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शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का अल्टीमेटम, 15 दिनों में मांगे नहीं मानी तो आंदोलन होगा तेज

चंडीगढ़ में शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी लगातार अपनी मागों को लेकर प्रदर्शन (Teachers protest in Chandigarh) कर रहे हैं. लेकिन उनकी मांगो की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. ऐसे में अपनी मांगों को पूरा करने के लिए प्रशासन को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया और चेतावनी दी कि निर्धारित समय सीमा में शिक्षकों को लंबित लाभ नहीं देने पर आंदोलन तेज होगा.

Teachers protest in Chandigarh
Teachers protest in Chandigarh
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Published : Nov 25, 2022, 11:34 AM IST

चंडीगढ़: शहर के विभिन्न कॉलेजों के शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की ओर पिछले एक हफ्ते से लगातार चंडीगढ़ प्रशासन के ‌ख‌िलाफ धरना प्रदर्शन (Teachers protest in Chandigarh) किया जा रहा है. ऐसे में जहां कॉलेज का पूरा स्टाफ अपनी मांगों पर अड़ा है वहीं, कॉलेजों में पढ़ाई व दफ्तरी काम भी प्रभावित हो रहे हैं. लेकिन शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को प्रशासन की ओर से कोई आश्वासन नहीं दिया जा रहा है.

चंडीगढ़ के विभिन्न कॉलेजों के शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के साथ-साथ छात्र प्रतिनिधियों ने डीएवी कॉलेज में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें चंडीगढ़ प्रशासन के अपनी जायज मांगों के प्रति असंवेदनशील रवैये के खिलाफ अपनी पीड़ा व्यक्त की. शिक्षण, गैर-शिक्षण संघों और छात्रों के प्रतिनिधियों ने यूजीसी विनियमों के कार्यान्वयन में अत्यधिक देरी के खिलाफ अपनी नाराजगी पर जाहिर की. जिसमें एमएचए अधिसूचना दिनांक 29 मार्च 2022 के अनुसार वेतन संशोधन और केंद्रीय सेवा शर्तों का कार्यान्वयन शामिल है, जिसे विधिवत रूप से अपनाया गया है.

30 मार्च 2022 को चंडीगढ़ प्रशासन, और अप्रैल 2022 में कॉलेजों को अधिसूचित किया गया. विशेष रूप से, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ भारत का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान और अन्य लाभों का लाभ नहीं दिया गया है, जो 1 जनवरी 2016 से प्रभावी हैं. ऐसे में कई अन्य बुनियादी और वास्तविक मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं, जिनमें लंबित पदोन्नति, परिवीक्षा अवधि और यूजीसी के मानदंडों के अनुसार नई भर्ती के लिए वेतनमान शामिल हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उनके प्रयासों के बावजूद, चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करके शिक्षा को बचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई नेक पहल को विफल करने का प्रयास किया जा रहा है.

शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का आरोप है कि सम्मानित गृह मंत्री द्वारा की गई गंभीर घोषणा और बाद में भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद भी, चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे लागू करने के लिए कुछ नहीं किया है. इसके साथ ही विरोध प्रदर्शन की बीच प्रशासन चंडीगढ़ के कॉलेजों में पढ़ने वाले पचास हजार छात्रों का भविष्य अंधेरे में डाला जा रहा है. अगर प्रशासन हमारी मांग मान लेता है तो कॉलेजों में होने वाली पढ़ाई को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा. ऐसे में प्रशासन हमें विरोध करने लिए हमें मजबूर कर रहा है.

वहीं, डीएवी कालेज के प्रोफेसर डॉ. बिमल अंजुम ने बताया कि 2016 से हम अपनी मांगों को लेकर विरोध करते आ रहे हैं. लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन हमारी मांगों को अनदेखा कर रहा है. क्योंकि चंडीगढ़ के कॉलेज पंजाब के पास है तो स्कूल हरियाणा के पास, ऐसे में सभी स्कूलों में सेंटर और राज्यों से जुड़े सभी नियम लागू हो चुके हैं. लेकिन कॉलेजों को लेकर 2016 के बाद से कोई नया नियम लागू नहीं हुआ है. वहीं, लगातार कॉलेजों से टीचर और स्टाफ रिटायर्ड हो रहा है जिनकी मांग है कि उन्हें सेंटर द्वारा लागू नियमों द्वारा रिटायर्ड किया जाए. लेकिन पंजाब सरकार उन नियमों को लागू करने में फेल रही है.

ऐसे में इस मामले को लेकर चंडीगढ़ के कई राजनीतिक नेता पंजाब के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित से भी मिल चुके हैं. उनकी तरफ से हमारी मांगों को लेकर आश्वासन दिया गया. हमारी मांग है कि हरियाणा की तरह सभी कॉलेजों में सेंटर के सभी उक्त नियमों को लागू किया जाए. डीएवी कॉलेज में की गई प्रेस कांफ्रेंस में प्रतिनिधित्व कर रहे सदस्यों ने प्रशासन को उनकी मांगों को पूरा करने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया और निर्धारित समय सीमा में शिक्षकों को लंबित लाभ नहीं देने पर आंदोलन तेज होगा.

