चंडीगढ़: कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार आर्थिक मंदी और आय की तंगी पर मरहम लगाने की बजाय जले पर नमक छिड़क रही है. भाजपा-जजपा सरकार 'कर्मचारी विरोधी संघ' बनी हुई है. सुरजेवाला ने कहा कि प्रदेश सरकार महंगाई भत्ता काट कर कर्मचारियों-पेंशनरों को 3600 करोड़ का चूना लगा रही है.
रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के संकट से पिस रहे सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों का महंगाई भत्ता 1 जनवरी, 2020 से 30 जून, 2021 तक काटकर भाजपा-जजपा सरकार का कर्मचारी विरोधी चेहरा पूरी तरह बेनकाब हो गया है. हरियाणा सरकार ने 28 फरवरी को 1,42,343 करोड़ का बजट पारित किया है, फिर बजट पेश करने के 100 दिन के अंदर ही खट्टर सरकार हरियाणा के कर्मचारियों व पेंशनर्स के महंगाई भत्ते पर कैंची चलाकर क्या साबित कर रही है?
उन्होंने कहा कि हरियाणा में 3 लाख सरकारी कर्मचारी हैं और 1,29,000 पेंशनर्स. 6 जुलाई, 2020 को आदेश पारित कर खट्टर सरकार ने जनवरी 2020, जुलाई 2020 व जनवरी 2021 की महंगाई भत्ते की किश्तें पूरी काट दी हैं. 2020-21 के बजट में कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन के लिए 36,012 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
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उन्होंने कहा कि महंगाई भत्ते की जनवरी 2020 की 4 प्रतिशत की किश्त, जुलाई 2020 की 4 प्रतिशत की किश्त व जनवरी 2021 की 4 प्रतिशत की किश्त भी लगाएं, तो कर्मचारियों की जेब से 3,600 करोड़ रुपया काटने का सीधे-सीधे इंतजाम कर लिया गया है.
सुरजेवाला ने कहा कि एक सरकारी कर्मचारी को औसत बेसिक तनख्वाह 30,000 रुपया मिलती है. इस बेसिक तनख्वाह वाले सरकारी कर्मचारी की जेब से खट्टर सरकार ने 43,200 रु. निकालकर चोट पहुंचाई है. यही नहीं, अगर सरकारी कर्मचारी की बेसिक तनख्वाह 50,000 रुपया मासिक है, तो महंगाई भत्ते की तीन किश्तों की कटौती से उसे 72,000 रु. का नुकसान पहुंचेगा.
सुरजेवाला ने कहा कि ढाई महीने पहले केंद्र की मोदी सरकार ने भी 1 लाख 13 हजार सैनिकों, कर्मचारियों व पेंशनरों का महंगाई भत्ता काट उन्हें सालाना 37,530 करोड़ की चोट पहुंचाई थी. अब खट्टर सरकार भी मोदी सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए कर्मचारियों को चोट पहुंचा रही है. हमारी मांग है कि महंगाई भत्ता काटने का 6 जुलाई 2020 का तुगलकी फरमान वापस हो.