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कोरोना मरीजों की मनोस्थिति को समझना है तो ये रिपोर्ट जरूर देखें

कोरोना संक्रमितों में मानसिक तनाव की समस्या सामने आ रही है. मरीज के लिए उस समय ये स्थिति और खराब हो जाती है, जब वो गहरे तनाव और डर में होता है. इसलिए डॉक्टरों और मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना मरीजों को अच्छा महसूस करवाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी परिवार और दोस्तों पर होती है.

report on mental stability of corona infected patient
report on mental stability of corona infected patient
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Published : Sep 7, 2020, 10:46 PM IST

चंडीगढ़: लोगों में कोरोना का डर इस कदर फैल चुका है कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना की चपेट में आ जाता है तो वो गहरे तनाव और डर में होता है. उसके आसपास के लोग भी उससे दूर भागना शुरू कर देते हैं. मरीज के लिए उस समय ये स्थिति और खराब हो जाती है, जब वो शारीरिक के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी परेशान होने लगे. इस बारे में हमने कोविड के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स से मरीजों की मनोस्थिति को लेकर खास बातचीत की.

कोरोना संक्रमितों में मानसिक तनाव की समस्या सामने आ रही है. कई जगह तो ऐसी खबरें भी सामने आईं, जहां कोरोना पॉजिटिव मरीजों ने आत्महत्या की कोशिश की. कोरोना की चिंता ऐसी है कि लोग काफी ज्यादा असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इससे बचने के लिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि कोरोना मरीजों के साथ अच्छे से पेश आयें और उनसे सहानुभूति दिखाएं.

कोरोना मरीजों की मनोस्थिति को समझना है तो ये रिपोर्ट जरूर देखें.

कोरोना मरीजों को साथ की बहुत जरूरत

मनोवैज्ञानिक नीरू अत्री कहती हैं कि कोरोना मरीज के लिए सबसे बेहतर सपोर्ट सिस्टम उसका परिवार होता है. एक मरीज को जब ये महसूस होता है कि उसका परिवार, उसके दोस्त उसके साथ हैं, तो वो जल्दी रिकवर होने लगता है.

किसी भी इंसान के लिए जितनी जिस्मानी सेहत जरूरी है उससे कहीं ज्यादा मानसिक स्थिति भी महत्वपूर्ण है. कई बार ऐसा होता है कि हमें व्यक्ति शारीरिक तौर पर एक दम स्वस्थ दिखता है लेकिन वो मानसिक रूप से कुछ और महसूस कर रहा होता है.

कोरोना के मामले में भी कुछ ऐसा ही है ये शरीर के साथ-साथ इंसान के मस्तिष्क पर भी गहरा असर डालता है, इसलिए जरूरी है कि कोरोना मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाए और उन्हें महसूस कराया जाये कि वो सुरक्षित हैं.

ये भी पढे़ं- साल के अंत तक तैयार हो सकती है को-वैक्सीन: रोहतक PGI

चंडीगढ़: लोगों में कोरोना का डर इस कदर फैल चुका है कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना की चपेट में आ जाता है तो वो गहरे तनाव और डर में होता है. उसके आसपास के लोग भी उससे दूर भागना शुरू कर देते हैं. मरीज के लिए उस समय ये स्थिति और खराब हो जाती है, जब वो शारीरिक के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी परेशान होने लगे. इस बारे में हमने कोविड के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स से मरीजों की मनोस्थिति को लेकर खास बातचीत की.

कोरोना संक्रमितों में मानसिक तनाव की समस्या सामने आ रही है. कई जगह तो ऐसी खबरें भी सामने आईं, जहां कोरोना पॉजिटिव मरीजों ने आत्महत्या की कोशिश की. कोरोना की चिंता ऐसी है कि लोग काफी ज्यादा असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इससे बचने के लिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि कोरोना मरीजों के साथ अच्छे से पेश आयें और उनसे सहानुभूति दिखाएं.

कोरोना मरीजों की मनोस्थिति को समझना है तो ये रिपोर्ट जरूर देखें.

कोरोना मरीजों को साथ की बहुत जरूरत

मनोवैज्ञानिक नीरू अत्री कहती हैं कि कोरोना मरीज के लिए सबसे बेहतर सपोर्ट सिस्टम उसका परिवार होता है. एक मरीज को जब ये महसूस होता है कि उसका परिवार, उसके दोस्त उसके साथ हैं, तो वो जल्दी रिकवर होने लगता है.

किसी भी इंसान के लिए जितनी जिस्मानी सेहत जरूरी है उससे कहीं ज्यादा मानसिक स्थिति भी महत्वपूर्ण है. कई बार ऐसा होता है कि हमें व्यक्ति शारीरिक तौर पर एक दम स्वस्थ दिखता है लेकिन वो मानसिक रूप से कुछ और महसूस कर रहा होता है.

कोरोना के मामले में भी कुछ ऐसा ही है ये शरीर के साथ-साथ इंसान के मस्तिष्क पर भी गहरा असर डालता है, इसलिए जरूरी है कि कोरोना मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाए और उन्हें महसूस कराया जाये कि वो सुरक्षित हैं.

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