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पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट में कहा- चंडीगढ़ पर नहीं उसका हक

बुधवार को सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट में हल्फनामा दाखिल करते हुए कहा है कि चंडीगढ़ 1966 से पहले पंजाब का भाग था, लेकिन अब नहीं है.

chandigarh high court said on chandigarh capital
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Published : Nov 1, 2019, 7:37 AM IST

चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट में माना है कि चंडीगढ़ पर उसका हक नहीं है. पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में कहा गया कि चंडीगढ़ ना हरियाणा का है और ना ही पंजाब का. हरियाणा के बाद पंजाब सरकार ने भी चंडीगढ़ पर अपना हक छोड़ दिया.

बुधवार को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट में हल्फनामा दाखिल करते हुए कहा है कि चंडीगढ़ 1966 से पहले पंजाब का भाग था, लेकिन अब नहीं है.

देखें वीडियो

क्या कहा पंजाब सरकार ने?

बता दें कि इससे पहले हरियाणा सरकार भी हाई कोर्ट में कह चुकी है कि चंडीगढ केवल हरियाणा की राजधानी है, उसका हिस्सा नहीं है. पंजाब ने एफीडेविट के जरिए बताया कि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है और पंजाब की राजधानी है.

चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी है. इसको लेकर 9 जून 1966 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में लिए फैसले से जुड़े दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए हैं. पंजाब सरकार ने ये भी बताया है कि चंडीगढ़ का ज्यूडिशियल सर्विसेस को लेकर अपना अलग कैडर नहीं है.

1952 तक चंडीगढ़ पंजाब का हिस्सा था

1952 तक चंडीगढ़ पंजाब का हिस्सा था, लेकिन 1966 शयाम कृष्ण कमीशन की सिफारिशों के बाद मनीमाजरा और चंडीगढ़ को मिलाकर केंद्र शाषित प्रदेश घोषित किया गया था. नए एक्ट की अधिसूचना में स्पष्ट है कि चंडीगढ़ सिर्फ पंजाब और हरियाणा की राजधानी रहेगा, लेकिन दोनों में से किसी का चंडीगढ़ पर अधिकार नहीं रहेगा.

ये भी जानें- भूपेंद्र हुड्डा पर विज का विवादित बयान, बोले- कसाईयों के कहने से भैंसे नहीं मरती

हरियाणा की ओर से एडवोकेट जनरल पिछली तारीख पर कोर्ट में हाज़िर हुए थे और सरकार की और से एफिडेविट दाखिल कर चंडीगढ़ पर हरियाणा के अधिकार से इंकार कर दिया था. वही चंडीगढ़ प्रशासन ने भी हाई कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर अपना पक्ष रखा था. कोर्ट को बताया गया कि चंडीगढ़ का खुद ज्यूडिशरी काडर नहीं है बल्कि पंजाब और हरियाणा काडर से काम चलाया जा रहा है.

चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट में माना है कि चंडीगढ़ पर उसका हक नहीं है. पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में कहा गया कि चंडीगढ़ ना हरियाणा का है और ना ही पंजाब का. हरियाणा के बाद पंजाब सरकार ने भी चंडीगढ़ पर अपना हक छोड़ दिया.

बुधवार को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट में हल्फनामा दाखिल करते हुए कहा है कि चंडीगढ़ 1966 से पहले पंजाब का भाग था, लेकिन अब नहीं है.

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क्या कहा पंजाब सरकार ने?

बता दें कि इससे पहले हरियाणा सरकार भी हाई कोर्ट में कह चुकी है कि चंडीगढ केवल हरियाणा की राजधानी है, उसका हिस्सा नहीं है. पंजाब ने एफीडेविट के जरिए बताया कि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है और पंजाब की राजधानी है.

चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी है. इसको लेकर 9 जून 1966 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में लिए फैसले से जुड़े दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए हैं. पंजाब सरकार ने ये भी बताया है कि चंडीगढ़ का ज्यूडिशियल सर्विसेस को लेकर अपना अलग कैडर नहीं है.

1952 तक चंडीगढ़ पंजाब का हिस्सा था

1952 तक चंडीगढ़ पंजाब का हिस्सा था, लेकिन 1966 शयाम कृष्ण कमीशन की सिफारिशों के बाद मनीमाजरा और चंडीगढ़ को मिलाकर केंद्र शाषित प्रदेश घोषित किया गया था. नए एक्ट की अधिसूचना में स्पष्ट है कि चंडीगढ़ सिर्फ पंजाब और हरियाणा की राजधानी रहेगा, लेकिन दोनों में से किसी का चंडीगढ़ पर अधिकार नहीं रहेगा.

