चंडीगढ़: ट्रांसपोर्टरों ने हरियाणा सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आदेश को चुनौती दी है. यह चुनौती सरकार के उस फैसले के खिलाफ है, जिसमें सरकार ने 510 बसों के टेंडर रद्द करने की मांग की थी.
याचिकाकर्ता ने दी दलील
हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार और अन्य सभी प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिका में ट्रांसपोर्टरों ने कहा है कि उन्होंने बैंकों से बसों के लिए लोन लिया है, सरकार की तरफ से टेंडर रद्द करने के चलते उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. ट्रांसपोर्टरों ने हाईकोर्ट में सीधा यही कहा कि इस नुकसान में हम लोगों का कोई कसूर नहीं है, लेकिन नुकसान हमें ही उठाना पड़ रहा है. याचिका में कहा गया है की लोन लेकर बस खरीदी थी, लेकिन सरकार ने अब बिना किसी कारण टेंडर रद्द कर दिया.
ये था मामला
आपको बता दें कि किलोमीटर स्कीम के तहत पिछले साल जहां 510 बसों के टेंडर में 31 से 37 रुपये प्रति किलोमीटर तक दिए गए थे, वहीं बाद में 190 बसों के लिए टेंडर 20 रुपये से भी कम आए. मामले में कुछ अफसरों और ट्रांसपोर्टरों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए हरियाणा रोडवेज तालमेल कमेटी ने हड़ताल भी की थी.
इस कारण की थी रद्द
बाद में रोडवेज तालमेल कमेटी व कुछ अन्य पक्षों ने इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की. कमेटी का आरोप था कि परमिट देने में धांधली हुई है. मामला कोर्ट में जाने के बाद सरकार ने परमिट की विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे जिसमें धांधली की शिकायत आई थी, उसके बाद सरकार ने 510 बसों के टेंडर रद्द कर दिए थे. अब सरकार के इस फैसले को ट्रांसपोर्टरों ने चुनौती दी है.