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कोर्ट आने के लिए किसी वकील को नहीं किया गया मजबूर- HC - कोर्ट वकील जनहित याचिका हाई कोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की अदालतें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में बेहतरीन काम कर रही हैं. ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है. जिसमें किसी वकील को पेश होने के लिए विवश किया जा रहा हो.

punjab and haryana high court
वकील फेरी सोफत
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Published : Jun 4, 2020, 2:35 PM IST

चंडीगढ़: वकीलों को कोर्ट में शारीरिक तौर पर पेश होने के लिए विवश ना किए जाने की मांग को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

हाई कोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की अदालतें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में बेहतरीन काम कर रही हैं. ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, जिसमें किसी वकील को पेश होने के लिए विवश किया जा रहा हो. चीफ जस्टिस रवि शंकर झा और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने कहा कि उनके पास ऐसी कोई शिकायत भी नहीं आई है. ऐसे में याचिका आधारहीन है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.

कोर्ट आने के लिए किसी वकील को नहीं किया गया मजबूर-HC

बता दें कि वकील फेरी सोफत की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया था कि चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की अदालतों को निर्देश दिए जाएं कि वो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सुनवाई करें और किसी वकील को शारीरिक तौर पर कोर्ट में पेश होने के लिए विवश ना करें. इसके अलावा कोर्ट में केस दायर करने के लिए जेल अथॉरिटीज को निर्देश दिए जाएं कि वो वकालतनामा और पावर ऑफ अटॉर्नी जेल में बंद कैदियों से लेकर उन्हें आगे संबंधित वकीलों को भेजें.

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया है कि किसी केस पर फैसला लेने के लिए वकील को शारीरिक तौर पर पेश होने के लिए कहा गया है. चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की जिला अदालतें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शानदार काम कर रही हैं.

ये भी पढ़िए: पंजाब-हरियाणा बार काउंसिल की मांग, जल्द खोले जाएं कोर्ट

हाई कोर्ट ने फैसले में ये भी कहा कि वकालतनामा और पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों केस रोजाना चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की जिला अदालतों में दायर किए जा रहे हैं. इस बारे में उनके पास कोई शिकायत भी नहीं आई है ऐसे में याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता हाईकोर्ट ने कहा कि जिला अदालतें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पूरी तरह से पालन कर रहे हैं.

चंडीगढ़: वकीलों को कोर्ट में शारीरिक तौर पर पेश होने के लिए विवश ना किए जाने की मांग को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

हाई कोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की अदालतें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में बेहतरीन काम कर रही हैं. ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, जिसमें किसी वकील को पेश होने के लिए विवश किया जा रहा हो. चीफ जस्टिस रवि शंकर झा और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने कहा कि उनके पास ऐसी कोई शिकायत भी नहीं आई है. ऐसे में याचिका आधारहीन है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.

कोर्ट आने के लिए किसी वकील को नहीं किया गया मजबूर-HC

बता दें कि वकील फेरी सोफत की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया था कि चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की अदालतों को निर्देश दिए जाएं कि वो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सुनवाई करें और किसी वकील को शारीरिक तौर पर कोर्ट में पेश होने के लिए विवश ना करें. इसके अलावा कोर्ट में केस दायर करने के लिए जेल अथॉरिटीज को निर्देश दिए जाएं कि वो वकालतनामा और पावर ऑफ अटॉर्नी जेल में बंद कैदियों से लेकर उन्हें आगे संबंधित वकीलों को भेजें.

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया है कि किसी केस पर फैसला लेने के लिए वकील को शारीरिक तौर पर पेश होने के लिए कहा गया है. चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की जिला अदालतें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शानदार काम कर रही हैं.

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हाई कोर्ट ने फैसले में ये भी कहा कि वकालतनामा और पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों केस रोजाना चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की जिला अदालतों में दायर किए जा रहे हैं. इस बारे में उनके पास कोई शिकायत भी नहीं आई है ऐसे में याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता हाईकोर्ट ने कहा कि जिला अदालतें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पूरी तरह से पालन कर रहे हैं.

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