चंडीगढ़: चंडीगढ़ प्रशासन के शिक्षा विभाग के डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर अलका मेहता को भले ही पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के आदेशों के मुताबिक याचिका के विचाराधीन रहते इस पद पर बनाए रखने के आदेश दिए गए हों, लेकिन प्रशासन ने उन्हें डिप्टी डायरेक्टर बना दिया. ऐसे में अब हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से पूछा है कि बिना कोर्ट की अनुमति के डीईओ को डिप्टी डायरेक्टर कैसे बनाया जा सकता है?
हाई कोर्ट ने आगे कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन कम से कम कोर्ट के अंतरिम आदेशों में संशोधन की मांग तो करता. जस्टिस दया चौधरी और जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता की खंडपीठ ने इस मामले में चंडीगढ़ प्रशासन को 2 हफ्ते का समय देते हुए जवाब मांगा है कि प्रशासन ने आदेशों में संशोधन की मांग क्यों नहीं की?
यह है मामला:
मौजूदा डीईओ हरबीर सिंह से पहले डीईओ अलका मेहता की नियुक्ति को उनसे पहले डीईओ रही अनुजीत कौर ने कैट में चुनौती दी थी. कैट ने अलका मेहता की नियुक्ति पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे. इसके बाद अलका ने फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने कैट के फैसले पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे. साथ ही इस दौरान अलका मेहता को डीईओ पद पर बने रहने के निर्देश दिए थे. अलका मेहता की तरफ से दाखिल याचिका हाई कोर्ट में अभी विचाराधीन है.
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अभी अलका मेहता और अनुजीत के बीच विवाद का समाधान नहीं हुआ था कि चंडीगढ़ प्रशासन ने हरबीर सिंह को डीईओ नियुक्त कर दिया. इससे ये मामला और ज्यादा उलझ गया. कहा गया कि शिक्षा विभाग की वरिष्ठता सूची में हरबीर सिंह का स्थान काफी नीचे है. ऐसे में उन्हें इस पद पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती.