चंडीगढ़: सरकार हरियाणा पराली जलाने के मामले (stubble burning case in Haryana ) कम करने के लिए पक्की व्यवस्था बनाने का दावा कर रही थी. इस बार सीजन शुरू होने से पहले सरकार ने पूरे विश्वास के साथ कहा था कि इस बार प्रदेश में पराली नहीं जलाने देंगे. प्रशासन भी पूरी तरह से तैयार होने का दावा कर रहा था, लेकिन इन सबके बावजूद पराली जलाने के मामले कम होने की जगह बढ़ते दिखाई दे रहे हैं. हैरानी की बात है कि हरियाणा में पराली जलाने के मामले पिछले साल की तुलना में ज्यादा हो गए.
चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एडिशनल प्रोफेसर और पर्यावरण एक्सपर्ट रविंद्र खैवाल ने इस बारे में ईटीवी भारत से कुछ खास जानकारियां साझा की. डॉ. रविंदर खैवाल ने बताया कि स्टबल बर्निंग को लेकर नासा द्वारा खास तौर से आंकड़े जारी किए जाते हैं. पराली जलाने की सैटेलाइट इमेज नासा (Stubble Burning Nasa Image) की ओर से भी जारी की जाती है, जिन्हें देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि किस इलाके में पराली जलाने के कितने मामले सामने आ रहे हैं.
आंकड़ों के आधार पर इस साल हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी (Stuble Burning Case increase in Haryana) दर्ज की गई है. सैटेलाइट से मिली तस्वीरों का आंकलन करने के बाद यह पता चलता है कि साल 2019 में पराली जलाने के 5500 स्पॉट दर्ज किए गए थे. वहीं साल 2020 में हरियाणा में पराली जलाने के मामले कम होकर पांच हजार मामले देखने को मिले, जबकि साल 2021 में यह मामले बढ़कर आठ हजार तक पहुंच गए और अभी इनका बढ़ना जारी है. यानि पिछले कई सालों की तुलना में इस साल 60 फीसदी ज्यादा हरियाणा में पराली जलाने के मामले सामने आ चुके है.
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वहीं पंजाब की बात की जाए तो वहां हालात और ज्यादा खराब है. पंजाब में साल 2019 में पराली जलाने के चालीस हजार स्पॉट दर्ज किए गए थे. साल 2020 में इनकी संख्या बढ़कर सत्तर हजार तक पहुंच गई, जबकि इस साल यह मामले 72,000 को पार कर चुके हैं और अभी लगातार बढ़ रहे हैं.
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हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में 60 फीसदी की वृद्धि को देखकर कहा जा सकता है कि सरकार के दावे सफल नहीं हो पाए. धान की कटाई का सीजन शुरू होने से पहले सरकार ने बड़ी बड़ी योजनाओं के बारे में बातें करते हुए कहा था कि इस साल पराली जलाने के मामलों में काफी कमी लाई जाएगी, लेकिन दावों के उलट कमी आने की जगह ऐसे मामले बढ़ रहे हैं.
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