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ओपन हार्ट सर्जरी के बिना बदला गया 86 वर्षीय मरीज के दिल का वॉल्व, जानिए कैसे - दिल वॉल्व नई तकनीक बिना ऑपरेशन

चंडीगढ़ में एक नई तकनीक के सहारे 86 साल के मरीज के दिल का वॉल्व बदला गया है. हैरानी की बात ये है कि दिल का वॉल्व बिना ओपन हार्ट सर्जरी के बदला गया है.

chandigarh valve change without surgery
ओपन हार्ट सर्जरी के बिना बदला गया 86 वर्षीय मरीज के दिल का वॉल्व
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Published : Apr 16, 2021, 4:50 PM IST

चंडीगढ़: चंडीगढ़ में 86 साल के मरीज के दिल का वॉल्व एक नई तकनीक के सहारे बिना किसी ओपन हार्ट सर्जरी के बदला गया है. मरीज जयपुर का रहने वाला है और सालों से परेशान चल रहा था. उसे कई डॉक्टर सर्जरी करने से इंकार कर चुके थे, जिसके बाद उसके दिल का वॉल्व चंडीगढ़ में सफलतापूर्वक बदला गया है.

बता दें कि चंडीगढ़ के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर आरके जयसवाल ने जयपुर से आए 86 वर्षीय मरीज के दिल का वॉल्व बदला है. इस बारे में ईटीवी भारत ने डॉक्टर आरके जयसवाल से खास बातचीत. उन्होंने बताया कि मरीज जीने की उम्मीद छोड़ चुका था, क्योंकि कई अस्तपाल मरीज की उम्र देखने के बाद उसकी ओपन हार्ट सर्जरी करने से मना कर चुके थे.

ओपन हार्ट सर्जरी के बिना बदला गया 86 वर्षीय मरीज के दिल का वॉल्व

ये भी पढ़िए: चंडीगढ़ में दिल के मरीजों का नई तकनीक से शुरू हुआ इलाज, बिना सर्जरी हार्ट वॉल्व होगा रिप्लेस

कैसे बिना सर्जरी हुआ ऑपरेशन

इस तकनीक के जरिए टांग की नस में वाल्व को डालकर उसे दिल तक पहुंचाया जाता है और सही जगह पर फिट कर दिया जाता है. इस तरह की सर्जरी दिल में स्टंट डालने के लिए की जाती रही है, लेकिन वॉल्व का आकार बड़ा होता है. इसलिए इस तकनीक को विकसित होने में बहुत समय लगा है, लेकिन अब ये मरीजों की जान बचा रही है.

'गंभीर मरीजों के लिए लाभकारी है तकनीक'

ये तकनीक सबसे ज्यादा उन मरीजों के लिए लाभकारी है जो शारीरिक तौर पर बेहद कमजोर हैं या जिनकी उम्र ज्यादा है, क्योंकि ऐसे मरीजों का ऑपरेशन करने से उन मरीजों की जान का खतरा बढ़ जाता है. बहुत से डॉक्टर ऐसे मरीजों को ऑपरेशन करने से मना भी कर देते हैं. ऐसे में वो लोग सिर्फ अपनी मौत का इंतजार करते हैं. इस तकनीक के आने से उन मरीजों का बिना ऑपरेशन के इलाज किया जा सकता है और वह अपनी जिंदगी को सामान्य रूप से जी सकते हैं.

चंडीगढ़: चंडीगढ़ में 86 साल के मरीज के दिल का वॉल्व एक नई तकनीक के सहारे बिना किसी ओपन हार्ट सर्जरी के बदला गया है. मरीज जयपुर का रहने वाला है और सालों से परेशान चल रहा था. उसे कई डॉक्टर सर्जरी करने से इंकार कर चुके थे, जिसके बाद उसके दिल का वॉल्व चंडीगढ़ में सफलतापूर्वक बदला गया है.

बता दें कि चंडीगढ़ के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर आरके जयसवाल ने जयपुर से आए 86 वर्षीय मरीज के दिल का वॉल्व बदला है. इस बारे में ईटीवी भारत ने डॉक्टर आरके जयसवाल से खास बातचीत. उन्होंने बताया कि मरीज जीने की उम्मीद छोड़ चुका था, क्योंकि कई अस्तपाल मरीज की उम्र देखने के बाद उसकी ओपन हार्ट सर्जरी करने से मना कर चुके थे.

ओपन हार्ट सर्जरी के बिना बदला गया 86 वर्षीय मरीज के दिल का वॉल्व

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कैसे बिना सर्जरी हुआ ऑपरेशन

इस तकनीक के जरिए टांग की नस में वाल्व को डालकर उसे दिल तक पहुंचाया जाता है और सही जगह पर फिट कर दिया जाता है. इस तरह की सर्जरी दिल में स्टंट डालने के लिए की जाती रही है, लेकिन वॉल्व का आकार बड़ा होता है. इसलिए इस तकनीक को विकसित होने में बहुत समय लगा है, लेकिन अब ये मरीजों की जान बचा रही है.

'गंभीर मरीजों के लिए लाभकारी है तकनीक'

ये तकनीक सबसे ज्यादा उन मरीजों के लिए लाभकारी है जो शारीरिक तौर पर बेहद कमजोर हैं या जिनकी उम्र ज्यादा है, क्योंकि ऐसे मरीजों का ऑपरेशन करने से उन मरीजों की जान का खतरा बढ़ जाता है. बहुत से डॉक्टर ऐसे मरीजों को ऑपरेशन करने से मना भी कर देते हैं. ऐसे में वो लोग सिर्फ अपनी मौत का इंतजार करते हैं. इस तकनीक के आने से उन मरीजों का बिना ऑपरेशन के इलाज किया जा सकता है और वह अपनी जिंदगी को सामान्य रूप से जी सकते हैं.

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