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सावन का तीसरा सोमवार: क्या आपको पता है लोग नंदी को कान में क्यों बताते हैं अपनी मनोकामना ? - शिव जी की पूजा

भगवान भोलेनाथ के लिए सावन का महीने बेहद प्रिय है. शिव भक्तों के सावन के सोमवार को शिवायल में (Sawan Lord Shiva Worship) तांता लग जाता है, लेकिन आपने भी देखा होगा कि शिव की प्रतिमा के सामने नंदी जी की प्रतिमा होती है. जिनके कान में लोग अपनी मनोकामना बताते हैं, क्या आपको पता है लोग ऐसा क्यों करते हैं.

why people tell Nandi in their ears
लोग नंदी को कान में क्यों बताते हैं अपनी मनोकामना
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Published : Aug 9, 2021, 7:29 AM IST

Updated : Aug 9, 2021, 4:54 PM IST

चंडीगढ़: सावन का पावन महीना (Sawan Ka mahina) चल रहा है. इस महीने श्रद्धालु शिव भक्ति में डूबे नजर आते हैं. खासकर सावन का सोमवार भक्तों के लिए काभी महत्वपूर्ण होता है. शिवालयों में तो भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि शिव मंदिर में हमेशा शिव की प्रतिमा के सामने नंदी क्यों होते हैं और लोग नंदी के कान में मनोकामना क्यों मांगते हैं, अगर नहीं पता तो चलिए हम आपको इसके पीछे की रोचक कहानी (Lord Shiva Interesting Story) बताते हैं.

शिव मंदिर में शिव प्रतिमा के सामने नंदी की प्रतिमा देख आपके मन में सवाल उठता होगा की आखिर शिवालय में नंदी का विराजित होना जरूरी क्यों है?बताया जाता है कि ये एक परंपरा है जो कि एक मान्यता पर आधारित है. पौराणिक कहानी के मुताबिक श्रीलाद मुनि ने ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए तप में जीने का फैसला किया था. इससे वंश सामाप्त होता हुआ देख उनके पिता ने भगवान शिव को तप कर खुश किया और पुत्र का वरदान मांगा. भगवान शिव ने खुश होकर श्रीलाद के पुत्र रूप में प्रकट होने के वरदान दिया. कुछ समय बाद भूमि जोतते वक्त श्रीलाद को एक बालक मिला. जिसका नाम उन्होंने नंदी रखा.

ये पढे़ं- Horoscope Today 9 August 2021 राशिफल : मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, धनु, मीन राशि वाले रहें सावधान

कुछ समय बाद नंदी महादेव की तपस्या से मृत्यु को जीतने के लिए वन में चला गया. वन में उसने शिव का ध्यान आरंभ किया. इसको देख भगवान शिव नंदी के तप से प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि वत्स नंदी तुम मृत्यु और भय से मुक्त अजर और अमर है. इसके साथ ही ये भी वरदान दिया कि जहां उनका निवास होगा वहां नंदी भी विराजमान होंगे. मान्यता ये भी है कि अगर अपनी मनोकामना नंदी के कान में डाल दें तो नदीं उस मनोकामना को भगवान शिव तक जरूर पहुंचाते हैं.

ये पढे़ं- सावन का तीसरा सोमवार: जानिए किस मुहूर्त में करें भगवान शिव की पूजा

चंडीगढ़: सावन का पावन महीना (Sawan Ka mahina) चल रहा है. इस महीने श्रद्धालु शिव भक्ति में डूबे नजर आते हैं. खासकर सावन का सोमवार भक्तों के लिए काभी महत्वपूर्ण होता है. शिवालयों में तो भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि शिव मंदिर में हमेशा शिव की प्रतिमा के सामने नंदी क्यों होते हैं और लोग नंदी के कान में मनोकामना क्यों मांगते हैं, अगर नहीं पता तो चलिए हम आपको इसके पीछे की रोचक कहानी (Lord Shiva Interesting Story) बताते हैं.

शिव मंदिर में शिव प्रतिमा के सामने नंदी की प्रतिमा देख आपके मन में सवाल उठता होगा की आखिर शिवालय में नंदी का विराजित होना जरूरी क्यों है?बताया जाता है कि ये एक परंपरा है जो कि एक मान्यता पर आधारित है. पौराणिक कहानी के मुताबिक श्रीलाद मुनि ने ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए तप में जीने का फैसला किया था. इससे वंश सामाप्त होता हुआ देख उनके पिता ने भगवान शिव को तप कर खुश किया और पुत्र का वरदान मांगा. भगवान शिव ने खुश होकर श्रीलाद के पुत्र रूप में प्रकट होने के वरदान दिया. कुछ समय बाद भूमि जोतते वक्त श्रीलाद को एक बालक मिला. जिसका नाम उन्होंने नंदी रखा.

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कुछ समय बाद नंदी महादेव की तपस्या से मृत्यु को जीतने के लिए वन में चला गया. वन में उसने शिव का ध्यान आरंभ किया. इसको देख भगवान शिव नंदी के तप से प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि वत्स नंदी तुम मृत्यु और भय से मुक्त अजर और अमर है. इसके साथ ही ये भी वरदान दिया कि जहां उनका निवास होगा वहां नंदी भी विराजमान होंगे. मान्यता ये भी है कि अगर अपनी मनोकामना नंदी के कान में डाल दें तो नदीं उस मनोकामना को भगवान शिव तक जरूर पहुंचाते हैं.

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Last Updated : Aug 9, 2021, 4:54 PM IST
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