चंडीगढ़: पंजाब हरियाणा विधानसभा में हरियाणा को उसका हिस्सा पूरा नहीं मिल पा रहा है. वहीं हरियाणा विधानसभा में जगह की कमी के चलते अब हरियाणा की अलग विधानसभा होने का मुद्दा उठने लगा है. हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने सदन की कार्यवाही और सचिवालय के काम में आड़े आ रही जगह की कमी का स्थाई समाधान निकालने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं. गुप्ता ने संसद भवन और नवगठित राज्यों के आधुनिक विधान भवनों की तर्ज पर हरियाणा के लिए भी भव्य विधान भवन की मांग की है.
हरियाणा की अलग विधानसभा के लिए लिखा पत्र
इसको लेकर उन्होंने प्रदेश और केंद्र सरकार के साथ-साथ लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिख दिया है. विधानसभा अध्यक्ष ने पत्र में कहा है कि 2026 में प्रस्तावित परिसीमन में हरियाणा में लोकसभा की 14 और विधानसभा की 126 सीटें होने का अनुमान है, लेकिन विधानसभा के सदन में 90 विधायकों के बैठने की ही व्यवस्था है.
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हरियाणा विधानसभा स्पीकर ने कहा कि बदलते दौर में संसदीय कार्य का स्वरूप बदल रहा है. इसके लिए न सिर्फ पर्याप्त स्थान चाहिए बल्कि आधुनिक तकनीक से लेस संचार ढांचा भी वक्त की जरूरत बन चुका है इसलिए प्रदेश सरकार ने चंडीगढ़ प्रशासन से नए विधान भवन के लिए जगह की मांग की है. योजना में विपक्ष को साझीदार बनाने के लिए पत्र की प्रति विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी भेजी गई है.
55 साल से अभाव का दंश झेल रही हरियाणा विधानसभा
हरियाणा के मुख्यमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्रालय और लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि राज्य के अस्तित्व में आने के करीब 55 साल बाद भी हरियाणा विधानसभा स्थान अभाव का दंश झेल रही है. उन्होंने कहा कि पंजाब से बंटवारे के वक्त हुए समझौते के अनुसार हरियाणा को उसका पूरा हिस्सा नहीं मिल पाया है. दोनों प्रांतों का एक ही विधान भवन होने के कारण अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है.
दूसरे राज्यों का दिया उहादरण
देश के दूसरे राज्यों की मिसाल देते हुए गुप्ता ने कहा कि सभी राज्यों और कुछ केन्द्र शासित प्रदेशों के पास स्वतंत्र विधान भवन है. छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना, उत्तराखंड और इसके अलावा कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जहां पहले से विधानसभा भवन की इमारत होने बावजूद समय की मांग के अनुसार नवनिर्माण किए गए.
उन्होंने बताया कि पंजाब हरियाणा विधानसभा में हरियाणा के हिस्से को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से हरियाणा को पत्र लिखा गया था जिसमें कहा गया था कि उनके पास कोई ऐसे रिकॉर्ड नहीं हैं जिसमें कि बंटवारे के दौरान ऐसा तय किया गया हो. हरियाणा विधानसभा की तरफ से चंडीगढ़ प्रशासन को सभी रिकॉर्ड मुहैया करवा दिए गए हैं.
विधानसभा में नहीं है बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान
गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा सचिवालय में सेवारत करीब 350 अधिकारियों व कर्मचारियों के बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान नहीं है. इस कारण से एक कमरे में 3 से 4 शाखाओं को समयोजित करना पड़ा है. दो प्रदेशों का साझा विधान भवन होने के कारण पार्किंग समस्या भी परेशानी का सबब बन चुकी है. सत्र के दिनों में ये समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है. इसके साथ ही प्रवेश द्वारों का मसला भी कई बार सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी बन जाता है.
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