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निजी नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण पर रोक का मामला, SC में 14 फरवरी को होगी सुनवाई - हरियाणा में निजी नौकरियों में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 14 फरवरी को सुनवाई करने का फैसला लिया (Supreme Court Hearing on private job reservation law Haryana) है. साथ ही अदालत ने कहा कि आंध्र प्रदेश और झारखंड में ऐसे कानून हैं, जिनके बारे में अदालत को ब्योरा दिया जाए.

Supreme Court Hearing on private job reservation law Haryana
Supreme Court Hearing on private job reservation law Haryana
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Published : Feb 11, 2022, 3:49 PM IST

नई दिल्ली/चंडीगढ़: हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण को लेकर जहां एक ओर सियासत गर्मा रही है. वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले पर आंध्र प्रदेश और झारखंड में लागू कानूनों के बारे में ब्योरा मांगा है. अदालत ने कहा कि इन राज्यों में लागू कानूनों का ब्योरा उपलब्ध कराने के बाद तय करेंगे कि क्या सारे मामले एक साथ सुने जाएं. इस मामले में अब 14 फरवरी को सुनवाई (Supreme Court Hearing on private job reservation law Haryana) होगी. सुनवाई के दौरान जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा कि हमने अखबार में पढ़ा है कि ऐसे ही कानून आंध्र प्रदेश और झारखंड में भी बनाए गए हैं. जिन्हें भी संबंधित हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

अब ऐसे कानूनों की वैधता पर तीन हाईकोर्ट सुनवाई कर रहे हैं. हम पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से कह सकते हैं कि वो सभी पक्षों को सुन लें. वहीं हरियाणा की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम अन्य राज्यों के मामलों का पता लगाएंगे. इसके बाद ब्योरा सुप्रीम कोर्ट को देंगे. बता दें कि हरियाणा के निवासियों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण को लेकर (75 Percent reservation law in private jobs in Haryana) हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. जिसके बाद राज्‍य की खट्टर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा: प्राइवेट नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण पर रोक के आदेश के खिलाफ SC में याचिका

हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट ने सिर्फ 90 सेकेंड की सुनवाई में ये फैसला जारी कर दिया. इस दौरान राज्य के वकील को नहीं सुना गया. ये फैसला प्राकृतिक न्याय के भी खिलाफ है. हाईकोर्ट का फैसला टिकने वाला नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए. मामले में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द (SC on private job reservation Haryana) सुनवाई की मांग की है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CJI एनवी रमना को बताया कि हाईकोर्ट ने सिर्फ 90 सेकेंड मुझे सुनने के बाद फैसला दिया और कानून पर रोक लगा दी. आदेश अभी आया नहीं है. हम फैसले की कॉपी लगाएंगे. मामले में सोमवार को सुनवाई की जाए. इस पर CJI ने कहा था कि अगर फैसले की कॉपी आती है तो सोमवार को सुनवाई करेंगे.

गौरतलब है कि पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट ने गुरुवार को हरियाणा सरकार को झटका देते हुए राज्‍य के निवासियों को निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण के निर्णय पर रोक लगा दी है. हरियाणा के इस आदेश को फरीदाबाद इंडस्ट्री एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए चुनौती दी थी और इसे रद्द करने की हाईकोर्ट से मांग की थी. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी और इस पर सरकार को जवाब दिए जाने के आदेश दिए.

ये भी पढ़ें- 23.4 प्रतिशत दर के साथ बेरोजगारी में टॉप पर हरियाणा, 75% आरक्षण कानून पर रोक के बाद मायूस युवा

वहीं हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये अधिनियम संविधान की धारा 16 (2) का भी उल्लंघन करता है जिसके अनुसार रोजगार के संदर्भ में किसी भी नागरिक से धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, वंश, जन्मस्थान, निवास स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा. प्रदेश की गठबंधन सरकार में शामिल जननायक जनता पार्टी (जजपा) का यह चुनावी वायदा था. जजपा नेता और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रतिक्रिया स्वरूप ट्वीट किया, ह्यहम हरियाणवी युवाओं को नौकरियों में 75 फीसदी रोजगार अवसरों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे.

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नई दिल्ली/चंडीगढ़: हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण को लेकर जहां एक ओर सियासत गर्मा रही है. वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले पर आंध्र प्रदेश और झारखंड में लागू कानूनों के बारे में ब्योरा मांगा है. अदालत ने कहा कि इन राज्यों में लागू कानूनों का ब्योरा उपलब्ध कराने के बाद तय करेंगे कि क्या सारे मामले एक साथ सुने जाएं. इस मामले में अब 14 फरवरी को सुनवाई (Supreme Court Hearing on private job reservation law Haryana) होगी. सुनवाई के दौरान जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा कि हमने अखबार में पढ़ा है कि ऐसे ही कानून आंध्र प्रदेश और झारखंड में भी बनाए गए हैं. जिन्हें भी संबंधित हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

अब ऐसे कानूनों की वैधता पर तीन हाईकोर्ट सुनवाई कर रहे हैं. हम पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से कह सकते हैं कि वो सभी पक्षों को सुन लें. वहीं हरियाणा की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम अन्य राज्यों के मामलों का पता लगाएंगे. इसके बाद ब्योरा सुप्रीम कोर्ट को देंगे. बता दें कि हरियाणा के निवासियों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण को लेकर (75 Percent reservation law in private jobs in Haryana) हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. जिसके बाद राज्‍य की खट्टर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है.

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हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट ने सिर्फ 90 सेकेंड की सुनवाई में ये फैसला जारी कर दिया. इस दौरान राज्य के वकील को नहीं सुना गया. ये फैसला प्राकृतिक न्याय के भी खिलाफ है. हाईकोर्ट का फैसला टिकने वाला नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए. मामले में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द (SC on private job reservation Haryana) सुनवाई की मांग की है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CJI एनवी रमना को बताया कि हाईकोर्ट ने सिर्फ 90 सेकेंड मुझे सुनने के बाद फैसला दिया और कानून पर रोक लगा दी. आदेश अभी आया नहीं है. हम फैसले की कॉपी लगाएंगे. मामले में सोमवार को सुनवाई की जाए. इस पर CJI ने कहा था कि अगर फैसले की कॉपी आती है तो सोमवार को सुनवाई करेंगे.

गौरतलब है कि पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट ने गुरुवार को हरियाणा सरकार को झटका देते हुए राज्‍य के निवासियों को निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण के निर्णय पर रोक लगा दी है. हरियाणा के इस आदेश को फरीदाबाद इंडस्ट्री एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए चुनौती दी थी और इसे रद्द करने की हाईकोर्ट से मांग की थी. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी और इस पर सरकार को जवाब दिए जाने के आदेश दिए.

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वहीं हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये अधिनियम संविधान की धारा 16 (2) का भी उल्लंघन करता है जिसके अनुसार रोजगार के संदर्भ में किसी भी नागरिक से धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, वंश, जन्मस्थान, निवास स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा. प्रदेश की गठबंधन सरकार में शामिल जननायक जनता पार्टी (जजपा) का यह चुनावी वायदा था. जजपा नेता और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रतिक्रिया स्वरूप ट्वीट किया, ह्यहम हरियाणवी युवाओं को नौकरियों में 75 फीसदी रोजगार अवसरों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे.

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