चंडीगढ़: हरियाणा में शराब घोटाले को लेकर सियासी पारा सातवें आसमान पर है. विपक्ष ने इस मुद्दे को एजेंडा बनाकर हरियाणा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने गठबंधन की सरकार पर निशाना साधा है.
कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने शराब घोटाले को लेकर कहा कि कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान चोर दरवाजे से शराब घोटाला किया गया. जिससे साफ है कि शराब माफिया के तार सीधे-सीधे उच्च पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों और आला अधिकारियों से जुड़े हैं.
उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अनिल विज और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की इस मामले पर आपसी सहमति नहीं बन पाई है. एसईटी की जो रिपोर्ट आई उसे दुष्यंत चौटाला ने खारिज कर दिया. जिसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दुष्यंत चौटाला के बयान को ही खारिज कर दिया.
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल को 10 पहलूओं का जवाब प्रदेश की जनता को देना होगा.
- सोनीपत शराब गोदाम से शराब तस्करी का खुलाखेल उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 'स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम' (SIT) की जांच को सिरे से खारिज क्यों कर दिया?
- क्या SIT की जांच से सोनीपत शराब घोटाले के खुलासे से सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों के नाम उजागर होने का खतरा था?
- क्या कारण है कि मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ने SIT यानी स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम को खारीज कर SET यानी स्पेशल इंक्वायरी टीम का गठन कर दिया?
- क्या ये सही नहीं कि SET को क्रिमिनल प्रोसिजर कोड, 1973 की धारा 2 (h) और 2 (0) के तहत कागजात जब्त करने, रेड करने, शराब ठेकों और गोदामों में जाकर जांच करने, शराब फैक्ट्रियों की जांच करने, एक्साइज विभाग का रिकॉर्ड जब्त करने और दोषियों की गिरफ्तारी करने का अधिकार ही नहीं दिया गया?
- क्या गृह सचिव और गृहमंत्री ने 7 मई, 2020 को SET का गठन करते हुए उन्हें शराब के ठेकों और शराब गोदामों (L-1) तथा (L-13) के स्टॉक की तफ्तीश कर शराब की शोर्टेज, तस्करी और नाजायज बिक्री की जांच का अधिकार देने की सिफारिश की थी? तो फिर, मुख्यमंत्री, मनोहर लाल खट्टर ने SET को ये अधिकार देने से इंकार क्यों किया?
- क्या मुख्यमंत्री द्वारा किए गए इस इंकार से शराब तस्करों और नाजायज शराब बेचने वालों को चिन्हित करने में रोड़ा नहीं अटकाया गया?
- क्या गृहसचिव व गृहमंत्री ने शराब ठेकों, शराब गोदामों तथा पुलिस मालखानों से चोरी हुई शराब के बारे दर्ज हुई एफआईआर तथा की गई कार्रवाई की सूचना एकत्र करने/ कार्रवाई करने बारे सिफारिश मुख्यमंत्री को नहीं की?
- मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस सारी जानकारी की अवधी को मात्र 25 दिन की अवधी में ही सीमित कर (15 मार्च से 10 अप्रैल, 2020) SET के हाथ क्यों बांध दिए? इसका सीधा फायदा किसको मिला?
- क्या गृहसचिव व गृहमंत्री द्वारा 2019-20 के बीच नाजायज शराब पकड़े जाने, नाजायज शराब की ट्रांसपोटेशन तथा पकड़ी गई शराब की स्टोरेज बारे हुई कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट SET द्वारा दिए जाने की सिफारिश की थी?
- मुख्यमंत्री खट्टर ने इस जांच को SET को ना देकर अलग से फाइल मंगवाने बारे क्यों लिखा? वो क्या रहस्य था तथा वो कौन से नाम थे जिनकी जांच मुख्यमंत्री SET द्वारा नहीं करवाना चाहते थे?