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SYL Controversy In Haryana: हरियाणा CM ने पंजाब के मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, कहा- SYL नहर के निर्माण से जुड़े हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार

SYL Controversy In Haryana: SYL मुद्दे पर सीएम मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब के हिस्से में एसवाईएल नहर के निर्माण के शीघ्र पूरा होने का काफी समय से इंतजार है. हम अपने लोगों और दक्षिणी हरियाणा के सपने को साकार करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. इसको लेकर सीएम मनोहर लाल ने पंजाब सीएम को भी पत्र लिखा है.

SYL Controversy In Haryana
SYL मुद्दे पर सीएम मनोहर लाल
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 16, 2023, 5:09 PM IST

चंडीगढ़: सतलुज-यमुना लिंक नहर के मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा में राजनीति गरमाई हुई है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पुरजोर तरीके से पैरवी करने के बाद हरियाणा सीएम मनोहर लाल ने पंजाब सीएम भगवंत मान को पत्र लिखा है. पत्र में मनोहर लाल ने कहा है कि वे एसवाईएल नहर के निर्माण के रास्ते में आने वाले प्रत्येक विषय पर चर्चा करने के लिए पंजाब सीएम से मिलने को तैयार है.

ये भी पढ़ें: Haryana Punjab SYL Dispute: जिस एसवाईएल को लेकर दशकों से हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहा विवाद, यहां जानिए क्या है पूरा मामला?

सपने को साकार करने के लिए हमेशा तैयार: सीएम मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा का प्रत्येक नागरिक 1996 के मूल वाद संख्या 6 के डिक्री के अनुसार पंजाब के हिस्से में एसवाईएल नहर के निर्माण को शीघ्र पूरा होने की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा है. इसके अलावा, वे अपने लोगों और दक्षिणी हरियाणा में हमारी सूखी भूमि के इस लंबे समय से प्रतीक्षित सपने को साकार करने के लिए कुछ भी करने को हमेशा तैयार हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि पंजाब सरकार निश्चित रूप से इस मामले को हल करने में अपना सहयोग देगी.

'बेनतीजा रही बैठकों के लिए पंजाब जिम्मेदार': दरअसल, पंजाब के मुख्यमंत्री ने 4 अक्टूबर 2023 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक दिन पहले यानी 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा था और इस मुद्दे को लेकर द्विपक्षीय बैठक करने के लिए समय मांगा था. इससे पहले दोनों के बीच आखिरी बार 14 अक्टूबर, 2022 को द्विपक्षीय बैठक हुई थी. इसके बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने 4 जनवरी 2023 को दूसरे दौर की चर्चा की जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे. यहां गौर करने वाली बात है कि एसवाईएल नहर पर हुई सभी बैठकें पंजाब सरकार के नकारात्मक रवैये के कारण बेनतीजा रही थी.

'पंजाब के कारण हरियाणा को नहीं मिला पानी': गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के दो फैसलों के बावजूद पंजाब ने एसवाईएल का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है. सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को लागू करने की बाजए पंजाब ने वर्ष 2004 में समझौते निरस्तीकरण अधिनियम बनाकर इनके क्रियान्वयन में रोड़ा अटकाने का भी प्रयास किया. एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न होने की वजह से हरियाणा केवल 1.62 एमएएफ पानी का इस्तेमाल कर रहा है. पंजाब अपने क्षेत्र में एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न करके हरियाणा के हिस्से में करीब 1.9 एमएएफ जल का गैर-कानूनी ढंग से उपयोग कर रहा है. पंजाब के इस रवैये के कारण हरियाणा अपने हिस्से का 1.88 एमएएफ पानी नहीं ले पा रहा है.

किसानों को भारी नुकसान: इस पानी के ना मिलने से दक्षिण-हरियाणा में भूजल स्तर भी काफी नीचे जा रहा है. एसवाईएल के ना बनने के कारण प्रदेश किसानों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. यहां पर किसानों को बिजली से नलकूप चलाकर सिंचाई करनी पड़ती है. जिससे हर साल 100 करोड़ रुपये से लेकर 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार किसानों को उठाना पड़ता है. हरियाणा को हर साल 42 लाख टन खाद्यान्नों की भी हानि उठानी पड़ती है. यदि 1981 के समझौते के अनुसार 1983 में एसवाईएल बन जाती, तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्नों व दूसरे अनाजों का उत्पादन करता. 15 हजार प्रति टन की दर से इस कृषि पैदावार का कुल मूल्य 19 हजार 500 करोड़ रुपये बनता है.

