चंडीगढ़: पूरे देश में पानी से हाहाकार मचा हुआ है. नदियां उफान पर हैं या यूं कहें कि आधा देश पानी में डूबा हुआ है. हरियाणा भी इस मुसीबत से अछूता नहीं है. उफान मारती ये दरिया लोगों और किसानों की मुसीबतों का जरिया बन गई है.
यमुना खतरे के निशान से ऊपर
यमुना नदी में बढ़ते जलस्तर से हरियाणा के कई जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. मंगलवार सुबह यमुना नदी का जलस्तर खतरे के स्तर 205.33 मीटर से बढ़कर 205.94 मीटर पर तक पहुंच गया. यमुना के बढ़ते जलस्तर से दिल्ली के साथ ही हरियाणा भी अलर्ट पर है.
जलस्तर में गिरावट लेकिन नहीं मिलेगी राहत
राहत की बात है कि यमुना के साथ-साथ मारकंडा, घग्गर और टांगरी के जलस्तर में भी कमी आई है लेकिन फिर भी प्रदेश के 9 जिलों में इन नदियों के आसपास रह रहे हजारों लोग बाढ़ से अब भी प्रभावित हैं. मंगलवार को मारकंडा और यमुना का तटबंध टूटने से कई गांवों पर अब भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.
40 हजार एकड़ फसल जलमग्न है
बाढ़ में फंसे कई परिवारों को बचाव दल द्वारा निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. करीब 40 हजार एकड़ में फसल जलमग्न हैं. हरियाणा के मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने बताया कि दिल्ली के बाद यह पानी फरीदाबाद और पलवल में पहुंचेगा. इन दोनों जिलों में नदी के साथ लगते निचले इलाकों से लगभग 500 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है.
फसलें बर्बाद लेकिन लोग सुरक्षित
हथिनीकुंड बैराज से यमुना में छोड़ा गया 8.28 लाख क्यूसेक पानी सोनीपत पहुंचने के बाद 1000 हजार एकड़ में लगी धान, मक्के, सब्जियों की फसलें डूबा गई हैं. बचाव टीम ने बाढ़ में फंसे 27 परिवारों को वहां से निकालकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है.
किसानों की बढ़ी चिंता
यमुना के उफान से मंगलवार को पुल के पास बना तटबंध टूट गया. इसके बाद एनएचएआई के अधिकारियों ने सनौली-हरिद्वार मार्ग पर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी. हालांकि किसानों की करीब 35 हजार एकड़ फसल प्रभावित हुई है. अधिकारियों का कहना है कि बुधवार तक पानी भी गांवों से निकल जाएगा, जबकि किसानों की चिंता है कि पानी तो उतर जाएगा, पर बाढ़ से हुए नुकसान के कारण कर्ज कैसे उतरेगा?