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उत्तर भारत में प्रदूषण को लेकर गंभीर नहीं पंजाब-हरियाणा सरकार- कैलाश गहलोत - पर्यावरण मंत्री

लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण के बावजूद राज्य सरकारें इसे लेकर गंभीर नहीं हैं. ये कहना है पर्यावरण मंत्री अशोक गहलोत का.

कैलाश गहलोत
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Published : Nov 11, 2019, 11:57 PM IST

नई दिल्ली/चंडीगढ़: राजधानी दिल्ली और इससे सटे इलाकों में लगातार खराब हो रही हवा की गुणवत्ता के बावजूद राज्य सरकारें इसे लेकर गंभीर नहीं है. ये आरोप लगाया है दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत ने. उन्होंने कहा है कि दिल्ली में आज के प्रदूषण में भी 18 से 20 फीसदी पराली का शेयर है.

'राज्य सरकारों में जो सीरियसनेस होनी चाहिए वो नहीं '
सोमवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कैलाश गहलोत ने कहा कि बीते दिनों पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रदूषण के मुद्दे पर राज्यों की एक मीटिंग बुलाई थी. हालांकि इस मीटिंग में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों से कोई मंत्री नहीं पहुंचा.

प्रदूषण को लेकर गंभीर नहीं पंजाब-हरियाणा सरकार-कैलाश गहलोत

दिल्ली का प्रतिनिधित्व खुद गहलोत ने किया था. गहलोत ने कहा कि इतने गंभीर मुद्दे पर और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद राज्य सरकारों में जो सीरियसनेस होनी चाहिए वो नहीं है.

'गंभीर बैठक में एमसीडी नदारद'
पर्यावरण मंत्री ने कहा दिल्ली में जिन लोकल फैक्टर्स की वजह से प्रदूषण फैल रहा है. उसमें कच्ची सड़कें प्रमुख रूप से शामिल हैं. ये सड़कें या तो एमसीडी की हैं या फिर जो खाली जगह पड़ी है वहां से प्रदूषण होता है. उन्होंने कहा कि इस बैठक में न तो एमसीडी का कोई कमिश्नर और न ही डीडीए का कोई प्रतिनिधि. उन्होंने कहा कि इतने गंभीर मुद्दे पर अगर एमसीडी की तरफ से भी कोई नहीं है तो एक पोलिटिकल विल की बात करें तो वो लैक कर रही है.

गहलोत ने राज्य सरकारों में पराली के लिए दी जाने वाली मशीनों की स्पीड पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इसके लिए वो राज्य सरकारों को पत्र लिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि उम्मीद कर रहे हैं कि राज्य सरकार ने इस दिशा में सकारात्मक सोचे रखेंगी और लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर लगाम लगाने की दिशा में आगे बढ़ेगी.

ये भी पढ़ें- सिंगल हैंड प्लास्टिक के खिलाफ ये छात्रा देगी वर्ल्ड वाइड संदेश, बन सकता है गिनीज रिकॉर्ड

नई दिल्ली/चंडीगढ़: राजधानी दिल्ली और इससे सटे इलाकों में लगातार खराब हो रही हवा की गुणवत्ता के बावजूद राज्य सरकारें इसे लेकर गंभीर नहीं है. ये आरोप लगाया है दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत ने. उन्होंने कहा है कि दिल्ली में आज के प्रदूषण में भी 18 से 20 फीसदी पराली का शेयर है.

'राज्य सरकारों में जो सीरियसनेस होनी चाहिए वो नहीं '
सोमवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कैलाश गहलोत ने कहा कि बीते दिनों पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रदूषण के मुद्दे पर राज्यों की एक मीटिंग बुलाई थी. हालांकि इस मीटिंग में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों से कोई मंत्री नहीं पहुंचा.

