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हरियाणा का वो 'विकास पुरुष' जिसके राज में प्रदेशभर के मर्द घरों में छिपे बैठे थे! - haryana ke mukhyamantri

यकीनन बंसी लाल का वक्त हरियाणा के लिए बेहद शानदार रहा. गांव शहरों से कनेक्ट हुए, हर गांव में बिजली के पोल गाड़ दिए गए. पूरे हरियाणा में 'हरियाणा ट्यूरिज्म' की नींव रखी गई, लेकिन आज भी उनके साथ कुछ ऐसी कहानियां हैं जिसे पुराने लोग भयानक शब्दों के साथ पिरों कर पेश करते हैं.

चौधरी बंसी लाल, पूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा
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Published : Sep 28, 2019, 11:10 AM IST

Updated : Sep 28, 2019, 11:31 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा की राजनीति में आज भी तीन लालों को बेहद सम्मान से याद किया जाता है. इन तीन लालों के बिना तो मानों हरियाणा की राजनीति का बखान अधुरा है. ये तीनों लालों ने एक ही समय में ऐसी कहानियां गढ़ी हैं जिन्हें आज के दौर में भी हरियाणा के राजनीतिक पंडित बांचते हैं. आज हम बात सिर्फ उस लाल की कर रहे हैं जो तीनों में से सबसे पहले हरियाणा का सीएम बना. वो सूबे का तीसरा सीएम था. नाम था बंसी लाल.

बंसीलाल का जन्म 1927 में हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ था. 16 साल की उम्र में ही बंसीलाल पर्जा मंडल के सचिव बने. इसके बाद बंसीलाल ने पंजाब यूनिवर्सिटी से वकालत की डिग्री हासिल की. 1957 में बंसीलाल को भिवानी बार काउंसिल का अध्यक्ष चुना गया. बार काउंसिल का अध्यक्ष बनने के बाद बंसीलाल ने हरियाणा की राजनीति में कदम रखने का फैसला किया. साल 1959 में बंसीलाल को पहली बार जिला कांग्रेस कमेटी हिसार का अध्यक्ष बनाया गया. पार्टी का जिला अध्यक्ष बनने के बाद बंसीलाल की कामयाबी का सिलसिला शुरू हो गया. इसके बाद बंसीलाल कांग्रेस वर्किंग कमेटी और कांग्रेस संसदीय बोर्ड के मेंबर बने.

ये पढ़ें- विधानसभा चुनाव स्पेशल: जानिए हरियाणा के पहले सीएम के बारे में जिन्हें दलबदल नेता ले डूबे!

हरियाणा बनते ही राजनीतिक हैसियत बढ़ने लगी
हरियाणा के अलग राज्य बनने के बाद बंसीलाल की किस्मत को चार चांद लग गए. 1967 में बंसीलाल पहली बार विधायक चुने गए. विधायक चुने जाने के कुछ दिन बाद ही बंसीलाल हरियाणा के सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए. 1972 में बंसीलाल चुनाव जीतकर दोबारा से सत्ता में वापसी हुई और वह 1975 तक दूसरी बार सीएम रहे.

इंदिरा गांधी के बेहद करीबी थे बंसीलाल
बंसीलाल को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का करीबी माना जाता था. सीएम की कुर्सी जाने के बाद बंसीलाल इमरजेंसी के दौरान रक्षा मंत्री के पद पर रहे. इसी दौरान बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र की दोस्ती संजय गांधी से हो गई, लेकिन बंसीलाल की सियासत को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब भजनलाल जनता पार्टी तोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए.

बंसीलाल के लिए सबसे बड़े विलेन थे भजनलाल!
भजनलाल के आने के बाद बंसीलाल के किले में सेंध लगना शुरू हो गई. साल 1985 में बंसीलाल दोबारा से राज्य के सीएम बनने में कामयाब तो हुए, लेकिन 1987 में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. 1991 में जब कांग्रेस दोबारा सत्ता में वापस आई तो बंसीलाल की जगह भजनलाल को राज्य का सीएम बनाया गया. 1996 के चुनाव में बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी बनाने का फैसला किया और बीजेपी के सहयोग के साथ सरकार बनाने में कामयाब हुए.

ये पढ़ें- हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिसने प्रधानमंत्री को झुका दिया, लेकिन उसके अपने ही ले डूबे!

जब हरियाणा के मर्द घरों में छिपे फिरते थे!
साल था 1976 और महीना था सितम्बर का, संजय गांधी ने देश भर में पुरुष नसबंदी अनिवार्य का आदेश दिया. इस पुरुष नसबंदी के पीछे सरकार की मंशा देश की आबादी को नियंत्रित करना था. इस लोगों की मर्जी के बिना नसबंदी कराई गयी. संजय गांधी के परिवार नियोजन कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में बंसीलाल ने भरपूर सहयोग किया. नंबर-वन गेम के चक्कर में हरियाणा के ज्यादातर बूढ़े और जवानों की नसबंदी करा डाली. जनता पार्टी के राज में बंसीलाल पर अनेक केस चले और उन्हें जेल भी जाना पड़ा. उस वक्त एक नारा पूरे हरियाणा में खूब उछला था ”नसबंदी के तीन दलाल, इंदिरा-संजय और बंसीलाल.”

