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नहीं भरे पंचकूला हिंसा के जख्म! ना सभी मुजरिम पकड़े गए और ना किसी को मुआवजा मिला - panchkula violence news

भले ही पंचकूला हिंसा के दो साल पूरे हो गए हों, लेकिन आज भी लोगों के दिलों में हिसा के जख्म भरे नहीं है. ना तो हिंसा के सभी आरोपी पकड़े गए और ना ही पीड़ित लोगों को मुआवजा मिला है.

पंचकूला हिंसा
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Published : Aug 25, 2019, 4:46 PM IST

Updated : Sep 22, 2019, 9:38 AM IST

पंचकूला/चंडीगढ़: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद भड़की हिंसा को दो साल पूरे हो गए हैं, लेकिन आज भी लोगों के दिलों में पंचकूला हिंसा के जख्म नहीं भरे हैं. अभी भी आगजनी करवाने वाले कई आरोपी फरार हैं और मुआवजे के लिए लोग इंतजार कर रहे हैं.

आज भी हरे हैं हिंसा के जख्म
इसके अलावा उन हजारों लोगों के जख्म भी नहीं भरे हैं, जिन्होंने आगजनी में अपनी करोड़ों की संपत्ति गंवा दी. हिंसा से जुड़े ज्यादातर केस अदालत में विचाराधीन हैं. सरकार का भी इस तरफ कोई मजबूत पक्ष देखने को भी नहीं मिला है.

पुलिस ने 177 FIR दर्ज की थी
पंचकूला हिंसा मामले में पुलिस ने कुल 177 FIR दर्ज की थी, इनमें 1137 आरोपियों को अरेस्ट किया था. पुलिस को जांच में पुख्ता सबूत नहीं मिलने पर, 10 मामलों में नामजद करीब 100 आरोपियों से देशद्रोह की धारा हटानी पड़ी. सबूतों के अभाव में दो मामलों में आरोपियों को बरी किया गया.

आदित्य इंसां का सुराग नहीं
पंचकूला हिंसा के मुख्य आरोपियों में से राम रहीम के राजदार और पांच लाख रुपये का इनामी आदित्य इंसां दो साल बीतने के बाद भी फरार है. पुलिस के हाथ ऐसी कोई लीड नहीं लगी है, जिसकी मदद से उस तक पहुंचा जा सके. इसके अलावा राम रहीम के डेरे में उसकी एक अन्य राजदार विपासना को भी पुलिस ने मोस्ट वॉन्टेड की लिस्ट से बाहर कर दिया है.

ऐसी रही थी पुलिस की भूमिका
25 अगस्त 2017 को पंचकूला की सीबीआई अदालत की ओर से साध्वी यौन शोषण मामले में फैसला सुनाने के बाद हिंसा की आशंका बनी थी. पुलिस-प्रशासन ने एहतियातन धारा-144 लगाई थी. बावजूद इसके पुलिस-प्रशासन हिंसा रोकने में नाकामयाब रही थी.

नतीजतन फैसला आने से पहले शहर में राम रहीम के हजारों समर्थक आ पहुंचे थे और फैसले के बाद हालात ऐसे बिगड़े कि आगजनी और हिंसा को अंजाम दे दिया गया. उपद्रवियों ने टीवी चैनलों की ओबी वैन, फायर ब्रिगेड, मीडियाकर्मियों की कारें और दर्जनों टू-व्हीलर हिंसा की आग में झोंक डाले थे.

Panchkula violence
पंचकूला हिंसा में डेरा समर्थकों ने की थी आगजनी
राम रहीम के समर्थकों ने की थी तोड़फोड़दंगाइयों ने दर्जनों वाहन जला दिए. इनमें अधिकांश वाहन मीडियाकर्मियों के थे. हिंसा के तत्काल बाद सरकार ने जल्द मुआवजे का भरोसा तो दिया, लेकिन आज तक किसी को मुआवजा राशि नहीं मिल सकी. दंगाइयों ने हिंसा के दौरान सेक्टर-16, एचडीएफसी बैंक को आग के हवाले किया और अग्रवाल भवन में तोड़फोड़ के बाद एंबुलेंस समेत अन्य गाड़ियों को जलाया.

