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हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ट्रांसपोर्टरों ने सरकार के आदेश को दी चुनौती

सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ट्रांसपोर्टरों ने सरकार के 510 बसों के टेंडर को रद्द करने वाली आदेश को चुनौती दी है. जाने क्या है मामला?

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Published : Aug 29, 2019, 8:33 AM IST

chandigarha high court

चंडीगढ़: ट्रांसपोर्टरों ने हरियाणा सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आदेश को चुनौती दी है. यह चुनौती सरकार के उस फैसले के खिलाफ है, जिसमें सरकार ने 510 बसों के टेंडर रद्द करने की मांग की थी.

याचिकाकर्ता ने दी दलील

हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार और अन्य सभी प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिका में ट्रांसपोर्टरों ने कहा है कि उन्होंने बैंकों से बसों के लिए लोन लिया है, सरकार की तरफ से टेंडर रद्द करने के चलते उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. ट्रांसपोर्टरों ने हाईकोर्ट में सीधा यही कहा कि इस नुकसान में हम लोगों का कोई कसूर नहीं है, लेकिन नुकसान हमें ही उठाना पड़ रहा है. याचिका में कहा गया है की लोन लेकर बस खरीदी थी, लेकिन सरकार ने अब बिना किसी कारण टेंडर रद्द कर दिया.

ये था मामला

आपको बता दें कि किलोमीटर स्कीम के तहत पिछले साल जहां 510 बसों के टेंडर में 31 से 37 रुपये प्रति किलोमीटर तक दिए गए थे, वहीं बाद में 190 बसों के लिए टेंडर 20 रुपये से भी कम आए. मामले में कुछ अफसरों और ट्रांसपोर्टरों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए हरियाणा रोडवेज तालमेल कमेटी ने हड़ताल भी की थी.

इस कारण की थी रद्द

बाद में रोडवेज तालमेल कमेटी व कुछ अन्य पक्षों ने इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की. कमेटी का आरोप था कि परमिट देने में धांधली हुई है. मामला कोर्ट में जाने के बाद सरकार ने परमिट की विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे जिसमें धांधली की शिकायत आई थी, उसके बाद सरकार ने 510 बसों के टेंडर रद्द कर दिए थे. अब सरकार के इस फैसले को ट्रांसपोर्टरों ने चुनौती दी है.

चंडीगढ़: ट्रांसपोर्टरों ने हरियाणा सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आदेश को चुनौती दी है. यह चुनौती सरकार के उस फैसले के खिलाफ है, जिसमें सरकार ने 510 बसों के टेंडर रद्द करने की मांग की थी.

याचिकाकर्ता ने दी दलील

हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार और अन्य सभी प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिका में ट्रांसपोर्टरों ने कहा है कि उन्होंने बैंकों से बसों के लिए लोन लिया है, सरकार की तरफ से टेंडर रद्द करने के चलते उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. ट्रांसपोर्टरों ने हाईकोर्ट में सीधा यही कहा कि इस नुकसान में हम लोगों का कोई कसूर नहीं है, लेकिन नुकसान हमें ही उठाना पड़ रहा है. याचिका में कहा गया है की लोन लेकर बस खरीदी थी, लेकिन सरकार ने अब बिना किसी कारण टेंडर रद्द कर दिया.

ये था मामला

आपको बता दें कि किलोमीटर स्कीम के तहत पिछले साल जहां 510 बसों के टेंडर में 31 से 37 रुपये प्रति किलोमीटर तक दिए गए थे, वहीं बाद में 190 बसों के लिए टेंडर 20 रुपये से भी कम आए. मामले में कुछ अफसरों और ट्रांसपोर्टरों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए हरियाणा रोडवेज तालमेल कमेटी ने हड़ताल भी की थी.

इस कारण की थी रद्द

बाद में रोडवेज तालमेल कमेटी व कुछ अन्य पक्षों ने इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की. कमेटी का आरोप था कि परमिट देने में धांधली हुई है. मामला कोर्ट में जाने के बाद सरकार ने परमिट की विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे जिसमें धांधली की शिकायत आई थी, उसके बाद सरकार ने 510 बसों के टेंडर रद्द कर दिए थे. अब सरकार के इस फैसले को ट्रांसपोर्टरों ने चुनौती दी है.

Intro:एंकर -
ट्रांसपोर्टरों ने सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उस आदेश को चुनौती दी है जिसके तहत सरकार ने 510 बसों के टेंडर (एग्रीमेंट) रद्द कर दिए थे । याचिका में हरियाणा सरकार के फैसले को रद्द करने की मांग की गई है । हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार व अन्य सभी प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। याचिका में ट्रांसपोर्टरों ने कहा है कि उन्होने बैंकों से लोन पर ली है , सरकार की तरफ से टेंडर रद्द करने के चलते उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है जबकि उनके इसमे कोई कसूर नही है ।
Body:वीओ -
हरियाणा के परिवहन विभाग में शुरू की गई प्राइवेट बसें किराये पर हायर करने की किलोमीटर स्कीम सरकार के जी का जंजाल बन गई है । अब ट्रांसपोटर्स की तरफ से दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया कि उनका क्या कसूर है, उनकी बस खड़ी है और वो बैंक के लोन तक नही चुका पा रहे । याचिका में हरियाणा सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है । हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार व अन्य सभी प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है ।
Conclusion:याचिका में कहा गया है की लोन लेकर बस खरीदी थी लेकिन सरकार ने अब बिना किसी कारण टेंडर रद्द कर दिया । जिसके चलते उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है । गौरतलब है की किलोमीटर स्कीम के तहत पिछले साल जहां 510 बसों के टेंडर 31 से 37 रुपये प्रति किलोमीटर तक दिए गए थे, वहीं बाद में 190 बसों के लिए टेंडर 20 रुपये से भी कम आए । मामले में कुछ अफसरों और ट्रांसपोर्टरों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए हरियाणा रोडवेज तालमेल कमेटी ने हड़ताल भी की थी । बाद में रोडवेज तालमेल कमेटी व कुछ अन्य पक्षों ने इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की । कमेटी का आरोप था कि परमिट देने में धांधली हुई है । मामला कोर्ट में जाने के बाद सरकार ने परमिट की विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे जिसमें धांधली की शिकायत आई थी , जिसके बाद सरकार ने 510 बसों के टेंडर रद्द कर दिए थे । अब सरकार के इस फैसले को ट्रांसपोटर्स ने चुनोती दी है ।
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