चंडीगढ़: हिंदू धर्म में भगवान शिव का बेहद उच्च स्थान हासिल है. इसी के नाते शिव जी का बेहद खास सावन महीना धार्मिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह मास महादेव की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
वैसे तो भोले भंडारी की कृपा हमेशा अपने भक्तों पर रहती है और भक्त भी श्रद्धा भाव से शिव रूप की पूजा पाठ विधान से करते हैं, लेकिन सावन के महीने में फूल, फल, मेवा, दक्षिणा, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि से भगवान शिव की पूजा की जाती है. मान्यता है कि भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए और अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
श्रावण माह से व्रत और साधना के चार माह अर्थात चातुर्मास प्रारंभ होते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती ने अपने दूसरे जन्म में शिव को प्राप्त करने हेतु युवावस्था में श्रावण महीने में कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न किया. इसलिए यह माह शिव जी को साधना, व्रत करके प्रसन्न करने का माना जाता है.
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