ये हैं हिंसा के आरोपी

  • पांच लाख का इनामी आदित्य इंसां
  • पचास हजार का इनामी रहा अमरीक
  • पचास हजार का इनामी रहा नवदीप कुमार
  • इकबाल, जसबीर सिंह, अभिजीत शंकर
  • ओमपाल शर्मा, परामूत, अर्ष अरोड़ा
  • विजय कुमार, हरदम, पीआर जैन
  • परगट सिंह, किरपाल मेहता, चरण सिंह
  • सतीश मेहता, सेवा सिंह, अरविंद, अमरीक
  • संजीव, सिंगला, जसवंत, अनिल, रंजन और कमल

हनीप्रीत को किया गया था अरेस्ट
राम रहीम की सबसे करीबी हनीप्रीत को पंचकूला पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था, जो फिलहाल जेल में है. हिंसा मामले की साजिश और देशद्रोह मामले में हनीप्रीत सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. इसके करीब चार अन्य FIR में 100 से अधिक आरोपियों के खिलाफ पुलिस जांच में पुख्ता सबूत नहीं होने पर उन पर लगी देशद्रोह की धारा को हटाया गया था.

करीब 35 लोगों की हुई थी मौत
पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत से डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद भड़की हिंसा में करीब 35 लोगों की मौत हुई थी. समर्थकों को भड़काने समेत हिंसा और आगजनी के लिए आदित्य इंसां, हनीप्रीत समेत की लोगों पर लाखों की रकम भी बांटने का आरोप है. सीबीआई की विशेष अदालत से बीस साल की सजा मिलने के बाद राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहा है.

सिरसा में 19 दिनों तक रहा था कर्फ्यू
पूरे घटनाक्रम से लेकर 19 दिनों तक सिरसा में भी कर्फ्यू लगा रहा. फरार आरोपियों की धरपकड़ के लिए गठित एसआईटी दो साल बाद भी सभी आरोपियों को अरेस्ट नहीं कर सकी है. सिरसा पुलिस ने हिंसा मामले में उपद्रवियों के खिलाफ देशद्रोह, पुलिस पार्टी पर जानलेवा हमला, सरकारी संपत्ति को नष्ट करना, सरकारी कार्य में बाधा डालने, धारा 144 की अवहेलना, साजिश रचने सहित अन्य कई आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज किया था.

पुलिस को नहीं मिले पुख्ता सबूत
हिंसा मामले में सिरसा पुलिस की ओर से अदालत में 900 पेजों का चालान पेश किया गया था. पूरे प्रकरण में 69 लोगों को सरकारी गवाह बनाया गया था. इसमें पुलिस के ऑफिसर, कर्मचारी व अन्य लोग शामिल हैं. पंचकूला में भी उक्त आरोपों के तहत ही एफआईआर दर्ज की गई.

क्या हुआ था 26 अगस्त को?
हिंसा के अगले दिन 26 अगस्त को कीर्तिनगर चौकी प्रभारी एएसआई शैलेंद्र कुमार जांच करने के लिए घटनास्थल पर गए तो मौके से पेट्रोल बम की बोतलें बरामद की गई. इसके बाद एसआई वजीर सिंह सिविल अस्पताल पहुंचे और शवगृह में रखी गई मृतक वजीर चंद निवासी पीर कॉलोनी सिरसा, काला सिंह निवासी प्रीत नगर सिरसा, विनोद कुमार निवासी रेगर बस्ती, रोबिन निवासी बहबलपुर जींद के शव को अपने कब्जे में लिए.

