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चंडीगढ़: स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मरीजों के लिए अनोखी पहल - etv bharat

चंडीगढ़ की स्पाइनल कॉर्ड इंजरी सेंटर नाम की संस्था, स्पाइनल इंजरी से पीड़ित लोगों को जिंदगी जीना सिखाती है. यह संस्था हर तरीके से एसे लोगों की मदद करती है.

स्पाइनल कॉर्ड इंजरी सेंटर सीखा रहा है स्कूबा डाइविंग
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Published : Aug 8, 2019, 5:12 PM IST

चंडीगढ़: स्पाइनल कॉर्ड इंजरी सेंटर नाम की संस्था की ओर से स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मरीजों के लिए एक नई पहल शुरू की है. यह संस्था देशभर से आए मरीजों को चंडीगढ़ में स्कूबा डाइविंग सिखा रही है.

स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मरीजों के लिए पहल

इस सेंटर में शिमला से आए आशीष का कहना है कि जब उन्होंने पानी के अंदर रहकर अपने पैरों पर खड़े हुए, यह उनके लिए अभूतपूर्व एहसास था. क्योंकि एक बाइक एक्सीडेंट में उनकी रीड की हड्डी में चोट लग गई थी और उसके बाद से वह जिंदगी में कभी अपने पैरों पर नहीं चल पाए.

एक बेहतरीन अनुभव

बैंगलोर से आए अजय ने कहा कि स्कूबा डाइविंग को आज तक हमने सिर्फ टीवी पर ही देखा था और हम इसे खुद करने के बारे में तो कभी सोच ही नहीं सकते थे. मगर चंडीगढ़ की सरकारी संस्था स्पाइनल कॉर्ड इंजरी सेंटर में हमें यह मौका दिया. और यह हमारे लिए एक बहुत ही बेहतरीन अनुभव था.

संस्था का उद्देश्य

संस्था की सीनियर फिजियोथैरेपिस्ट डॉ गायत्री पूजा ने कहा कि जब किसी को स्पाइनल इंजरी होती है तो वह बिस्तर पर पड़ जाता है और रोजमर्रा के छोटे-छोटे कामों के लिए भी उसे दूसरे लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है. उनका कहा है कि हम इस तरह के कार्यक्रमों से उन्हें जीने की नई उम्मीद सिखाते हैं ताकि वे लोग ना सिर्फ जिंदगी से प्यार करें बल्कि यहां से एक नया आत्मविश्वास लेकर जाएं.

चंडीगढ़: स्पाइनल कॉर्ड इंजरी सेंटर नाम की संस्था की ओर से स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मरीजों के लिए एक नई पहल शुरू की है. यह संस्था देशभर से आए मरीजों को चंडीगढ़ में स्कूबा डाइविंग सिखा रही है.

स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मरीजों के लिए पहल

इस सेंटर में शिमला से आए आशीष का कहना है कि जब उन्होंने पानी के अंदर रहकर अपने पैरों पर खड़े हुए, यह उनके लिए अभूतपूर्व एहसास था. क्योंकि एक बाइक एक्सीडेंट में उनकी रीड की हड्डी में चोट लग गई थी और उसके बाद से वह जिंदगी में कभी अपने पैरों पर नहीं चल पाए.

एक बेहतरीन अनुभव

बैंगलोर से आए अजय ने कहा कि स्कूबा डाइविंग को आज तक हमने सिर्फ टीवी पर ही देखा था और हम इसे खुद करने के बारे में तो कभी सोच ही नहीं सकते थे. मगर चंडीगढ़ की सरकारी संस्था स्पाइनल कॉर्ड इंजरी सेंटर में हमें यह मौका दिया. और यह हमारे लिए एक बहुत ही बेहतरीन अनुभव था.

संस्था का उद्देश्य

संस्था की सीनियर फिजियोथैरेपिस्ट डॉ गायत्री पूजा ने कहा कि जब किसी को स्पाइनल इंजरी होती है तो वह बिस्तर पर पड़ जाता है और रोजमर्रा के छोटे-छोटे कामों के लिए भी उसे दूसरे लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है. उनका कहा है कि हम इस तरह के कार्यक्रमों से उन्हें जीने की नई उम्मीद सिखाते हैं ताकि वे लोग ना सिर्फ जिंदगी से प्यार करें बल्कि यहां से एक नया आत्मविश्वास लेकर जाएं.