प्रदूषण को लेकर गंभीर नहीं पंजाब-हरियाणा सरकार-कैलाश गहलोत

दिल्ली का प्रतिनिधित्व खुद गहलोत ने किया था. गहलोत ने कहा कि इतने गंभीर मुद्दे पर और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद राज्य सरकारों में जो सीरियसनेस होनी चाहिए वो नहीं है.

'गंभीर बैठक में एमसीडी नदारद'
पर्यावरण मंत्री ने कहा दिल्ली में जिन लोकल फैक्टर्स की वजह से प्रदूषण फैल रहा है. उसमें कच्ची सड़कें प्रमुख रूप से शामिल हैं. ये सड़कें या तो एमसीडी की हैं या फिर जो खाली जगह पड़ी है वहां से प्रदूषण होता है. उन्होंने कहा कि इस बैठक में न तो एमसीडी का कोई कमिश्नर और न ही डीडीए का कोई प्रतिनिधि. उन्होंने कहा कि इतने गंभीर मुद्दे पर अगर एमसीडी की तरफ से भी कोई नहीं है तो एक पोलिटिकल विल की बात करें तो वो लैक कर रही है.

गहलोत ने राज्य सरकारों में पराली के लिए दी जाने वाली मशीनों की स्पीड पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इसके लिए वो राज्य सरकारों को पत्र लिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि उम्मीद कर रहे हैं कि राज्य सरकार ने इस दिशा में सकारात्मक सोचे रखेंगी और लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर लगाम लगाने की दिशा में आगे बढ़ेगी.

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Intro:नई दिल्ली:
दिल्ली और इससे सटे इलाकों में लगातार खराब हो रही हवा की गुणवत्ता के बावजूद राज्य सरकारें इसे लेकर सीरियस नहीं है. आरोप लगाया है दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत ने. उन्होंने कहा है कि दिल्ली में आज के प्रदूषण में भी 18 से 20 फीसदी पराली का शेयर है.



Body:सोमवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कैलाश गहलोत ने कहा कि बीते दिनों पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रदूषण के मुद्दे पर राज्यों की एक मीटिंग बुलाई थी. हालांकि इस मीटिंग में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों से कोई मंत्री नहीं पहुंचा. दिल्ली का प्रतिनिधित्व खुद गहलोत ने किया था. गहलोत ने कहा कि इतने गंभीर मुद्दे पर और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद राज्य सरकारों में जो सीरियसनेस होनी चाहिए वो नहीं है.

पर्यावरण मंत्री ने कहा दिल्ली में जिन लोकल फैक्टर्स की वजह से प्रदूषण फैल रहा है उसमें कच्ची सड़कें प्रमुख रूप से शामिल हैं. ये सड़कें या तो एमसीडी की हैं या फिर जो खाली जगह पड़ी है वहां से प्रदूषण होता है. उन्होंने कहा कि इस बैठक में न तो एमसीडी का कोई कमिश्नर और न ही डीडीए का कोई प्रतिनिधि. उन्होंने कहा कि इतने गंभीर मुद्दे पर अगर एमसीडी की तरफ से भी कोई नहीं है तो एक पोलिटिकल विल की बात करें तो वो लैक कर रही है.

गहलोत ने राज्य सरकारों में पराली के लिए दी जाने वाली मशीनों की स्पीड पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इसके लिए वो राज्य सरकारों को पत्र लिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि उम्मीद कर रहे हैं कि राज्य सरकार ने इस दिशा में सकारात्मक सोचे गी और लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर लगाम लगाने की दिशा में आगे बढ़ेगी.


Conclusion:बताते चलें कि इससे पहले सोमवार को दिल्ली में एक बार फिर हवा की गुणवत्ता बिगड़ गई. दिल्ली सरकार जहां एक तरह पराली को इसके लिए प्रमुख कारण बताती आई है तो वहीं दूसरी तरफ ऑड-इवन जैसी योजनाओं को इसे कम करने में सहायक होने का दावा करती आई है. अब सरकार आरोप लगा रही है कि राज्य सरकार है प्रदूषण के मुद्दे पर सीरियस नहीं है.
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