नहीं कर पाता। जिस वजह से दिल की धड़कन भी बंद हो सकती है। इस तरह यह एक गंभीर बीमारी है।

डॉ आशीष ने बताया कि आजकल सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने और पराली जलने की वजह से भी हवा में प्रदूषण की मात्रा ज्यादा दर्ज की जा रही है और इन दिनों में इस बीमारी से संबंधित मरीजों की संख्या 20 से 30% तक बढ़ गई है।
उन्होंने कहा कि इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही मरीज को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। अगर किसी मरीज को सांस लेने में समस्या आ रही है ।यह थोड़ा सा चलने फिरने के बाद उसे सांस चल रहा है थकावट ज्यादा हो रही है या थकावट की वजह से बेहोशी जैसी हालत हो रही है , तो उसे तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

बाइट- डॉ आशीष कुमार अरोड़ा


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