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यमुना के बढ़ते जलस्तर से हरियाणा के कई जिलों में बढ़ा बाढ़ का खतरा

यमुना नदी में बढ़ते जलस्तर से हरियाणा के कई जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. मंगलवार सुबह यमुना नदी का जलस्तर खतरे के स्तर 205.33 मीटर से बढ़कर 205.94 मीटर पर तक पहुंच गया. यमुना के बढ़ते जलस्तर से दिल्ली के साथ ही हरियाणा भी अलर्ट पर है.

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Published : Aug 21, 2019, 11:29 AM IST

yamuva river overflowing

चंडीगढ़: पूरे देश में पानी से हाहाकार मचा हुआ है. नदियां उफान पर हैं या यूं कहें कि आधा देश पानी में डूबा हुआ है. हरियाणा भी इस मुसीबत से अछूता नहीं है. उफान मारती ये दरिया लोगों और किसानों की मुसीबतों का जरिया बन गई है.

यमुना खतरे के निशान से ऊपर

यमुना नदी में बढ़ते जलस्तर से हरियाणा के कई जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. मंगलवार सुबह यमुना नदी का जलस्तर खतरे के स्तर 205.33 मीटर से बढ़कर 205.94 मीटर पर तक पहुंच गया. यमुना के बढ़ते जलस्तर से दिल्ली के साथ ही हरियाणा भी अलर्ट पर है.

जलस्तर में गिरावट लेकिन नहीं मिलेगी राहत

राहत की बात है कि यमुना के साथ-साथ मारकंडा, घग्गर और टांगरी के जलस्तर में भी कमी आई है लेकिन फिर भी प्रदेश के 9 जिलों में इन नदियों के आसपास रह रहे हजारों लोग बाढ़ से अब भी प्रभावित हैं. मंगलवार को मारकंडा और यमुना का तटबंध टूटने से कई गांवों पर अब भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.

40 हजार एकड़ फसल जलमग्न है

बाढ़ में फंसे कई परिवारों को बचाव दल द्वारा निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. करीब 40 हजार एकड़ में फसल जलमग्न हैं. हरियाणा के मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने बताया कि दिल्ली के बाद यह पानी फरीदाबाद और पलवल में पहुंचेगा. इन दोनों जिलों में नदी के साथ लगते निचले इलाकों से लगभग 500 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है.

फसलें बर्बाद लेकिन लोग सुरक्षित

हथिनीकुंड बैराज से यमुना में छोड़ा गया 8.28 लाख क्यूसेक पानी सोनीपत पहुंचने के बाद 1000 हजार एकड़ में लगी धान, मक्के, सब्जियों की फसलें डूबा गई हैं. बचाव टीम ने बाढ़ में फंसे 27 परिवारों को वहां से निकालकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है.

किसानों की बढ़ी चिंता

यमुना के उफान से मंगलवार को पुल के पास बना तटबंध टूट गया. इसके बाद एनएचएआई के अधिकारियों ने सनौली-हरिद्वार मार्ग पर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी. हालांकि किसानों की करीब 35 हजार एकड़ फसल प्रभावित हुई है. अधिकारियों का कहना है कि बुधवार तक पानी भी गांवों से निकल जाएगा, जबकि किसानों की चिंता है कि पानी तो उतर जाएगा, पर बाढ़ से हुए नुकसान के कारण कर्ज कैसे उतरेगा?

चंडीगढ़: पूरे देश में पानी से हाहाकार मचा हुआ है. नदियां उफान पर हैं या यूं कहें कि आधा देश पानी में डूबा हुआ है. हरियाणा भी इस मुसीबत से अछूता नहीं है. उफान मारती ये दरिया लोगों और किसानों की मुसीबतों का जरिया बन गई है.

