चंडीगढ़/नई दिल्ली: मंगलवार को हरियाणा से राज्यसभा सांसद कुमारी सैलजा ने राज्यसभा में प्रदूषित पानी का मुद्दा उठाया. कुमारी सैलजा ने कहा कि 2030 तक स्वच्छ पानी देने का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है, वो मौजूदा प्रदूषित नदियों की स्थिति को देखकर बिल्कुल भी संभव नहीं लगता.
'नदियों के संरक्षण के लिए नहीं जारी की गई पूरी राशि'
राज्यसभा सांसद सैलजा ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी 2018 की रिपोर्ट में 351 प्रदूषित नदियां चिन्हित की थी. सैलजा ने कहा कि यमुना नदी उत्तर भारत में पानी के लिए मुख्य स्त्रोत है. जो कि हरियाणा में से गुजरती है.
उन्होंने कहा कि जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार नामामी गंगे के अंतर्गत यमुना को साफ करने के लिए 2011-12 से लेकर अभी तक हरियाणा, हिमाचल और दिल्ली के लिए 2,590 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी.
'रिवर रिजवेनेशन कमेटी का नहीं हुआ गठन'
सैलजा ने कहा कि अभी तक केंद्र सरकार ने सिर्फ 649 करोड़ रुपये की राशि जारी की है. उन्होंने कहा कि स्वीकृत राशि और जारी की राशि में 75 फीसदी का अंतर है, लेकिन अभी तक 25 में से केवल 2 प्रोजेक्ट ही मंजूर हुए हैं. इसके अलावा यमुना एक्शन प्लान चरण 1 और 2 के तहत कुल खर्च रुपये 1540 करोड़ ही है.
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना में बजट 2020-21 के तहत आवंटन में 31 प्रतिशत की गिरावट दिखाई गई है. सैलजा ने कहा कि एनजीटी (national green tribunal) ने सितंबर 2018 में राज्यों का आदेश जारी किया था कि वो प्रदूषण करने वाले स्त्रोतों को पता करने के लिए रिवर रिजुवेनेशन कमेटी का गठन करें. उन्होंने कहा कि इस विषय में अभी तक कोई भी ठोस कार्य नहीं हुआ है.