इसके बाद शवों का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया गया था. एसआई गोपाल राम ने फतेहाबाद पहुंचकर मृतक साहिल निवासी रतिया और मीना रानी निवासी फतेहाबाद का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम प्रक्रिया पूरी की. मृतकों के खिलाफ पुलिस पर हमला करने और सरकारी कार्य में बाधा डालने का केस दर्ज किया गया था.

पंचकूला/चंडीगढ़: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद भड़की हिंसा को दो साल पूरे हो गए हैं, लेकिन आज भी लोगों के दिलों में पंचकूला हिंसा के जख्म नहीं भरे हैं. अभी भी आगजनी करवाने वाले कई आरोपी फरार हैं और मुआवजे के लिए लोग इंतजार कर रहे हैं.

आज भी हरे हैं हिंसा के जख्म
इसके अलावा उन हजारों लोगों के जख्म भी नहीं भरे हैं, जिन्होंने आगजनी में अपनी करोड़ों की संपत्ति गंवा दी. हिंसा से जुड़े ज्यादातर केस अदालत में विचाराधीन हैं. सरकार का भी इस तरफ कोई मजबूत पक्ष देखने को भी नहीं मिला है.

पुलिस ने 177 FIR दर्ज की थी
पंचकूला हिंसा मामले में पुलिस ने कुल 177 FIR दर्ज की थी, इनमें 1137 आरोपियों को अरेस्ट किया था. पुलिस को जांच में पुख्ता सबूत नहीं मिलने पर, 10 मामलों में नामजद करीब 100 आरोपियों से देशद्रोह की धारा हटानी पड़ी. सबूतों के अभाव में दो मामलों में आरोपियों को बरी किया गया.

आदित्य इंसां का सुराग नहीं
पंचकूला हिंसा के मुख्य आरोपियों में से राम रहीम के राजदार और पांच लाख रुपये का इनामी आदित्य इंसां दो साल बीतने के बाद भी फरार है. पुलिस के हाथ ऐसी कोई लीड नहीं लगी है, जिसकी मदद से उस तक पहुंचा जा सके. इसके अलावा राम रहीम के डेरे में उसकी एक अन्य राजदार विपासना को भी पुलिस ने मोस्ट वॉन्टेड की लिस्ट से बाहर कर दिया है.

ऐसी रही थी पुलिस की भूमिका
25 अगस्त 2017 को पंचकूला की सीबीआई अदालत की ओर से साध्वी यौन शोषण मामले में फैसला सुनाने के बाद हिंसा की आशंका बनी थी. पुलिस-प्रशासन ने एहतियातन धारा-144 लगाई थी. बावजूद इसके पुलिस-प्रशासन हिंसा रोकने में नाकामयाब रही थी.

नतीजतन फैसला आने से पहले शहर में राम रहीम के हजारों समर्थक आ पहुंचे थे और फैसले के बाद हालात ऐसे बिगड़े कि आगजनी और हिंसा को अंजाम दे दिया गया. उपद्रवियों ने टीवी चैनलों की ओबी वैन, फायर ब्रिगेड, मीडियाकर्मियों की कारें और दर्जनों टू-व्हीलर हिंसा की आग में झोंक डाले थे.

Panchkula violence
पंचकूला हिंसा में डेरा समर्थकों ने की थी आगजनी
राम रहीम के समर्थकों ने की थी तोड़फोड़दंगाइयों ने दर्जनों वाहन जला दिए. इनमें अधिकांश वाहन मीडियाकर्मियों के थे. हिंसा के तत्काल बाद सरकार ने जल्द मुआवजे का भरोसा तो दिया, लेकिन आज तक किसी को मुआवजा राशि नहीं मिल सकी. दंगाइयों ने हिंसा के दौरान सेक्टर-16, एचडीएफसी बैंक को आग के हवाले किया और अग्रवाल भवन में तोड़फोड़ के बाद एंबुलेंस समेत अन्य गाड़ियों को जलाया.