यमुना खतरे के निशान से ऊपर

यमुना नदी में बढ़ते जलस्तर से हरियाणा के कई जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. मंगलवार सुबह यमुना नदी का जलस्तर खतरे के स्तर 205.33 मीटर से बढ़कर 205.94 मीटर पर तक पहुंच गया. यमुना के बढ़ते जलस्तर से दिल्ली के साथ ही हरियाणा भी अलर्ट पर है.

जलस्तर में गिरावट लेकिन नहीं मिलेगी राहत

राहत की बात है कि यमुना के साथ-साथ मारकंडा, घग्गर और टांगरी के जलस्तर में भी कमी आई है लेकिन फिर भी प्रदेश के 9 जिलों में इन नदियों के आसपास रह रहे हजारों लोग बाढ़ से अब भी प्रभावित हैं. मंगलवार को मारकंडा और यमुना का तटबंध टूटने से कई गांवों पर अब भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.

40 हजार एकड़ फसल जलमग्न है

बाढ़ में फंसे कई परिवारों को बचाव दल द्वारा निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. करीब 40 हजार एकड़ में फसल जलमग्न हैं. हरियाणा के मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने बताया कि दिल्ली के बाद यह पानी फरीदाबाद और पलवल में पहुंचेगा. इन दोनों जिलों में नदी के साथ लगते निचले इलाकों से लगभग 500 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है.

फसलें बर्बाद लेकिन लोग सुरक्षित

हथिनीकुंड बैराज से यमुना में छोड़ा गया 8.28 लाख क्यूसेक पानी सोनीपत पहुंचने के बाद 1000 हजार एकड़ में लगी धान, मक्के, सब्जियों की फसलें डूबा गई हैं. बचाव टीम ने बाढ़ में फंसे 27 परिवारों को वहां से निकालकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है.

किसानों की बढ़ी चिंता

यमुना के उफान से मंगलवार को पुल के पास बना तटबंध टूट गया. इसके बाद एनएचएआई के अधिकारियों ने सनौली-हरिद्वार मार्ग पर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी. हालांकि किसानों की करीब 35 हजार एकड़ फसल प्रभावित हुई है. अधिकारियों का कहना है कि बुधवार तक पानी भी गांवों से निकल जाएगा, जबकि किसानों की चिंता है कि पानी तो उतर जाएगा, पर बाढ़ से हुए नुकसान के कारण कर्ज कैसे उतरेगा?

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हरियाणा में तबाही मचाकर यमुना का पानी मंगलवार शाम दिल्ली पहुंच गया है। राहत की बात है कि यमुना के साथ-साथ मारकंडा, घग्गर और टांगरी के जलस्तर में भी कमी आई है। फिर भी प्रदेश के नौ जिलों में इन नदियों के आसपास रह रहे हजारों लोग बाढ़ से अब भी प्रभावित हैं। मंगलवार को मारकंडा और यमुना का तटबंध टूटने से कई गांवों पर अब भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। 

बाढ़ में फंसे कई परिवारों को बचाव दल ने निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। करीब 40 हजार एकड़ में फसल जलमग्न हैं। सरकार की ओर से हर प्रकार के हालात से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम के दावे किए गए हैं। हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने वीसी के जरिए केंद्र सरकार के कैबिनेट सेक्रेटरी प्रदीप कुमार सिन्हा को बताया कि यमुना का पानी दिल्ली पहुंच गया है।



सोनीपत और करनाल से 25 परिवारों को दूसरे स्थान पर सुरक्षित पहुंचा दिया गया है। सरकार की ओर से हर प्रकार के हालात से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली के बाद यह पानी फरीदाबाद और पलवल में पहुंचेगा। इन दोनों जिलों में नदी के साथ लगते निचले इलाकों से लगभग 500 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है। अरोड़ा ने बताया कि यमुना, मारकंडा, टांगरी और घग्गर में पानी के स्तर में कमी आ रही है। 

