चंडीगढ़: कोरोना ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. चंडीगढ़ की सेक्टर-17 की मुख्य मंडी में हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान फल और सब्जियां बेचने के लिए आ रहे हैं, लेकिन इन किसानों को यहां आकर भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. मंडी में ना तो इनकी सब्जियां बिक रही हैं और ना ही फल. ऐसे में किसान जाएं तो कहां जाएं. ऊपर से किसानों का आरोप है कि मंडी में उनकी सब्जी और फलों को रखने की भी उचित व्यवस्था नहीं है.
मंडी में परेशान किसान
ऐसे में ईटीवी भारत की टीम मंडी में पहुंची और किसानों से बात की, तो किसानों ने बताया कि वो काफी पैसे खर्च करके गाड़ियों में फल और सब्जियां भरकर लाते हैं, ताकि यहां बेचकर थोड़े पैसे कमा सकें, लेकिन चंडीगढ़ में आने के बाद उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. यहां पर उनके फल और सब्जियां बिक नहीं रही हैं. उनका सारा माल यहां पड़े-पड़े खराब हो रहा है. बहुत से किसान सड़ी गली सब्जियों को वापस ले जाने पर मजबूर हैं.
साथ ही किसानों ने कहा कि प्रशासन ने सेक्टर-17 मंडी को तो शिफ्ट कर दिया, लेकिन यहां पर ऐसे नियम बना दिए जिससे ग्राहक मंडी के अंदर आ नहीं पा रहे हैं. मंडी में सिर्फ उन लोगों को आने की इजाजत है, जिनके पास प्रशासन की ओर से बनाए गए पास हैं. इसके अलावा कोई भी व्यक्ति मंडी में नहीं आ सकता. जिस वजह से मंडी में ग्राहक नहीं आ पा रहे हैं. ग्राहकों के ना आने की वजह से उनके फल और सब्जियां भी नहीं बिक रही हैं.
'रेट कम, भाड़ा ज्यादा'
किसानों का कहना है कि उन्होंने अपने सब्जियों के रेट बेहद कम कर दिए हैं. वो घाटे में सब्जियां बेचने को मजबूर हैं, लेकिन फिर भी उनकी सब्जियां नहीं बिक रही. उनका कहना है कि वे किराए की गाड़ियों में पैसे खर्च करके यहां तक आते हैं, लेकिन यहां पर उनकी सब्जियां और फल नहीं लिख पाते हैं. जिससे उन्हें दोगुना नुकसान उठाना पड़ता है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जिन लोगों के पास सरकारी पास नहीं है. पुलिस उन्हें अंदर नहीं आने देती, साथ ही पुलिसकर्मी उन लोगों के साथ मारपीट करते हैं.
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किसानों का कहना है कि वे लोग इस उम्मीद में दूर-दूर से चंडीगढ़ का माल बेचने के लिए आते हैं, ताकि यहां आकर थोड़े पैसे कमा सकें, लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन की गलत नीतियों की वजह से हमारी रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. हमारी कड़ी मेहनत से उगाई गई फसल हमारी आंखों के सामने खराब हो रही है, लेकिन कुछ नहीं कर पा रहे हैं.