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दुनिया में हर पांचवां व्यक्ति पोलन एलर्जी से पीड़ित, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय - पोलन एलर्जी

सर्दी के मौसम में हमें ज्यादातर नाक बहने, गले में खराश और छींक आने की समस्या होती है. क्या आपको पता है कि ये पोलन एलर्जी (pollen allergy) की वजह से होता है. जानें क्या है ये पोलन एलर्जी. क्या हैं इसके लक्षण और बचाव के उपाय.

what is pollen allergy
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Published : Dec 14, 2022, 8:24 PM IST

दुनिया में हर पांचवां व्यक्ति पोलन एलर्जी से पीड़ित, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

चंडीगढ़: सर्दी के मौसम में पोलन एलर्जी (pollen allergy) लोगों को परेशान करती है. पराग कण के चलते पोलन एलर्जी फैलती है. इस एलर्जी के बारे में भारत में कम ही लोग जानते हैं. पोलन यानी पराग से एलर्जी आम लोगों को परेशान करती है. इस एलर्जी से नाक बहना, सांस लेने में दिक्कत और सिर दर्ज की समस्या बनी रहती है. कई लोगों को तो अस्थमा तक की समस्या का सामना करना पड़ता है.

लोगों को लगता है ये सब सर्दी के कारण होता है, लेकिन वातावरण के विशेषज्ञों की मानें तो ये ‌सर्दी के कारण नहीं होता. इसके पीछे कुदरत ‌जिम्मेदार होती है. विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति पराग की एलर्जी से पीड़ित है. पराग, या पोलन एलर्जी को ही फीवर भी कहा जाता है. इसके फैलने का मुख्य कारण वातावरण में मौजूद कण हैं. पोलन एलर्जी पीले रंग का बारीक पाउडर होता है जो पौधों को उपजाऊ बनाता है.

chandigarh pgi doctors
ऑस्ट्रेलिया के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर निक ओसबोर्न ने चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर्स से मुलाकात की.

क्या है पोलन एलर्जी? (what is pollen allergy): हवा, पक्षियों, कीड़ों या दूसरे जानवरों के माध्यम से ये मानव शरीर तक पहुंचता है. पराग एलर्जी मतलब पेड़, खरपतवार और घास से निकलने वाले पराग से होता है. एक बार पराग से एलर्जी हो जाती है तो इसको ठीक होने में काफी वक्त लगता है. उचित दवाओं और एलर्जी शॉट्स की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है. पराग एलर्जी मौसमी बदलावों के कारण भी हो सकती है, क्योंकि पराग की संख्या निर्धारित करने में इनकी मुख्य भूमिका होती है.

पोलन एलर्जी के लक्षण (pollen allergy symptoms): पराग की संख्या वसंत और गर्मियों के मौसम में सबसे ज़्यादा होती है. इस बारे में पीजीआई के सामुदायिक चिकित्सा विभाग एवं जन स्वास्थ्य विघायल में वातावरण ‌विशेषज्ञ ने बताया कि ये एलर्जी अक्तूबर महीने से शुरू हो जाती है. जो लोग पोलन एलर्जी से पीड़ित हैं, उन्हें नाक बंद होने, छींक आने, नाक बहने, गले में खराश या आंखों में जलन होने की समस्याएं आती हैं. लोग सोचते हैं कि सर्दी की वजह से ऐसा हो रहा है.

ये भी पढ़ें- ग्रामीण क्षेत्रों के निजी स्कूलों में भी बनेंगे नए परीक्षा केंद्र, पूरी करनी होगी ये शर्तें

बचाव के उपाय: चंडीगढ़ पीजीआईएमईआर और सीआरआईकेसी संस्थानों के दौरे पर आए ऑस्ट्रेलिया के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर निक ओसबोर्न ने इस एलर्जी से जुड़ी बारिकियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि काफी देर तक घर से बाहर रहेने पर घर लौटकर अपने कपड़े बदलें, नहाएं और शैंपू से बाल धोएं. सर्दियों के मौसम में खिड़कियां बंद रखें, अपने कपड़े बाहर सुखाने के बजाय क्लॉथ ड्रायर में सुखाएं. इसके साथ ही गंभीर अवस्था में लोगों को डॉक्टर की सलाह से, गैर-नशीली एंटी-हिस्टमाइन जैसे फेक्सोफेनाडाइन, लोराटाडाइन आदि का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये एलर्जी ज्यादातर बच्चों में जल्दी फैलती है. 40 से अध‌िक उम्र के व्यक्त‌ि को भी इसकी श‌िकायत रहती है.