समर्थक आज भी उन्हें विकास पुरुष कहते हैं!
बंसीलाल को हरियाणा का ‘विकास पुरुष’ भी कहा जाता है. बंसीलाल के वक्त हरियाणा प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बना जहां हर गांव घर में बिजली पहुंचाई गई. सड़कें बनीं और नहरों का जाल बिछा दिया गया. नहरों का जो जाल उस वक्त हरियाणा में बिछ गया था वो उस वक्त देश के किसी हिस्से में नहीं था. हालांकि भिवानी के बाद आने वाले जिले महेंद्रगढ़ में जब बंसीलाल के बारे में बातें की जाती हैं तो कहते हैं कि आदमी तो बढ़िया थे, पर म्हारे कानी कम ध्यान दियो.

जब एक अधिकारी ने बंसीलाल को बाथरूम में बंधक बना दिया
बंसीलाल को लेकर आज भी एक कहावत काफी मशहूर है. ये समय था बगावती विधायक पंडित भगवत दयाल शर्मा की सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे तब बंसीलाल सबके शक के घेरे में थे. बगावती विधायकों को लग रहा था कि बंसीलाल उनके साथ वोट नहीं डालेंगे. ऐसे में वोटिंग वाले दिन बंसीलाल को विधानसभा नहीं पहुंचने देने की प्लानिंग बनाई गई. जिस ऑफिसर को यह काम दिया गया उसने पावर पॉलिटिक्स ऑफ हरियाणा के लेखक को बताया कि उन्होंने बंसीलाल को अपने घर बुलाया. जब बंसीलाल बाथरूम गए तो उन्होंने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया. उन्हें तब तक बाथरूम से बाहर नहीं आने दिया गया जब तक विधानसभा में भगवत दयाल शर्मा की सरकार गिरा नहीं दी गई. आगे चलकर जब बंसीलाल मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने सबसे पहला काम इस ऑफिसर को सस्पेंड करने का किया था.

ये पढ़ें- जुलाना विधानसभा की 'जनता का घोषणा पत्र': सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं पर देना चाहिए ध्यान

राजनीति के अर्श से फर्श तक का सफर
वो साल 2000 था. बंसीलाल की सियासत को तगड़ा झटका लगा. बंसीलाल की पार्टी राज्य में सिर्फ 2 सीटों पर सिमट गई और बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र भी चुनाव हार गए. 2004 के लोकसभा चुनाव में भी बंसीलाल की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. इसके बाद सुरेंद्र ने पिता से अलग लाइन लेते हुए हरियाणा विकास पार्टी का कांग्रेस में विलय का फैसला कर लिया. 2005 में बंसीलाल ने कांग्रेस की तरफ से चुनाव नहीं लड़ने निर्णय लिया. 2005 में बंसीलाल के दोनों बेटे सुरेंद्र और रणबीर चुनाव जीतने में कामयाब हुए. भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में सुरेंद्र को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया. मंत्री बनने के कुछ वक्त बाद ही एक विमान हादसे में बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र का निधन हो गया. सुरेंद्र के निधन के बाद उनकी पत्नी किरण चौधरी ने हरियाणा की सियासत में कदम रखा और तोशाम से विधायक बनने में कामयाब हुईं. 2006 में बंसीलाल का भी निधन हो गया.

करियर

  • स्वतंत्रता सेनानी थे. 1943 से 1944 तक लोहारू राज्य में परजा मंडल के सचिव थे.
  • बंसीलाल 1957 से 1958 तक बार एसोसिएशन, भिवानी के अध्यक्ष थे. वह 1959 से 1962 तक जिला कांग्रेस कमेटी, हिसार के अध्यक्ष थे और बाद में वे कांग्रेस कार्यकारिणी समिति तथा कांग्रेस संसदीय बोर्ड के सदस्य बने.
  • 1958 से 1962 के बीच पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के सदस्य थे.
  • 1980-82 के बीच संसदीय समिति और सरकारी उपक्रम समिति और 1982-84 के बीच प्राक्कलन समिति के भी अध्यक्ष थे
  • 31 दिसम्बर 1984 को रेल मंत्री और बाद में परिवहन मंत्री बने.
  • 1960 से 2006 और 1976 से 1980 तक राज्य सभा के सदस्य थे. वे 1980 से 1984, 1985 से 1986 और 1989 से 1991 तक लोकसभा के सदस्य थे.
  • 1996 में कांग्रेस से अलग होने के बाद, बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी की स्थापना की एवं शराबबंदी के उनके अभियान ने उन्हें उसी साल विधानसभा चुनाव में सत्ता तक पहुंचा दिया.
  • बंसीलाल की 28 मार्च 2006 को नई दिल्ली में बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई.