ये भी जानें- भूपेंद्र हुड्डा पर विज का विवादित बयान, बोले- कसाईयों के कहने से भैंसे नहीं मरती

हरियाणा की ओर से एडवोकेट जनरल पिछली तारीख पर कोर्ट में हाज़िर हुए थे और सरकार की और से एफिडेविट दाखिल कर चंडीगढ़ पर हरियाणा के अधिकार से इंकार कर दिया था. वही चंडीगढ़ प्रशासन ने भी हाई कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर अपना पक्ष रखा था. कोर्ट को बताया गया कि चंडीगढ़ का खुद ज्यूडिशरी काडर नहीं है बल्कि पंजाब और हरियाणा काडर से काम चलाया जा रहा है.

Intro:पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में दयार याचिका पर चल रहे मामले में सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने भी शपथपत्र देकर स्वीकार किया कि पंजाब का चंडीगढ़ पर कोई अधिकार या हक़ नहीं है केवल यह पंजाब की राजधानी है इससे अधिक कुछ नहीं । वही केंद्र की और से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने एफिडेविट और 1966 में अवर्गीय प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में हुई केंद्र की कैबिनेट बैठक में पारित वह बिल भी कोर्ट में पेश किया जिसमे स्पष्ट किया गया था कि चंडीगढ़ केवल पंजाब व हरियाणा की राजधानी रहेगी जबकि दोनों राज्यों का चंडीगढ़ पर कोई अधिकार नहीं होगा और यह यूटी रहेगा । उक्त प्रस्ताव की अधिसूचना भी जारी हुई थी । 1952 तक चंडीगढ़ पंजाब का हिस्सा था लेकिन 1966 शयाम कृष्ण कमीशन की सिफारिशों के बाद मनीमाजरा और चंडीगढ़ को मिलाकर केंद्र शाषित प्रदेश घोषित किया गया था नए एक्ट की अधिसूचना में स्पष्ट है कि चंडीगढ़ सिर्फ पंजाब और हरियाणा की राजधानी रहेगा लेकिन दोनों में से किसी का चंडीगढ़ पर अधिकार नहीं रहेगा ।
Body:हरियाणा की और से एडवोकेट जनरल पिछली तारीख पर कोर्ट में हाज़िर हुए थे और सरकार की और से एफिडेविट दाखिल कर चंडीगढ़ पर हरियाणा के अधिकार से इंकार कर दिया था । वही चंडीगढ़ प्रशसन ने भी हाईकोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर अपना पक्ष रखा । कोर्ट को बताया गया कि चंडीगढ़ का खुद ज्यूडिशरी काडर नहीं है बल्कि पंजाब और हरियाणा काडर से काम चलाया जा रहा है । हरियाणा के एजी बलदेव राजमहाजन ने बताया कि हरियाणा भी इसमे अपना पक्ष रख चुका है । 1966 में अवर्गीय प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में हुई केंद्र की कैबिनेट बैठक में पारित वह बिल भी कोर्ट में पेश किया जिसमे स्पष्ट किया गया था कि चंडीगढ़ केवल पंजाब व हरियाणा की राजधानी रहेगी जबकि दोनों राज्यों का चंडीगढ़ पर कोई अधिकार नहीं होगा और यह यूटी रहेगा ।
बाइट - बलदेव राज महाजन , एजी हरियाणा Conclusion:चंडीगढ़ निवासी फूल सिंह अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखते हैं जिन्होंने डिस्ट्रिक्ट जज के लिए आवेदन किया था और वह पंजाब व हरियाणा में मेरिट में आते रहे , मगर दोनों ही राज्य कहते है कि वो उनके राज्य का हिस्सा नहीं है । याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया गया है जिसमे एमबीए के छात्र जिन्होंने चंडीगढ़ से बाहरवीं पास की थी वो पंजाब में योग्य नहीं माना जाता था । इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा की चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और पंजाब का हिस्सा है इसलिए वो पंजाब मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए योग्य माना जायेगा । इस आदेश को ग्राउंड बनाकर ही याचिका दायर की गई । जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा दोनों को जवाब देने को कहा था कि कोई नोटिफिकेशन या कागजात दिखाएं जिससे ये साफ हो सके कि चंडीगढ़ , हरियाणा या पंजाब की राजधानी बना हो ।
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