दुनिया में हर पांचवां व्यक्ति पोलन एलर्जी से पीड़ित, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

चंडीगढ़: सर्दी के मौसम में पोलन एलर्जी (pollen allergy) लोगों को परेशान करती है. पराग कण के चलते पोलन एलर्जी फैलती है. इस एलर्जी के बारे में भारत में कम ही लोग जानते हैं. पोलन यानी पराग से एलर्जी आम लोगों को परेशान करती है. इस एलर्जी से नाक बहना, सांस लेने में दिक्कत और सिर दर्ज की समस्या बनी रहती है. कई लोगों को तो अस्थमा तक की समस्या का सामना करना पड़ता है.

लोगों को लगता है ये सब सर्दी के कारण होता है, लेकिन वातावरण के विशेषज्ञों की मानें तो ये ‌सर्दी के कारण नहीं होता. इसके पीछे कुदरत ‌जिम्मेदार होती है. विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति पराग की एलर्जी से पीड़ित है. पराग, या पोलन एलर्जी को ही फीवर भी कहा जाता है. इसके फैलने का मुख्य कारण वातावरण में मौजूद कण हैं. पोलन एलर्जी पीले रंग का बारीक पाउडर होता है जो पौधों को उपजाऊ बनाता है.

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ऑस्ट्रेलिया के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर निक ओसबोर्न ने चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर्स से मुलाकात की.

क्या है पोलन एलर्जी? (what is pollen allergy): हवा, पक्षियों, कीड़ों या दूसरे जानवरों के माध्यम से ये मानव शरीर तक पहुंचता है. पराग एलर्जी मतलब पेड़, खरपतवार और घास से निकलने वाले पराग से होता है. एक बार पराग से एलर्जी हो जाती है तो इसको ठीक होने में काफी वक्त लगता है. उचित दवाओं और एलर्जी शॉट्स की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है. पराग एलर्जी मौसमी बदलावों के कारण भी हो सकती है, क्योंकि पराग की संख्या निर्धारित करने में इनकी मुख्य भूमिका होती है.

पोलन एलर्जी के लक्षण (pollen allergy symptoms): पराग की संख्या वसंत और गर्मियों के मौसम में सबसे ज़्यादा होती है. इस बारे में पीजीआई के सामुदायिक चिकित्सा विभाग एवं जन स्वास्थ्य विघायल में वातावरण ‌विशेषज्ञ ने बताया कि ये एलर्जी अक्तूबर महीने से शुरू हो जाती है. जो लोग पोलन एलर्जी से पीड़ित हैं, उन्हें नाक बंद होने, छींक आने, नाक बहने, गले में खराश या आंखों में जलन होने की समस्याएं आती हैं. लोग सोचते हैं कि सर्दी की वजह से ऐसा हो रहा है.

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बचाव के उपाय: चंडीगढ़ पीजीआईएमईआर और सीआरआईकेसी संस्थानों के दौरे पर आए ऑस्ट्रेलिया के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर निक ओसबोर्न ने इस एलर्जी से जुड़ी बारिकियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि काफी देर तक घर से बाहर रहेने पर घर लौटकर अपने कपड़े बदलें, नहाएं और शैंपू से बाल धोएं. सर्दियों के मौसम में खिड़कियां बंद रखें, अपने कपड़े बाहर सुखाने के बजाय क्लॉथ ड्रायर में सुखाएं. इसके साथ ही गंभीर अवस्था में लोगों को डॉक्टर की सलाह से, गैर-नशीली एंटी-हिस्टमाइन जैसे फेक्सोफेनाडाइन, लोराटाडाइन आदि का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये एलर्जी ज्यादातर बच्चों में जल्दी फैलती है. 40 से अध‌िक उम्र के व्यक्त‌ि को भी इसकी श‌िकायत रहती है.

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