चंडीगढ़: हरियाणा की राजनीति में आज भी तीन लालों को बेहद सम्मान से याद किया जाता है. इन तीन लालों के बिना तो मानों हरियाणा की राजनीति का बखान अधुरा है. ये तीनों लालों ने एक ही समय में ऐसी कहानियां गढ़ी हैं जिन्हें आज के दौर में भी हरियाणा के राजनीतिक पंडित बांचते हैं. आज हम बात सिर्फ उस लाल की कर रहे हैं जो तीनों में से सबसे पहले हरियाणा का सीएम बना. वो सूबे का तीसरा सीएम था. नाम था बंसी लाल.

बंसीलाल का जन्म 1927 में हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ था. 16 साल की उम्र में ही बंसीलाल पर्जा मंडल के सचिव बने. इसके बाद बंसीलाल ने पंजाब यूनिवर्सिटी से वकालत की डिग्री हासिल की. 1957 में बंसीलाल को भिवानी बार काउंसिल का अध्यक्ष चुना गया. बार काउंसिल का अध्यक्ष बनने के बाद बंसीलाल ने हरियाणा की राजनीति में कदम रखने का फैसला किया. साल 1959 में बंसीलाल को पहली बार जिला कांग्रेस कमेटी हिसार का अध्यक्ष बनाया गया. पार्टी का जिला अध्यक्ष बनने के बाद बंसीलाल की कामयाबी का सिलसिला शुरू हो गया. इसके बाद बंसीलाल कांग्रेस वर्किंग कमेटी और कांग्रेस संसदीय बोर्ड के मेंबर बने.

ये पढ़ें- विधानसभा चुनाव स्पेशल: जानिए हरियाणा के पहले सीएम के बारे में जिन्हें दलबदल नेता ले डूबे!

हरियाणा बनते ही राजनीतिक हैसियत बढ़ने लगी
हरियाणा के अलग राज्य बनने के बाद बंसीलाल की किस्मत को चार चांद लग गए. 1967 में बंसीलाल पहली बार विधायक चुने गए. विधायक चुने जाने के कुछ दिन बाद ही बंसीलाल हरियाणा के सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए. 1972 में बंसीलाल चुनाव जीतकर दोबारा से सत्ता में वापसी हुई और वह 1975 तक दूसरी बार सीएम रहे.

इंदिरा गांधी के बेहद करीबी थे बंसीलाल
बंसीलाल को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का करीबी माना जाता था. सीएम की कुर्सी जाने के बाद बंसीलाल इमरजेंसी के दौरान रक्षा मंत्री के पद पर रहे. इसी दौरान बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र की दोस्ती संजय गांधी से हो गई, लेकिन बंसीलाल की सियासत को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब भजनलाल जनता पार्टी तोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए.

बंसीलाल के लिए सबसे बड़े विलेन थे भजनलाल!
भजनलाल के आने के बाद बंसीलाल के किले में सेंध लगना शुरू हो गई. साल 1985 में बंसीलाल दोबारा से राज्य के सीएम बनने में कामयाब तो हुए, लेकिन 1987 में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. 1991 में जब कांग्रेस दोबारा सत्ता में वापस आई तो बंसीलाल की जगह भजनलाल को राज्य का सीएम बनाया गया. 1996 के चुनाव में बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी बनाने का फैसला किया और बीजेपी के सहयोग के साथ सरकार बनाने में कामयाब हुए.

ये पढ़ें- हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिसने प्रधानमंत्री को झुका दिया, लेकिन उसके अपने ही ले डूबे!

जब हरियाणा के मर्द घरों में छिपे फिरते थे!
साल था 1976 और महीना था सितम्बर का, संजय गांधी ने देश भर में पुरुष नसबंदी अनिवार्य का आदेश दिया. इस पुरुष नसबंदी के पीछे सरकार की मंशा देश की आबादी को नियंत्रित करना था. इस लोगों की मर्जी के बिना नसबंदी कराई गयी. संजय गांधी के परिवार नियोजन कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में बंसीलाल ने भरपूर सहयोग किया. नंबर-वन गेम के चक्कर में हरियाणा के ज्यादातर बूढ़े और जवानों की नसबंदी करा डाली. जनता पार्टी के राज में बंसीलाल पर अनेक केस चले और उन्हें जेल भी जाना पड़ा. उस वक्त एक नारा पूरे हरियाणा में खूब उछला था ”नसबंदी के तीन दलाल, इंदिरा-संजय और बंसीलाल.”