ये हैं हिंसा के आरोपी

  • पांच लाख का इनामी आदित्य इंसां
  • पचास हजार का इनामी रहा अमरीक
  • पचास हजार का इनामी रहा नवदीप कुमार
  • इकबाल, जसबीर सिंह, अभिजीत शंकर
  • ओमपाल शर्मा, परामूत, अर्ष अरोड़ा
  • विजय कुमार, हरदम, पीआर जैन
  • परगट सिंह, किरपाल मेहता, चरण सिंह
  • सतीश मेहता, सेवा सिंह, अरविंद, अमरीक
  • संजीव, सिंगला, जसवंत, अनिल, रंजन और कमल

हनीप्रीत को किया गया था अरेस्ट
राम रहीम की सबसे करीबी हनीप्रीत को पंचकूला पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था, जो फिलहाल जेल में है. हिंसा मामले की साजिश और देशद्रोह मामले में हनीप्रीत सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. इसके करीब चार अन्य FIR में 100 से अधिक आरोपियों के खिलाफ पुलिस जांच में पुख्ता सबूत नहीं होने पर उन पर लगी देशद्रोह की धारा को हटाया गया था.

करीब 35 लोगों की हुई थी मौत
पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत से डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद भड़की हिंसा में करीब 35 लोगों की मौत हुई थी. समर्थकों को भड़काने समेत हिंसा और आगजनी के लिए आदित्य इंसां, हनीप्रीत समेत की लोगों पर लाखों की रकम भी बांटने का आरोप है. सीबीआई की विशेष अदालत से बीस साल की सजा मिलने के बाद राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहा है.

सिरसा में 19 दिनों तक रहा था कर्फ्यू
पूरे घटनाक्रम से लेकर 19 दिनों तक सिरसा में भी कर्फ्यू लगा रहा. फरार आरोपियों की धरपकड़ के लिए गठित एसआईटी दो साल बाद भी सभी आरोपियों को अरेस्ट नहीं कर सकी है. सिरसा पुलिस ने हिंसा मामले में उपद्रवियों के खिलाफ देशद्रोह, पुलिस पार्टी पर जानलेवा हमला, सरकारी संपत्ति को नष्ट करना, सरकारी कार्य में बाधा डालने, धारा 144 की अवहेलना, साजिश रचने सहित अन्य कई आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज किया था.

पुलिस को नहीं मिले पुख्ता सबूत
हिंसा मामले में सिरसा पुलिस की ओर से अदालत में 900 पेजों का चालान पेश किया गया था. पूरे प्रकरण में 69 लोगों को सरकारी गवाह बनाया गया था. इसमें पुलिस के ऑफिसर, कर्मचारी व अन्य लोग शामिल हैं. पंचकूला में भी उक्त आरोपों के तहत ही एफआईआर दर्ज की गई.

क्या हुआ था 26 अगस्त को?
हिंसा के अगले दिन 26 अगस्त को कीर्तिनगर चौकी प्रभारी एएसआई शैलेंद्र कुमार जांच करने के लिए घटनास्थल पर गए तो मौके से पेट्रोल बम की बोतलें बरामद की गई. इसके बाद एसआई वजीर सिंह सिविल अस्पताल पहुंचे और शवगृह में रखी गई मृतक वजीर चंद निवासी पीर कॉलोनी सिरसा, काला सिंह निवासी प्रीत नगर सिरसा, विनोद कुमार निवासी रेगर बस्ती, रोबिन निवासी बहबलपुर जींद के शव को अपने कब्जे में लिए.

इसके बाद शवों का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया गया था. एसआई गोपाल राम ने फतेहाबाद पहुंचकर मृतक साहिल निवासी रतिया और मीना रानी निवासी फतेहाबाद का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम प्रक्रिया पूरी की. मृतकों के खिलाफ पुलिस पर हमला करने और सरकारी कार्य में बाधा डालने का केस दर्ज किया गया था.

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Last Updated : Sep 22, 2019, 9:38 AM IST
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