चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के मामले में पहले सात और दस नवंबर को पंजाब सरकार और अन्य राज्यों को कड़ी फटकार लगाई. वहीं लगातार दिल्ली, एनसीआर के बिगड़ते एक्यूआई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हर बार उनके हस्तक्षेप के बाद सरकारें इस मामले में गति पकड़ती है. सुप्रीम कोर्ट ने पराली के मामले में कड़ी कार्रवाई करने को भी कहा.
सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद पंजाब सरकार रफ्तार में आ गई है. हरियाणा में भी सरकार इसको लेकर गंभीर है. हालांकि हरियाणा में पंजाब के मुकाबले पराली कम जलाई जा रही है. अगर हम पंजाब की 15 सितंबर से ग्यारह नवंबर तक के पराली जलाने के ट्रेंड को देखें तो उसमें साफ नजर आता है कि पंजाब में इस अवधि में 3000 तक मामले पहुंच गये हैं. बड़ी बात यह है कि 29 अक्टूबर से 8 नवंबर तक पंजाब में हर रोज एक हजार से तीन हजार तक पराली जलाने के मामले दर्ज हुए हैं.
हरियाणा को पंजाब के मुकाबले में देखें तो जो आंकड़े बहुत ही कम हैं. हरियाणा में 15 सितंबर से 10 नवंबर तक के रियल टाइम मॉनिटरिंग डाटा के आंकड़ें बताते हैं कि इस अवधि में हरियाणा में 127 के बीच प्रतिदिन पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए. यही वजह है कि इस बार पंजाब के मुकाबले हरियाणा में 12 गुना कम मामले दर्ज हुए हैं.
बीते पांच दिन की बात करें तो सुप्रीम कोर्ट के रुख को देखते पंजाब सरकार की कार्रवाई का असर देखने को मिल रहा है. सात नवंबर को यह आंकड़ा 1515 था, वहीं आठ नवंबर को 2003 और अगले दो दिनों यानी नौ और दस नवंबर को यह आंकड़ा 639 और 6 रह गया. वहीं ग्यारह नवंबर को पराली जलाने का आंकड़ा 104 रहा.
हरियाणा में सात और आठ नवंबर को यह आंकड़ा 26 और 44 था. जबकि नौ और दस नवंबर को यह आंकड़ा 27 और जीरो रहा. यानि 10 नवंबर को पराली जलाने का कोई मामला हरियाणा में नहीं हुआ. जबकि ग्यारह नवंबर को आंकड़ा 27 रहा. इस बार के कुल पराली जलाने के मामलों को देखें तो 15 सितंबर से ग्यारह नवंबर तक पंजाब में 23730, हरियाणा में मात्र 1703, यूपी में 1568, दिल्ली में 4, राजस्थान में 1220 और मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 8379 दर्ज किया गया.
पिछले साल 15 सितंबर से 10 नवंबर तक पंजाब में पराली जलाने का आंकड़ा 40677 था. जबकि इस साल यह आंकड़ा 23730 है. जो कि करीब 17000 कम हैं. हरियाणा में बीते साल इस अवधि में पराली जलाने के मामले 2880 थे जबकि इस साल इसी अवधि में 1703 मामले सामने आए हैं. जो कि पिछले साल से करीब 1200 से कम हैं.
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