समर्थक आज भी उन्हें विकास पुरुष कहते हैं!
बंसीलाल को हरियाणा का ‘विकास पुरुष’ भी कहा जाता है. बंसीलाल के वक्त हरियाणा प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बना जहां हर गांव घर में बिजली पहुंचाई गई. सड़कें बनीं और नहरों का जाल बिछा दिया गया. नहरों का जो जाल उस वक्त हरियाणा में बिछ गया था वो उस वक्त देश के किसी हिस्से में नहीं था. हालांकि भिवानी के बाद आने वाले जिले महेंद्रगढ़ में जब बंसीलाल के बारे में बातें की जाती हैं तो कहते हैं कि आदमी तो बढ़िया थे, पर म्हारे कानी कम ध्यान दियो.

जब एक अधिकारी ने बंसीलाल को बाथरूम में बंधक बना दिया
बंसीलाल को लेकर आज भी एक कहावत काफी मशहूर है. ये समय था बगावती विधायक पंडित भगवत दयाल शर्मा की सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे तब बंसीलाल सबके शक के घेरे में थे. बगावती विधायकों को लग रहा था कि बंसीलाल उनके साथ वोट नहीं डालेंगे. ऐसे में वोटिंग वाले दिन बंसीलाल को विधानसभा नहीं पहुंचने देने की प्लानिंग बनाई गई. जिस ऑफिसर को यह काम दिया गया उसने पावर पॉलिटिक्स ऑफ हरियाणा के लेखक को बताया कि उन्होंने बंसीलाल को अपने घर बुलाया. जब बंसीलाल बाथरूम गए तो उन्होंने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया. उन्हें तब तक बाथरूम से बाहर नहीं आने दिया गया जब तक विधानसभा में भगवत दयाल शर्मा की सरकार गिरा नहीं दी गई. आगे चलकर जब बंसीलाल मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने सबसे पहला काम इस ऑफिसर को सस्पेंड करने का किया था.

ये पढ़ें- जुलाना विधानसभा की 'जनता का घोषणा पत्र': सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं पर देना चाहिए ध्यान

राजनीति के अर्श से फर्श तक का सफर
वो साल 2000 था. बंसीलाल की सियासत को तगड़ा झटका लगा. बंसीलाल की पार्टी राज्य में सिर्फ 2 सीटों पर सिमट गई और बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र भी चुनाव हार गए. 2004 के लोकसभा चुनाव में भी बंसीलाल की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. इसके बाद सुरेंद्र ने पिता से अलग लाइन लेते हुए हरियाणा विकास पार्टी का कांग्रेस में विलय का फैसला कर लिया. 2005 में बंसीलाल ने कांग्रेस की तरफ से चुनाव नहीं लड़ने निर्णय लिया. 2005 में बंसीलाल के दोनों बेटे सुरेंद्र और रणबीर चुनाव जीतने में कामयाब हुए. भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में सुरेंद्र को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया. मंत्री बनने के कुछ वक्त बाद ही एक विमान हादसे में बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र का निधन हो गया. सुरेंद्र के निधन के बाद उनकी पत्नी किरण चौधरी ने हरियाणा की सियासत में कदम रखा और तोशाम से विधायक बनने में कामयाब हुईं. 2006 में बंसीलाल का भी निधन हो गया.

करियर

  • स्वतंत्रता सेनानी थे. 1943 से 1944 तक लोहारू राज्य में परजा मंडल के सचिव थे.
  • बंसीलाल 1957 से 1958 तक बार एसोसिएशन, भिवानी के अध्यक्ष थे. वह 1959 से 1962 तक जिला कांग्रेस कमेटी, हिसार के अध्यक्ष थे और बाद में वे कांग्रेस कार्यकारिणी समिति तथा कांग्रेस संसदीय बोर्ड के सदस्य बने.
  • 1958 से 1962 के बीच पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के सदस्य थे.
  • 1980-82 के बीच संसदीय समिति और सरकारी उपक्रम समिति और 1982-84 के बीच प्राक्कलन समिति के भी अध्यक्ष थे
  • 31 दिसम्बर 1984 को रेल मंत्री और बाद में परिवहन मंत्री बने.
  • 1960 से 2006 और 1976 से 1980 तक राज्य सभा के सदस्य थे. वे 1980 से 1984, 1985 से 1986 और 1989 से 1991 तक लोकसभा के सदस्य थे.
  • 1996 में कांग्रेस से अलग होने के बाद, बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी की स्थापना की एवं शराबबंदी के उनके अभियान ने उन्हें उसी साल विधानसभा चुनाव में सत्ता तक पहुंचा दिया.
  • बंसीलाल की 28 मार्च 2006 को नई दिल्ली में बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई.
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story about former chief minister bansi lal

 


Conclusion:
Last Updated : Sep 28, 2019, 11:31 AM IST
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