चंडीगढ़: वैसे तो लॉकडाउन का असर समाज के हर वर्ग पर पड़ा है, लेकिन छात्रों पर इसका काफी ज्यादा असर देखने को मिला. लॉकडाउन की वजह से ना सिर्फ छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है, बल्कि उनकी दिनचर्या भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. घर में बंद रहने की वजह से शारीरिक और मानसिक तौर पर छात्र खुद को ठीक महसूस नहीं कर रहे हैं. लॉक डाउन के बाद अब स्कूल खुल चुके हैं और कोविड का खतरा भी कम होने लगा है जिसके बाद बच्चे फिर से अपनी सामान्य जिंदगी में लौटने की कोशिश कर रहे हैं. बहुत से बच्चों ने स्कूल जाना भी शुरू कर दिया है.
ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ सेक्टर-22 के सरकारी स्कूल में यह जानने की कोशिश की कि बच्चे किस प्रकार की समस्याओं को झेल रहे हैं और स्कूल अध्यापक किस तरह से उन समस्याओं को सुलझा कर बच्चों को सामान्य जिंदगी में लौटने के लिए सहायता कर रहे हैं.
बच्चों ने साझा की लॉकडाउन की मनोस्थिति
ईटीवी भारत से बात करते हुए स्कूली बच्चों ने कहा कि लॉकडाउन शुरू होने के बाद कुछ दिनों के तक उन्हें अच्छा लगा, लेकिन बाद में उन्हें बुरा महसूस होने लगा. न तो वह ठीक से पढ़ाई कर पा रहे थे, ना ही खेलने के लिए बाहर जा सकते थे. उनकी दिनचर्या पूरी तरह से बदल चुकी थी. वे हमेशा तनाव में रहने लगे थे और स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो गया था.
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सीनियर छात्रों को सताने लगी थी कैरियर की चिंता
11वीं और 12वीं क्लास के बच्चों को पढ़ाई की ज्यादा चिंता सताने लगी थी. उन्हें यह डर था कि अगर पढ़ाई में पिछड़ गए तो यह उनके पूरे कैरियर के लिए नुकसानदायक होगा. पूरा दिन मोबाइल और कंप्यूटर पर बिताने से उनकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ रहा था.
'स्कूल खुले तो बदले हालात'
अब जब स्कूल खुले तो उन्होंने धीरे-धीरे स्कूल आना शुरू किया तो अब उनकी दिनचर्या सामान्य होने लगी है. वह ठीक से पढ़ाई कर पा रहे हैं और खेलकूद भी शुरू हो गई है. जिससे अब उन्हें ज्यादा तनाव महसूस नहीं होता. अध्यापक उनके तनाव को कम करने के लिए हर तरह से प्रयास कर रहे हैं.
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जो बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं वो ऑनलाइन पढ़ रहे हैं
स्कूल अध्यापक एवं चंडीगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रधान स्वर्ण सिंह कंबोज का कहना है कि स्कूल में आने वाले छात्रों की संख्या फिलहाल कम है, लेकिन फिर भी बच्चों ने स्कूल आना शुरू कर दिया है. टीचर उनकी अच्छी तरह से पढ़ाई करवा रहा हैं. जो बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं टीचर उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं. टीचर पूरी तरह से बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं और बच्चे भी मन लगाकर पढ़ रहे हैं, क्योंकि कोविड की वजह से उनकी पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ है. बच्चे और टीचर दोनों ही उस नुकसान की भरपाई में लगे हुए हैं. बच्चों के मन में कोविड-19 का ज्यादा डर नहीं है, क्योंकि स्कूल में सभी तरह के प्रबंध किए गए हैं.
लॉकडाउन में ज्यादातर बच्चे हुए एंजाइटी का शिकार
स्कूली बच्चों के लिए काउंसलिंग करने वाले अध्यापक सुमित शर्मा ने बताया लॉक डाउन के दौरान बच्चे कई तरह की मानसिक समस्याओं से गुजर रहे थे. बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही थी, लेकिन बच्चे ठीक तरह से नहीं पढ़ पा रहे थे. एक तरफ उन्हें अपनी पढ़ाई की चिंता सता रही थी. वहीं घर में बैठे-बैठे बच्चे तनाव का शिकार भी हो रहे थे. बच्चों का व्यवहार चिड़चिड़ा भी होता जा रहा था. अब बच्चे स्कूल में आने लगे हैं.
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'लॉकडाउन में बच्चों का बिगड़ा टाइम टेबल'
उन्होंने कहा कि हम बच्चों से बात कर उनके मानसिक तनाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. लॉक डाउन के दौरान बच्चों की सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उनका टाइम टेबल बिगड़ चुका था. ना तो वह समय अनुसार पढ़ पा रहे थे. खेलना भी पूरी तरह से बंद हो चुका था. खाने-पीने का भी कोई टाइम टेबल नहीं था. स्कूल में आने के बाद हमने सबसे पहले बच्चों का टाइम टेबल फिक्स किया ताकि बच्चे समय पर पढ़ाई करें और समय पर खेलकूद करें. ऐसा करने पर बच्चों के मानसिक तनाव को कम करने में काफी सहायता मिली है. इसके अलावा भी हम बच्चों की समस्याओं को सुनते हैं और उन्हें दूर करते हैं ताकि बच्चे कैसे पहले की तरह पढ़ाई में ध्यान लगा सके.
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'खेलकूद बंद होने से बच्चे हो गए थे सुस्त'
स्पोर्ट्स टीचर भूपेंद्र सिंह ने बताया बच्चों के लिए पढ़ाई जितनी जरूरी है. खेलकूद का भी उतना ही महत्वपूर्ण स्थान है. लॉक डाउन के दौरान बच्चे ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई कर रहे थे. जिससे वह पढ़ाई से दूर नहीं हुए थे, लेकिन घर में रहने की वजह से उनका खेलना कूदना बिल्कुल बंद हो चुका था और इसका असर न सिर्फ उनकी शारीरिक सेहत बल्कि मानसिक सेहत पर भी दिखाई दे रहा था. जब बच्चे लॉक डाउन के बाद स्कूल आए तो यह फर्क साफ देखा जा सकता था. आने के बाद हमने उनकी फिजिकल एक्टिविटीज को शुरू करवाया. जिससे अब बच्चे काफी हद तक सामान्य हो गए हैं. बच्चे खुशी के साथ खेलकूद में हिस्सा लेते हैं. हमारी लड़कियों की फुटबॉल टीम ने हाल ही में एक चैंपियनशिप भी जीती है. कुल मिलाकर बच्चे अब काफी खुश नजर आ रहे हैं.
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'ट्रैक पर लौटने लगी है विद्यार्थियों की दिनचर्या'
स्कूली बच्चों को लॉकडाउन का काफी प्रतिकूल प्रभाव झेलना पड़ा है एक तरफ ठीक तरह से पढ़ाई नया होने के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई और परीक्षाओं की चिंता सताने लगी थी. दूसरी ओर घर में बंद रहने की वजह से उनकी फिजिकल एक्टिविटी भी बंद हो गई थी. जिसका असर उनके स्वास्थ्य और मानसिक हालात पढ़ पढ़ रहा था. घर से बाहर ने निकल पाने की वजह से भी बच्चे तनावग्रस्त हो रहे थे. अब धीरे-धीरे बच्चे स्कूल जाना शुरू कर रहे हैं और स्कूल टीचर उनके हालात को समझते हुए उनकी हर तरह से मदद कर रहे हैं. ताकि बच्चों के तनाव को कम की जा सके और बच्चे पहले की तरह लगन के साथ पढ़ाई करें और खेलकूद भी कर सकें.