चंडीगढ़: बस ड्राइवर और कंडक्टर को जान से मारने की धमकी और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने साफ इंकार कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे लोगों के लिए कोर्ट के दिल में रहम नहीं है, यदि ऐसे लोगों पर रहम किया गया तो इससे सरकारी कर्मियों का मनोबल गिरेगा जो सही नहीं है.
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बता दें कि हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर बंटी ठाकुर ने 12 जनवरी को हिसार में दर्ज एफआइआर में अग्रिम जमानत की मांग की थी. एफआईआर के अनुसार छप्पर से हिसार के लिए बस चली थी और रावत खुर्द में बस में तीन लड़के चढ़े जिन्हें कंडक्टर राजकुमार ने टिकट लेने को कहा तो युवकों ने इंकार कर दिया.
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युवकों द्वारा टिकट ना लेने पर उनके बीच झगड़ा हो गया और जब बस आजाद नगर स्टैंड पर रुकी तो युवकों ने धमकी देते हुए कहा कि यदि बस इस रूट पर जाएगी तो ड्राइवर और कंडक्टर को जान से मार देंगे.
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इसके चलते बस का रूट बदलना पड़ा और 148 किलोमीटर की अधिक दूरी तय कर आगे जाना पड़ा. याचीकर्ता ने कहा कि ये मामला 15 दिसंबर 2020 की है जबकि एफआईआर 12 जनवरी को दर्ज करवाई गई है. इसमें हाई कोर्ट ने कहा कि विभागीय कार्रवाई के चलते अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती. याचिकाकर्ता की इस दलील को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
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हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा पहुंचाई गई है और उसे धमकी दी गई है जोकि गंभीर आरोप है. केवल चोट ना पहुंचाना अग्रिम जमानत का आधार नहीं है. अग्रिम जमानत मासूमों को बचाने के लिए है. इसे यूं ही नहीं बांट सकते, यदि किसी को जमानत दी गई तो सरकारी कर्मचारियों के बीच इसका गलत संदेश जाएगा.