चंडीगढ़: पराली जलाने का रियल टाइम आंकड़ा (Real time data of stubble burning) बताता है कि पिछले 15 सितंबर से 27 अक्टूबर तक जो आंकड़े पराली जलाने के इन दो राज्यों में सामने आए हैं, वे दोनों राज्यों के बीच के अंतर को खुद बयां कर रहे हैं. 27 अक्टूबर की ही बात करें तो पंजाब में 1111 मामले पराली जलाने के आए हैं. 26 और 27 अक्टूबर को ही पंजाब में पराली जलाने के 2349 मामले आए. जबकि इसके मुकाबले हरियाणा में इन 2 दिनों में 206 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं.
पराली जलाने के आंकड़े- हरियाणा में 27 अक्टूबर को 83 पराली जलाने के मामले आए वहीं उत्तर प्रदेश में 23, दिल्ली में 0, मध्य प्रदेश में 38 और राजस्थान में 21 मामले सामने दर्ज किये गये. जब हम 15 सितंबर से लेकर 27 अक्टूबर तक के आंकड़ों पर नजर डालते हैं तो जो तस्वीर सामने आती है वह चौंकाने वाली है. 15 सितंबर से लेकर 27 अक्टूबर तक पंजाब में पराली जलाने का आंकड़ा 8147 हो चुका है. जबकि दूसरी तरफ इसी के मुकाबले हरियाणा में यह आंकड़ा 1578 है. जो करीब करीब 6 गुना का अंतर दिखा रहा है. जबकि अन्य राज्य जैसे उत्तर प्रदेश में 607, दिल्ली में पांच, मध्यप्रदेश में 305 और राजस्थान में अभी तक 144 मामले सामने आए हैं.
पंजाब सरकार के प्रयास- हरियाणा सरकार जहां प्रदेश में पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगा रही है तो वहीं पंजाब में स्थिति अलग है. राज्य सरकार इस तरह के मामलों में इतनी साफ दिखाई नहीं देती जिस तरह से हरियाणा में सरकार कदम उठा रही है. पंजाब सरकार का प्रयास था कि किसान पराली ना जलाएं तो उनको 2500 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. जिसमें सरकार ने योजना बनाई थी कि इसके तहत 500 पंजाब और 500 दिल्ली सरकार के साथ-साथ 1500 केंद्र दे लेकिन यह प्रयास सिरे नहीं चढ़ पाया.
![हरियाणा में पराली जलाने के मामले](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/hr-cha-01-parali-cases-punjab-haryana-7200136_28102022001341_2810f_1666896221_367.jpg)
इतना ही नहीं पंजाब सरकार ने कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी इस समस्या को लेकर जमीनी स्तर पर उतारा है. पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है. हालांकि पंजाब सरकार लगातार यह कह रही है कि पिछले सालों के मुकाबले पंजाब में इस बार पराली कम जलाई जा रही है. बावजूद इसके हरियाणा के मुकाबले में पंजाब का आंकड़ा बहुत ज्यादा है. हलांकि पंजाब में इस बार बीते सालों के मुकाबले आंकड़े कम दिखाई दे रहे हैं.
इसके अलावा राज्य सरकार जहां किसानों को जागरूक करने के लिए छात्रों की मदद लेने की कोशिश कर रही है वहीं पंजाब सरकार धान के भूसे को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने वाले पर्यावरण के अनुकूल उद्योगों को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही है. इसके साथ ही पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 5000 एकड़ में डी- डीकंपोजर घोल का छिड़काव किया जा रहा है.
पराली की समस्या को पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप धालीवाल भी एक चिंता का विषय बताते हैं. उनका कहना है कि उनकी सरकार किसानों को फसल विविधता को लेकर जागरूक कर रही है ताकि आने वाले दिनों में पराली की समस्या को ना सिर्फ कम किया जा सके बल्कि इसका स्थाई समाधान भी निकाला जा सके. इसके मुकाबले जब हरियाणा की बात आती है तो इसको लेकर ज्यादा एक्शन में दिखाई देते हैं. हरियाणा सरकार किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहन राशि दे रही है तो वहीं दंडात्मक कार्रवाई भी कर रही है. सरकार पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें प्रबंधन करने पर प्रति एकड़ 1000 की प्रोत्साहन राशि दे रही है.
इतना ही नहीं राज्य सरकार 2020 से मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत पराली की समस्या को कम करने के लिए किसानों को 7 हजार प्रति एकड़ दे रही है. यह आर्थिक मदद किसानों को सरकार उनकी 50 फीसदी से अधिक जमीन पर फसल विविधता लाने पर देती है. इससे ना सिर्फ पानी की बचत होती है बल्कि पराली की समस्या से भी निजात मिल रही है. इसके साथ ही सरकार पराली के प्रबंधन के लिए किसानों को मशीनें भी उपलब्ध करवा रही है.
पिछले साल पराली जलाने के आंकड़े- अगर हम हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों को ही देखें तो हरियाणा में साल 2020 में खरीफ की कटाई के मौसम में 9898 पराली जलाने के मामले आए थे जबकि साल 2021 में यह आंकड़ा 6987 था. जबकि ऐसा अभी तक यह आंकड़ा 1578 है. हालांकि अभी अंतिम आंकड़ों के लिए करीब 2 सप्ताह का और इंतजार करना पड़ेगा. जिसके बाद हरियाणा की स्थिति और बेहतर तरीके से साफ हो पाएगी.
इसके मुकाबले पंजाब की बात करें तो खरीफ की फसल के दौरान साल 2020 में पंजाब में पराली जलाने के मामले (Stubble Burning Cases in Punjab) 76 हजार 500 से ज्यादा थे. वहीं साल 2021 में ये आंकड़ा 71 हजार से अधिक था. इन्हीं आंकड़ों के आधार पर पंजाब सरकार लगातार कह रही है कि बीते सालों के मुकाबले पंजाब में इस बार पराली कम जली है. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि हरियाणा के मुकाबले अभी भी पंजाब में ज्यादा पराली जलाई जा रही है.
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