चंडीगढ़: डेपुटेशन (Deputation) को लेकर चंडीगढ़ के टीचर्स एसोसिएशन (Teachers Association) ने नाराजगी जाहिर की है, एसोसिएशन का कहना है कि यहां डेपुटेशन के नियमों की धज्जयां उड़ाई जा रही हैं और बहुत से कर्मचारी 5 साल पूरा होने से पहले ही डेपुटेशन पर चंडीगढ़ आ जाते हैं. अब चंडीगढ के पास खुद के अधिकारी, कर्मचारी हैं लेकिन फिर भी हरियाणा-पंजाब के कर्मचारियों को यहां क्यों बुलाया जा रहा है.
ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए चंडीगढ़ टीचर एसोसिएशन के प्रधान स्वर्ण सिंह कंबोज ने कहा कि चंडीगढ़ में डेपुटेशन को लेकर कई नियम बनाए गए हैं. लेकिन उन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जो अध्यापक हरियाणा या पंजाब से डेपुटेशन पर आया है, उसे प्रिंसिपल या वाइस प्रिंसिपल का पद नहीं दिया जा सकता. जबकि चंडीगढ़ में ऐसे कई अध्यापक हैं जो हरियाणा और पंजाब से आए हैं लेकिन फिर भी वो स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल के तौर पर काम कर रहे हैं जो सरासर गलत है.
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उन्होंने कहा कि हर अध्यापक का एक प्रोबेशन पीरियड होता है जिसमें उसके व्यवहार और स्वभाव को देखा जाता है. प्रोबेशन पीरियड पूरा करने के बाद ही अध्यापक दूसरे राज्य से यहां पर आ सकता है. लेकिन चंडीगढ़ में इस नियम को भी नहीं माना जा रहा है. वहीं तीसरा नियम ये है कि दूसरे राज्य से आए अध्यापकों को प्रमोशन तभी मिलेगी जब वो डेपुटेशन के बाद वापस अपने गृह राज्य जाएंगे, लेकिन बहुत से अध्यापक चंडीगढ़ में रहते हुए ही प्रमोशन भी ले रहे हैं.
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स्वर्ण सिंह ने कहा कि अब चंडीगढ़ को डेपुटेशन पर पढ़ाने वाले टीचर की जरूरत नहीं है. उन्होंने अगर हरियाणा-पंजाब राज्य के टीचर यहां पर नौकरी करेंगे तो चंडीगढ़ के युवा बेरोजगार रह जाएंगे. उन्होंने कहा कि 1966 में चंडीगढ़ बना था और तब यहां टीचर नहीं थे. इसलिए यहां पर पढ़ाने के लिए डेपुटेशन पर अध्यापकों को रखा गया था. लेकिन अब चंडीगढ़ में अध्यापकों की पर्याप्त संख्या है इसलिए अब इस नियम को खत्म कर देना चाहिए.