Intro:स्पाइनल कॉर्ड इंजरी एक ऐसी चोट है जिसकी वजह से एक इंसान जिंदगी भर के लिए लाचार हो जाता है ऐसे लोगों के हाथ और पैर पूरी तरह से बेजान हो जाते हैं इन्हें छोटे से छोटे काम के लिए दूसरे लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है और यह समझा जा सकता है कि ऐसे लोगों की जिंदगी कितनी मुश्किल होती है मगर चंडीगढ़ की स्पाइनल कॉर्ड इंजरी सेंटर नाम की संस्था ऐसे लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है यह संस्था ऐसे लोगों को जिंदगी जीना तो सिखाती ही है बल्कि इन लोगों की जिंदगी को खूबसूरत बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रही


Body:इस संस्था की ओर से स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मरीजों के लिए एक नई पहल शुरू की है यह संस्था देशभर से आए मरीजों को चंडीगढ़ में स्कूबा डाइविंग सिखा रही है। सुनने में है असंभव सा लगता है मगर यह सच है कि जो लोग जमीन पर अपने सहारे पर एक कदम भी नहीं चल सकते वे लोग पानी में बेहद खूबसूरती के साथ चहल कदमी कर रहे हैं और यह लोगों के लिए कभी न भूलने वाला एहसास है।
इस सेंटर में शिमला से आए आशीष का कहना है कि जब उन्होंने पानी के अंदर रहकर अपने पैरों पर खड़े हुए यह उनके लिए अभूतपूर्व एहसास था क्योंकि एक बाइक एक्सीडेंट में उनकी रीड की हड्डी में चोट लग गई थी और उसके बाद से वह जिंदगी में कभी अपने पैरों पर नहीं चल पाए लेकिन पानी के अंदर है कर अपने पैरों पर खड़ा होना एक शानदार एहसास था इसके लिए वे चंडीगढ़ की संस्था का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने मुझे एक ऐसा मौका दिया।
वही बेंगलुरु से आए अजय ने भी कुछ ऐसा ही कहा। अजय ने कहा कि स्कूबा डाइविंग को आज तक हमने सिर्फ टीवी पर ही देखा था और हम इसे खुद करने के बारे में तो कभी सोच ही नहीं सकते थे मगर चंडीगढ़ की सरकारी संस्था स्पाइनल कॉर्ड इंजरी सेंटर में हमें यह मौका दिया और यह हमारे लिए एक बहुत ही बेहतरीन अनुभव था।
इस बारे में बताते हुए संस्था की सीनियर फिजियोथैरेपिस्ट डॉ गायत्री पूजा ने कहा कि जब किसी को स्पाइनल इंजरी होती है तो वह है बिस्तर पर आ जाता है और रोजमर्रा के छोटे-छोटे कामों के लिए भी उसे दूसरे लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है जिससे उसकी जिंदगी बदतर हो जाती है मगर हम इस तरह के कार्यक्रमों से उन्हें जीने की नई उम्मीद सिखाते हैं ताकि वे लोग ना सिर्फ जिंदगी से प्यार करें बल्कि यहां से एक नया आत्मविश्वास लेकर जाएं जिससे उनकी जिंदगी बेहतर हो जाए उन्होंने कहा कि हमारे यहां से जाने वाले लोग अब बिस्तर पर नहीं लेटे रहते बल्कि वे बाहर निकलते हैं और अपने बलबूते पर सब काम करते हैं बल्कि कई लोग तो ऐसे हैं जो बाहर जाकर नौकरियां भी कर रहे हैं हमारा बस यही मकसद है कि इन लोगों को घर की चारदीवारी से निकाल कर उन्हें मुख्यधारा में लाया जाए और उन्हें जिंदगी से प्यार करना सिखाया जाए।

बाइट 1-- आशीष , मरीज
बाइक 2 - अजय , मरीज।
बाइट 3 डॉ पूजा गायत्री, सीनियर फिजियोथैरेपिस्ट , स्पाइनल कॉर्ड इंजरी सेंटर



Conclusion:
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