चंडीगढ़: प्रदेश में पिछले कई घंटों से बरसात जारी है. बीच-बीच में बरसात रुक भी रही है तो कहीं ओलावृष्टि भी हो रही है. इस मौसम में जहां कई फसलों में ये बरसात फायदेमंद है तो कई इलाकों में हुई ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान का भी अनुमान है.
'भूजल स्तर के लिए अच्छी है ये बारिश'
इस विषय में मौसम विभाग (चंडीगढ़) के निदेशक डॉ. सुरेंद्र पाल का कहना है कि पिछले कई घंटों से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में बरसात जारी है. ये बरसात रबी की फसलों के लिए लाभकारी है. उन्होंने कहा कि इस मौसम में बरसात की वजह से भूजल स्तर में सुधार होता है. ये पानी सीधे तौर पर जमीन के अंदर चला जाता है.
पाल ने बताया कि प्रदेश में 11 मार्च से फिर एक बार बरसात हो सकती है. उन्होंने कहा कि पश्चिम विक्षोभ के असर से प्रदेशभर में बरसात हुई है. पिछले 24 घंटे में प्रदेश में 6.9 एमएम बरसात दर्ज की गई. जो सामान्य से 1053 फीसदी अधिक रही. दो दिनों तक पश्चिम विक्षोभ का असर रहेगा, जबकि मार्च के अंत तक एक बार फिर पश्चिम विक्षोभ असर दिखाएगा.
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इधर बरसात होने से पारा भी कुछ कम हो गया है. हरियाणा में दिन का पारा 29.6 डिग्री रहा. रात का तापमान अभी सामान्य से अधिक बना हुआ है. आज और कल यानी 7 व 8 मार्च को भी प्रदेश में बरसात की संभावना जताई गई है.
प्रदेश में 65 दिनों में बरसात का करीब 12 फीसदी कोटा पूरा
प्रदेश में जहां बरसात लगातार कम हो रही है, वहीं 2020 के पहले 65 दिनों में 45 एमएम बरसात हुई है. जनवरी-फरवरी 2020 में प्रदेश में जहां 29.8 एमएम बरसात हुई, जबकि मार्च के पांच दिनों में 14.8 एमएम बरसात हो चुकी है. सालभर में प्रदेश में सामान्य 528.3 एमएम बरसात होती है, साल 2019 में ये महज 351.8 एमएम ही हुई, जो सामान्य से 33 फीसदी कम रही.
सिरसा को छोड़ सभी जिलों में कम बरसात
साल 2019 में सिरसा जिले में जहां 281.9 एमएम बरसात हुई है, जो सामान्य से करीब दो फीसदी अधिक रही, जबकि धान उत्पादक जिले करनाल व कैथल में 19, कुरूक्षेत्र में 15, जींद में 45, पानीपत में 54, यमुनानगर में 12, अम्बाला में 21 फीसदी कम बरसात हुई है. इन जिलों में धान की वजह से सर्वाधिक भू-जल का दोहन होता है.