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Reservation In Haryana Private Sector: हरियाणा में निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण पर हुई सुनवाई, हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, सरकार ने कानून को बताया मूल निवासियों का हक

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 21, 2023, 10:42 PM IST

Reservation In Haryana Private Sector: हरियाणा में निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने एक बार फिर अपना फैसला रिजर्व रखा है. उद्योग मालिकों ने हरियाणा सरकार के इस कानून पर सवाल उठाए हैं. इससे पहले भी कोर्ट ने इस संबंध में फैसला सुरक्षित रखा था.

Reservation In Haryana Private Sector
हरियाणा में निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण पर हाईकोर्ट

चंडीगढ़: हरियाणा में निजी क्षेत्र में राज्य के लोगों को 75 फीसदी आरक्षण पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस फैसले के नवंबर में आने की उम्मीद जताई जा रही है. हरियाणा सरकार के इस कानून को लेकर उद्योग मालिकों ने सवाल उठाए हैं. ये पहली बार नहीं है कि कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है. इस कानून को लेकर कोर्ट ने पहले भी मार्च 2022 में फैसला सुरक्षित ही रखा था. तब हाईकोर्ट ने इस कानून के पक्ष और विरोध की सभी दलीलें सुनी थी. जिसके बाद अप्रैल 2023 में इसकी दोबारा सुनवाई शुरू की थी.

ये भी पढ़ें: 75% आरक्षण कानून: उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला बोले- रोक हटाने के लिए जल्द उठाएंगे कदम

क्या है कानून: दरअसल, हरियाणा सरकार ने स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 बनाया था. जिसमें तय किया कि निजी कंपनियों, सोसाइटी, ट्रस्ट, साझेदारी फर्म समेत ऐसे तमाम निजी सेक्टर में हरियाणा के युवाओं को नौकरी में 75 फीसदी रिजर्वेशन देना होगा. हालांकि इससे पहले भी तय किया गया था कि रिजर्वेशन सिर्फ उन्हीं निजी संस्थानों पर लागू होगा, जहां 10 या उससे ज्यादा लोi नौकरी कर रहे हों और वेतन 30 हजार रुपये प्रतिमाह से कम हो. इस मामले में साल 2021 में श्रम विभाग ने नोटिफिकेशन भी जारी किया था कि हरियाणा में नई पुरानी निजी कंपनियों में हरियाणा के मूल निवासियों को 75 फीसदी नौकरियां देनी होंगी.

कानून को सरकार ने बताया मूल निवासियों का अधिकार: हालांकि प्रदेश की गठबंधन सरकार का कहना है कि ये कानून राज्य के लोगों को उनका हक दिलाने के लिए बनाया गया है. वहीं, इस मामले में यह भी आदेश है कि जब तक हरियाणा के इस कानून की वैधता को लेकर हाईकोर्ट का फैसला नहीं आता, तब तक इसका पालन ना करने के मामले में सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती. बता दें कि हरियाणा की बीजेपी और जेजेपी की गठबंधन की सरकार हरियाणा के 75 परसेंट लोगों को प्रदेश के उद्योग में आरक्षण देने के इस कानून को अपनी बड़ी उपलब्धि बताती है. लेकिन इसको हाई कोर्ट में चुनौती देने के बाद इसके लागू होने को लेकर भी कई तरह के सवाल अभी बरकरार हैं.

ये भी पढ़ें: 75% आरक्षण कानून पर रोक: युवाओं को बरगलाने की कोशिश कर रही सरकार- सैलजा

चंडीगढ़: हरियाणा में निजी क्षेत्र में राज्य के लोगों को 75 फीसदी आरक्षण पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस फैसले के नवंबर में आने की उम्मीद जताई जा रही है. हरियाणा सरकार के इस कानून को लेकर उद्योग मालिकों ने सवाल उठाए हैं. ये पहली बार नहीं है कि कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है. इस कानून को लेकर कोर्ट ने पहले भी मार्च 2022 में फैसला सुरक्षित ही रखा था. तब हाईकोर्ट ने इस कानून के पक्ष और विरोध की सभी दलीलें सुनी थी. जिसके बाद अप्रैल 2023 में इसकी दोबारा सुनवाई शुरू की थी.

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क्या है कानून: दरअसल, हरियाणा सरकार ने स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 बनाया था. जिसमें तय किया कि निजी कंपनियों, सोसाइटी, ट्रस्ट, साझेदारी फर्म समेत ऐसे तमाम निजी सेक्टर में हरियाणा के युवाओं को नौकरी में 75 फीसदी रिजर्वेशन देना होगा. हालांकि इससे पहले भी तय किया गया था कि रिजर्वेशन सिर्फ उन्हीं निजी संस्थानों पर लागू होगा, जहां 10 या उससे ज्यादा लोi नौकरी कर रहे हों और वेतन 30 हजार रुपये प्रतिमाह से कम हो. इस मामले में साल 2021 में श्रम विभाग ने नोटिफिकेशन भी जारी किया था कि हरियाणा में नई पुरानी निजी कंपनियों में हरियाणा के मूल निवासियों को 75 फीसदी नौकरियां देनी होंगी.

कानून को सरकार ने बताया मूल निवासियों का अधिकार: हालांकि प्रदेश की गठबंधन सरकार का कहना है कि ये कानून राज्य के लोगों को उनका हक दिलाने के लिए बनाया गया है. वहीं, इस मामले में यह भी आदेश है कि जब तक हरियाणा के इस कानून की वैधता को लेकर हाईकोर्ट का फैसला नहीं आता, तब तक इसका पालन ना करने के मामले में सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती. बता दें कि हरियाणा की बीजेपी और जेजेपी की गठबंधन की सरकार हरियाणा के 75 परसेंट लोगों को प्रदेश के उद्योग में आरक्षण देने के इस कानून को अपनी बड़ी उपलब्धि बताती है. लेकिन इसको हाई कोर्ट में चुनौती देने के बाद इसके लागू होने को लेकर भी कई तरह के सवाल अभी बरकरार हैं.

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