हथिनीकुंड बैराज से यमुना में छोड़ा गया 8.28 लाख क्यूसेक पानी सोनीपत पहुंचने के बाद 1000 हजार एकड़ में लगी धान, मक्के, सब्जियों की फसलें डूब गई हैं। सोमवार तक यमुना के तटबंध के अंदर ही फसलें ही डूबी थीं, लेकिन मंगलवार को पानी बांध से उतरकर खेतों तक पहुंच गया है। टोकी गांव में भी पानी घुसने के बाद प्रशासन ने लोगों से दोबारा गांव को खाली कराकर लिया है। 



अंबाला में छह हजार परिवार बाढ़ से प्रभावित 

मारकंडा के उफनने से जफरपुर, रामपुर, हेमा माजरा, घेलड़ी, ब्राह्मण माजरा, तंदवाल, सुभरी, उगाड़ा और डुलियानी गांव प्रभावित हैं। बाढ़ से इन गांवों के करीब 6 हजार परिवार प्रभावित हैं। नदी क्षेत्र और उसके आसपास के गांवों में करीब एक हजार एकड़ फसल जलमग्न हो गई है। 

 

27 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया 

शाहाबाद और इस्माईलाबाद क्षेत्र में मारकंडा का तटबंध टूटने से कई गांव एवं खेत जलमग्न हो गए हैं। बचाव टीम ने बाढ़ में फंसे 27 परिवारों को निकालकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। मारकंडा का जलस्तर खतरे के निशान से अब तीन गुना ऊपर 42 हजार क्यूसेक है। इससे तटवर्ती गांवों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं।

गुहला-चीकाः घग्गर का जलस्तर पहुंचा खतरे के निशान के करीब

घग्गर का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंचने के कारण उसके साथ लगते नौगांवों में सैकड़ों एकड़ धान की फसल दूसरी बार पानी की चपेट में आ गई है। सिंचाई विभाग के जेई नवीन कुमार ने बताया कि पानी अभी खतरे के निशान से दो फुट नीचे है, इसलिए अभी खतरे वाली कोई बात नहीं।



यमुनानगरः नेशनल-स्टेट हाईवे समेत सभी प्रमुख सड़कें क्षतिग्रस्त

यमुना में भले ही अब 60 हजार क्यूसेक ही पानी छोड़ा जा रहा हो, लेकिन बाढ़ से नेशनल हाईवे और लिंक रोड को काफी नुकसान पहुंचा है। कई गांवों का शहर से संपर्क टूट चुका है। उधर, जठलाना और गुमथला में बाढ़ के पानी से कृषि भूमि का कटाव जारी है। बिलासपुर क्षेत्र की ज्यादातर सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है। बाढ़ प्रभावित गांवों में हजारों एकड़ में लगी फसल बाढ़ में डूबी हुई है। रादौर क्षेत्र में भी नदी के किनारे सैकड़ों एकड़ भूमि और फसल नदी में समा चुकी है। 



सनौलीः तटबंध टूटा, हरिद्वार-सनौली रोड भारी वाहनों के लिए बंद 

यमुना के उफान से मंगलवार को पुल के पास बना तटबंध टूट गया। इसके बाद एनएचएआई के अधिकारियों ने सनौली-हरिद्वार मार्ग पर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी। तटबंध टूटन से कई गांवों में पानी घुसने का खतरा हो गया है। करीब 80 बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गों को इंजन बोट से गांव मिर्जापुर लाया गया हैं। 



करनालः किसानों की करीब 35 हजार एकड़ फसल प्रभावित

बाढ़ में डूबे गांवों में अब हालात सामान्य होने लगे हैं। हालांकि किसानों की करीब 35 हजार एकड़ फसल प्रभावित हुई है। अधिकारियों का दावा है कि बुधवार तक पानी भी गांवों से निकल जाएगा, जबकि किसानों की चिंता है कि पानी तो उतर जाएगा, पर बाढ़ से हुए नुकसान के कारण कर्ज कैसे उतरेगा।


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