चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट में माना है कि चंडीगढ़ पर उसका हक नहीं है. पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में कहा गया कि चंडीगढ़ ना हरियाणा का है और ना ही पंजाब का. हरियाणा के बाद पंजाब सरकार ने भी चंडीगढ़ पर अपना हक छोड़ दिया.
बुधवार को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट में हल्फनामा दाखिल करते हुए कहा है कि चंडीगढ़ 1966 से पहले पंजाब का भाग था, लेकिन अब नहीं है.
क्या कहा पंजाब सरकार ने?
बता दें कि इससे पहले हरियाणा सरकार भी हाई कोर्ट में कह चुकी है कि चंडीगढ केवल हरियाणा की राजधानी है, उसका हिस्सा नहीं है. पंजाब ने एफीडेविट के जरिए बताया कि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है और पंजाब की राजधानी है.
चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी है. इसको लेकर 9 जून 1966 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में लिए फैसले से जुड़े दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए हैं. पंजाब सरकार ने ये भी बताया है कि चंडीगढ़ का ज्यूडिशियल सर्विसेस को लेकर अपना अलग कैडर नहीं है.
1952 तक चंडीगढ़ पंजाब का हिस्सा था
1952 तक चंडीगढ़ पंजाब का हिस्सा था, लेकिन 1966 शयाम कृष्ण कमीशन की सिफारिशों के बाद मनीमाजरा और चंडीगढ़ को मिलाकर केंद्र शाषित प्रदेश घोषित किया गया था. नए एक्ट की अधिसूचना में स्पष्ट है कि चंडीगढ़ सिर्फ पंजाब और हरियाणा की राजधानी रहेगा, लेकिन दोनों में से किसी का चंडीगढ़ पर अधिकार नहीं रहेगा.
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हरियाणा की ओर से एडवोकेट जनरल पिछली तारीख पर कोर्ट में हाज़िर हुए थे और सरकार की और से एफिडेविट दाखिल कर चंडीगढ़ पर हरियाणा के अधिकार से इंकार कर दिया था. वही चंडीगढ़ प्रशासन ने भी हाई कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर अपना पक्ष रखा था. कोर्ट को बताया गया कि चंडीगढ़ का खुद ज्यूडिशरी काडर नहीं है बल्कि पंजाब और हरियाणा काडर से काम चलाया जा रहा है.