चंडीगढ़: रूस यूक्रेन युद्ध का असर अब भारत पर दिखने लगा है. पानीपत में स्थिति एशिया की सबसे बड़ी हैंडलूम मार्केट पर पहले ही आर्थिक संकट के बादल छाए हुए हैं. इस बीच सूरजमुखी तेल (sunflower oil) को लेकर भी बुरी खबर सामने आ रही है. दरअसल भारत सूरजमुखी तेल का बड़ा आयातक है. जो हर साल करीब 25 लाख टन सूरजमुखी का तेल दूसरे देशों से आयात करता है. जिसमें से अकेले यूक्रेन से ही 17 लाख टन तेल मंगाया जाता है. इसके अलावा 2 लाख टन तेल रूस से मंगाया जाता है.
इसके अलावा अर्जेंटीना और दूसरे देशों से सूरजमुखी का तेल (sunflower oil price) मंगवाया जाता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सूरजमुखी का 70 फीसदी तेल भारत यूक्रेन से आयात करता है. जिसमें 20 फीसदी रूस और 10 फीसदी अर्जेंटीना से आता है. अब यूक्रेन में आए संकट की वजह से सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है. जिसका भारत के आयात पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. इस बारे अर्थशास्त्री प्रोफेसर बिमल अंजुम ने ईटीवी भारत से बातचीत की.
सूरजमुखी तेल के दाम बढ़ने तय: उन्होंने बताया कि जितना तेल भारत यूक्रेन से आयात करता है. उतना तेल कोई और देश देने की स्थिति में नहीं है. भारत में भी इसको लेकर पहले से कोई तैयारी नहीं की थी. लिहाजा भारत में सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति बाधित होना तय माना जा सकता है. उन्होंने कहा कि आज का समय ग्लोबल मार्केट का है. अगर भारत को यूक्रेन से सूरजमुखी का तेल नहीं मिल पाता तो वो दूसरे देशों की ओर भी देख सकता है. हालांकि ये आसान नहीं है.
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भारत में नहीं होती सूरजमुखी की खेती?: भारत के लिए ये चुनौतिपूर्ण होने वाला है. दूसरी और देखा जाए तो भारत में भी सूरजमुखी का उत्पादन किया जाता है. भारत में भी बहुत से किसान सूरजमुखी की फसल लगाते हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इसकी और कभी ध्यान नहीं दिया. अगर सूरजमुखी का अच्छा दाम तय किया जाए और किसानों को सूरजमुखी लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, तो हमें सूरजमुखी का तेल मंगाने के लिए दूसरे देशों पर ज्यादा निर्भर नहीं जाना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि भारत के किसान भी सूरजमुखी का अच्छा उत्पादन कर सकते हैं, लेकिन इसमें दो बातें सामने आती हैं. पहली बात सूरजमुखी की फसल को तैयार करने में तकनीक का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है. ये तकनीक भारतीय किसानों के पास नहीं है. इसलिए इस फसल को तैयार करने में और बाजारों तक पहुंचाने में मजदूरों की जरूरत पड़ती है. अगर किसानों को तकनीक मुहैया करवाई जाए तो किसान भी अच्छी मात्रा में ये फसल उगा सकते हैं.
दूसरी बात ये है कि जो किसान उच्च तकनीकों का इस्तेमाल भी करना चाह रहे हैं. भारत में अभी वो सभी तकनीकी और मशीनरी बहुत महंगी हैं. जिससे किसान उनका इस्तेमाल नहीं कर पाते. इसलिए भारत सरकार को चाहिए कि वे किसानों को सस्ती तकनीक मुहैया करवाएं. डॉक्टर बिमल अंजुम ने कहा कि भारत इसे एक सकारात्मक पहलू के तौर पर भी ले सकता है. उदाहरण के लिए रूस और यूक्रेन दुनिया भर में गेहूं के बड़े निर्यातक हैं, लेकिन फिलहाल दोनों देशों पर ही संकट छाया हुआ है.
भारत गेहूं का बड़ा निर्यातक: भारत इस समय दूसरे देशों को बड़ी मात्रा में गेहूं निर्यात कर सकता है. जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा कदम साबित होगा. इस मुद्दे पर जब फरीदाबाद के उद्योगपतियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यूक्रेन और रूस के युद्ध के चलते सनफ्लावर और रिफाइंड जैसे दूसरे ऑयल के दामों में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि दर्ज की गई है. सनफ्लावर ऑयल पर ₹15 प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. होलसेल और रिटेल में तेल का काम करने वाले महेश कुमार ने बताया कि जब से युद्ध शुरू हुआ है तभी से तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है.
सनफ्लावर ऑयल का 15 लीटर का पीपा जिसकी कीमत पहले ₹2300 थी अब उसकी कीमत 2600 रुपए पहुंच गई है. रिफाइंड के तेल की कीमत में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. रिफाइंड तेल का पीपा पहले 2100 रुपये में मिलता था. जो अब 2400 रुपये का हो गया है. वही तेल के डिस्ट्रीब्यूटर मारुति मंगला ने बताया कि उन्होंने युद्ध शुरू होने से पहले सनफ्लावर ऑयल का ऑर्डर दिया था. जब से युद्ध शुरू हुआ है तब से उनका ऑर्डर किया हुआ तेल यूक्रेन से नहीं आया है. उनके पास पहले से ही स्टॉक में जो माल रखा हुआ था. उसी से काम चलाया जा रहा है.
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