चंडीगढ़: हरियाणा में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. सरकार कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कई एहतियातन कदम बरत रही है. सरकार ने नाइट कर्फ्यू लगाया है, वहीं पहली से आठवीं तक के लिए स्कूलों को 30 अप्रैल तक के लिए बंद करने का निर्देश दिया है, लेकिन प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन इसका विरोध कर रही है और सरकार के फैसले को ना मानते हुए स्कूल खोले रखने के लिए एलान किया है. इस बारे में ईटीवी भारत ने फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान कुलभूषण शर्मा से खास बातचीत की.
कुलभूषण शर्मा ने कहा कि सरकार का यह फैसला समझ से बाहर है क्योंकि जब प्रदेश में सब कुछ खुला है. सभी बाजार, दुकान, शॉपिंग मॉल सब खुला है, तो स्कूलों को बंद क्यों किया जा रहा है. क्या कोरोनावायरस सिर्फ स्कूलों में ही अपना असर दिखाता है कि दूसरी जगह पर नहीं. सरकार ने पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक के लिए तो स्कूलों को बंद कर दिया है, लेकिन नौवीं से बारहवीं तक के लिए स्कूल खुले हैं. क्या सरकार ऐसी कोई रिपोर्ट दिखा सकती है जिसमें यह लिखा गया हो कि करोना वायरस सिर्फ आठवीं क्लास तक के बच्चों पर ही ऐसा करता है. उससे ऊपर क्लासों के बच्चों पर असर नहीं करता.
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सरकार सरकारी स्कूलों को बंद करे, प्राइवेट नहीं- कुलभूषण
कुलभूषण के मुताबिक सरकार ऐसा करके बच्चों की पढ़ाई के साथ खिलवाड़ कर रही है. बच्चे पिछले 1 साल से घर बैठे हैं और उनका पढ़ाई का काफी नुकसान हो चुका है. ऐसे में अगर अब भी स्कूलों को बंद किया गया तो बच्चे पढ़ाई से पूरी तरह से कट जाएंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो सरकारी स्कूल बंद कर सकती है, क्योंकि उससे सरकारी स्कूल में काम करने वाले कर्मचारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उनकी सैलरी आती रहेगी, लेकिन प्राइवेट स्कूल बंद होने से हमें बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है.
'स्कूल बंद करने का फैसला ही गलत है'
स्कूल में काम करने वाले अध्यापकों और अन्य कर्मचारियों का बुरा हाल है. इन लोगों को अपना घर चलाना मुश्किल हो रहा है. स्कूलों को खोलने के लिए अगर सरकार दिशा निर्देश जारी करती है तो स्कूलों की ओर से हर दिशा निर्देश का गंभीरता से पालन किया जाएगा, लेकिन स्कूलों को बंद करना एक सही फैसला नहीं है.
कुलभूषण ने कहा कि अगर सरकार को किसी प्रकार का कोई संशय है, तो सरकार स्कूल एसोसिएशन, टीचर एसोसिएशन, पेरेंट्स एसोसिएशन से बैठ कर बात कर सकती है. उसके बाद अगर सरकार संतुष्ट हो तब सरकार स्कूल खोलने का फैसला सुनाए लेकिन इस तरीके से बिना बात किए स्कूलों को बंद करने का फैसला देना सरासर गलत है.
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बस चालकों को दिया जाए बेरोजगारी भत्ता
कुलभूषण शर्मा ने कहा कि स्कूल खोले जाने के अलावा उनकी दो मांगे यह भी हैं कि सरकार प्राइवेट स्कूल के अध्यापकों और बस चालकों को तीन हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता दे, क्योंकि स्कूल बंद होने से उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. सरकार उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करें और जब तक करोना महामारी खत्म नहीं हो जाती उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिया जाए.
बच्चों के खाते में जमा किया जाए एक हजार रुपये प्रतिमाह
इसके अलावा सरकार बच्चों के खातों में भी प्रतिमाह एक हजार रुपये जमा करवाएं. जिसका इस्तेमाल भी अपनी पढ़ाई और स्कूल किसके लिए कर सकें. इससे बच्चों के माता-पिता पर पढ़ाई का आर्थिक बोझ थोड़ा कम होगा. सरकार के इस कदम से न सिर्फ अध्यापकों, चालकों और बच्चों की जिंदगी में बड़ा परिवर्तन आएगा. बल्कि स्कूल बंद होने से जितने भी इंडस्ट्रीज बर्बाद हुई है उनकी भी कुछ हद तक भरपाई हो पाएगी और वे द्वारा अपना काम शुरू कर पाएंगे.
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