चंडीगढ़: कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्का रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ऑनलाइन पत्रकरवार्ता कर प्रदेश की गठबंधन सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि गेहूं खरीद के पहले दिन ही खट्टर सरकार पूरी तरह से फेल साबित हुई है.
कैथल, गुहला चीका, उचाना, नरवाना, जींद, सफीदों, नारनौद, महेंद्रगढ़, बल्लभगढ़ सहित प्रदेश के हर कोने से मंडियों में हाहाकार मचा है और लगभग सभी आढ़ती हड़ताल पर हैं. उन्होंने कहा कि 20 दिन के लंबे इंतजार के बाद आज जब किसान अपनी गेहूं की फसल मंडियों में लेकर गया, तो बदइंतजामी व बदहाली का ये आलम है कि अन्नदाता खून के आंसू रोने को मजबूर है.
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भाजपा-जजपा सरकार की बदइंतजामी द्वारा किसान को खून के आंसू रुलाने वाली शोषणकारी नीतियों ने एक बार फिर ब्रितानवी हुकूमत के जुल्मों की याद दिला दी है।
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खट्टर सरकार से हमारे 5 सवाल-: pic.twitter.com/rJgHQlIC7j
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'प्रदेश की हर मंडी में सिर्फ बदहाली है'
सुरजेवाला ने कहा कि कहीं किसान का लिस्ट में नाम ही नहीं, कहीं खरीद के नाम पर दो से 6 क्विंटल गेहूं ही खरीदने की बात कही जा रही है. कहीं बारदाना ही नहीं, कहीं लेबर नहीं, कहीं खरीद एजेंसियां नहीं, कहीं किसान का वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं और कहीं खरीद एजेंसियां ही गायब हैं.
भाजपा-जजपा सरकार की बदइंतजामी द्वारा किसान को खून के आंसू रुलाने वाली शोषणकारी नीतियों ने एक बार फिर ब्रितानी हुकूमत के जुल्मों की याद दिला दी है. पूरा हरियाणा मंडियों में आंदोलित है, पर मनोहर लाल खट्टर और दुष्यंत चैटाला बेफिक्री से एयर कंडीशंड कमरों में बैठे हैं. यह तो ऐसे ही है कि जब रोम जल रहा था, तो नीरो बांसुरी बजा रहा था.
रणदीप सुरजेवाला के सरकार से पांच सवाल-
- गेहूं खरीद में चौतरफा बदइंतजामी व बदहाली का क्या कारण है? खट्टर सरकार किसान की गेहूं, मंडियों में आने के बावजूद क्यों नहीं खरीद रही? क्या ये सरकार की संपूर्ण विफलता का सबूत नहीं?
- भाजपा-जजपा सरकार किसान-आढ़ती के दशकों पुराने गठजोड़ को तोड़ने का षडयंत्र क्यों कर रही है? किसान-आढ़ती-मजदूर के सामूहिक सहयोग के बगैर फसल कैसे खरीदी जाएगी?
- भाजपा-जजपा सरकार प्रति किसान व आढ़ती से सारी गेहूं न खरीद, सीमित खरीद ही क्यों कर रही है? क्या इस प्रकार से गेहूं खरीद की प्रक्रिया (जिसमें पहले ही 20 दिन की देरी हो चुकी) अब तीस दिन के खरीद चक्र से बढ़कर 100 से 120 दिन नहीं हो जाएगी?
- क्या कारण है कि गेहूं मंडी में लाने वाले किसान का मौके पर रजिस्ट्रेशन हो गेहूं की बिक्री नहीं हो रही? ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ वेब पोर्टल पर गेहूं खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख, 19 अप्रैल, 2020 ही क्यों, जैसा खट्टर साहब ने 7 अप्रैल की पत्रकार वार्ता में कहा है?ॉ
- भाजपा-जजपा सरकार किसान को गेहूं खरीद पर 125 रु. क्विंटल का बोनस न देकर विश्वासघात क्यों कर रही है? क्या 125 रु. क्विंटल बोनस देने का वादा खट्टर सरकार ने 26 मार्च, 2020 को लिखित में नहीं किया था?