ये भी पढ़ें: हरियाणा के मुख्य सचिव ने बीआरएपी-2022 का 30 नवंबर तक 100 प्रतिशत कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के दिए निर्देश

चंडीगढ़: शहर के विभिन्न कॉलेजों के शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की ओर पिछले एक हफ्ते से लगातार चंडीगढ़ प्रशासन के ‌ख‌िलाफ धरना प्रदर्शन (Teachers protest in Chandigarh) किया जा रहा है. ऐसे में जहां कॉलेज का पूरा स्टाफ अपनी मांगों पर अड़ा है वहीं, कॉलेजों में पढ़ाई व दफ्तरी काम भी प्रभावित हो रहे हैं. लेकिन शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को प्रशासन की ओर से कोई आश्वासन नहीं दिया जा रहा है.

चंडीगढ़ के विभिन्न कॉलेजों के शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के साथ-साथ छात्र प्रतिनिधियों ने डीएवी कॉलेज में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें चंडीगढ़ प्रशासन के अपनी जायज मांगों के प्रति असंवेदनशील रवैये के खिलाफ अपनी पीड़ा व्यक्त की. शिक्षण, गैर-शिक्षण संघों और छात्रों के प्रतिनिधियों ने यूजीसी विनियमों के कार्यान्वयन में अत्यधिक देरी के खिलाफ अपनी नाराजगी पर जाहिर की. जिसमें एमएचए अधिसूचना दिनांक 29 मार्च 2022 के अनुसार वेतन संशोधन और केंद्रीय सेवा शर्तों का कार्यान्वयन शामिल है, जिसे विधिवत रूप से अपनाया गया है.

30 मार्च 2022 को चंडीगढ़ प्रशासन, और अप्रैल 2022 में कॉलेजों को अधिसूचित किया गया. विशेष रूप से, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ भारत का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान और अन्य लाभों का लाभ नहीं दिया गया है, जो 1 जनवरी 2016 से प्रभावी हैं. ऐसे में कई अन्य बुनियादी और वास्तविक मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं, जिनमें लंबित पदोन्नति, परिवीक्षा अवधि और यूजीसी के मानदंडों के अनुसार नई भर्ती के लिए वेतनमान शामिल हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उनके प्रयासों के बावजूद, चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करके शिक्षा को बचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई नेक पहल को विफल करने का प्रयास किया जा रहा है.

शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का आरोप है कि सम्मानित गृह मंत्री द्वारा की गई गंभीर घोषणा और बाद में भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद भी, चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे लागू करने के लिए कुछ नहीं किया है. इसके साथ ही विरोध प्रदर्शन की बीच प्रशासन चंडीगढ़ के कॉलेजों में पढ़ने वाले पचास हजार छात्रों का भविष्य अंधेरे में डाला जा रहा है. अगर प्रशासन हमारी मांग मान लेता है तो कॉलेजों में होने वाली पढ़ाई को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा. ऐसे में प्रशासन हमें विरोध करने लिए हमें मजबूर कर रहा है.

वहीं, डीएवी कालेज के प्रोफेसर डॉ. बिमल अंजुम ने बताया कि 2016 से हम अपनी मांगों को लेकर विरोध करते आ रहे हैं. लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन हमारी मांगों को अनदेखा कर रहा है. क्योंकि चंडीगढ़ के कॉलेज पंजाब के पास है तो स्कूल हरियाणा के पास, ऐसे में सभी स्कूलों में सेंटर और राज्यों से जुड़े सभी नियम लागू हो चुके हैं. लेकिन कॉलेजों को लेकर 2016 के बाद से कोई नया नियम लागू नहीं हुआ है. वहीं, लगातार कॉलेजों से टीचर और स्टाफ रिटायर्ड हो रहा है जिनकी मांग है कि उन्हें सेंटर द्वारा लागू नियमों द्वारा रिटायर्ड किया जाए. लेकिन पंजाब सरकार उन नियमों को लागू करने में फेल रही है.

ऐसे में इस मामले को लेकर चंडीगढ़ के कई राजनीतिक नेता पंजाब के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित से भी मिल चुके हैं. उनकी तरफ से हमारी मांगों को लेकर आश्वासन दिया गया. हमारी मांग है कि हरियाणा की तरह सभी कॉलेजों में सेंटर के सभी उक्त नियमों को लागू किया जाए. डीएवी कॉलेज में की गई प्रेस कांफ्रेंस में प्रतिनिधित्व कर रहे सदस्यों ने प्रशासन को उनकी मांगों को पूरा करने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया और निर्धारित समय सीमा में शिक्षकों को लंबित लाभ नहीं देने पर आंदोलन तेज होगा.

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