ये भी पढ़ें: SYL Canal dispute case: एसवाईएल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को लगाई फटकार, केंद्र को दिए ये आदेश

चंडीगढ़: सतलुज-यमुना लिंक नहर के मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा में राजनीति गरमाई हुई है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पुरजोर तरीके से पैरवी करने के बाद हरियाणा सीएम मनोहर लाल ने पंजाब सीएम भगवंत मान को पत्र लिखा है. पत्र में मनोहर लाल ने कहा है कि वे एसवाईएल नहर के निर्माण के रास्ते में आने वाले प्रत्येक विषय पर चर्चा करने के लिए पंजाब सीएम से मिलने को तैयार है.

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सपने को साकार करने के लिए हमेशा तैयार: सीएम मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा का प्रत्येक नागरिक 1996 के मूल वाद संख्या 6 के डिक्री के अनुसार पंजाब के हिस्से में एसवाईएल नहर के निर्माण को शीघ्र पूरा होने की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा है. इसके अलावा, वे अपने लोगों और दक्षिणी हरियाणा में हमारी सूखी भूमि के इस लंबे समय से प्रतीक्षित सपने को साकार करने के लिए कुछ भी करने को हमेशा तैयार हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि पंजाब सरकार निश्चित रूप से इस मामले को हल करने में अपना सहयोग देगी.

'बेनतीजा रही बैठकों के लिए पंजाब जिम्मेदार': दरअसल, पंजाब के मुख्यमंत्री ने 4 अक्टूबर 2023 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक दिन पहले यानी 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा था और इस मुद्दे को लेकर द्विपक्षीय बैठक करने के लिए समय मांगा था. इससे पहले दोनों के बीच आखिरी बार 14 अक्टूबर, 2022 को द्विपक्षीय बैठक हुई थी. इसके बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने 4 जनवरी 2023 को दूसरे दौर की चर्चा की जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे. यहां गौर करने वाली बात है कि एसवाईएल नहर पर हुई सभी बैठकें पंजाब सरकार के नकारात्मक रवैये के कारण बेनतीजा रही थी.

'पंजाब के कारण हरियाणा को नहीं मिला पानी': गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के दो फैसलों के बावजूद पंजाब ने एसवाईएल का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है. सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को लागू करने की बाजए पंजाब ने वर्ष 2004 में समझौते निरस्तीकरण अधिनियम बनाकर इनके क्रियान्वयन में रोड़ा अटकाने का भी प्रयास किया. एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न होने की वजह से हरियाणा केवल 1.62 एमएएफ पानी का इस्तेमाल कर रहा है. पंजाब अपने क्षेत्र में एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न करके हरियाणा के हिस्से में करीब 1.9 एमएएफ जल का गैर-कानूनी ढंग से उपयोग कर रहा है. पंजाब के इस रवैये के कारण हरियाणा अपने हिस्से का 1.88 एमएएफ पानी नहीं ले पा रहा है.

किसानों को भारी नुकसान: इस पानी के ना मिलने से दक्षिण-हरियाणा में भूजल स्तर भी काफी नीचे जा रहा है. एसवाईएल के ना बनने के कारण प्रदेश किसानों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. यहां पर किसानों को बिजली से नलकूप चलाकर सिंचाई करनी पड़ती है. जिससे हर साल 100 करोड़ रुपये से लेकर 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार किसानों को उठाना पड़ता है. हरियाणा को हर साल 42 लाख टन खाद्यान्नों की भी हानि उठानी पड़ती है. यदि 1981 के समझौते के अनुसार 1983 में एसवाईएल बन जाती, तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्नों व दूसरे अनाजों का उत्पादन करता. 15 हजार प्रति टन की दर से इस कृषि पैदावार का कुल मूल्य 19 हजार 500 करोड़ रुपये बनता है.

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