चंडीगढ़: हरियाणा की जेलों में सजा काट रहे कैदियों की जेल में (death in custody in Haryana) या पेशी के दौरान किसी कारणवश अप्राकृतिक मृत्यु (prisoner death Compensation in Haryana Jail) हो जाने पर सरकार उसके परिजनों को मुआवजा देगी. कैदी के परिजनों को 5 से 7.50 लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा. देश में हरियाणा ऐसा पहला राज्य है जो इस नीति को लागू कर चुका है. प्रदेश सरकार ने इसके लिए नीति बना दी है. इसी वर्ष जून में इस पर हरियाणा के राज्यपाल से मंजूरी मिल गई थी, जिसके बाद इसकी अधिसूचना जारी कर, नीति को लागू कर किया गया था.
हरियाणा मानवाधिकार आयोग (Haryana Human Rights Commission) के सदस्य दीप भाटिया ने बताया कि आयोग के पास कैद के दौरान मौत की कई शिकायत पहुंचती हैं. ऐसे में राज्य सरकार को सुझाव दिया था कि जेल में बंद कैदियों के लिए एक पॉलिसी बनाई जाए. जिस पर राज्य सरकार ने एक पॉलिसी तैयार की थी. जिसके तहत न्यायिक हिरासत में मौत के मामले में मुआवजा दिया जाता है. वहीं हरियाणा पहला राज्य है कि जिसके द्वारा इस नीति को लागू किया गया. उन्होंने बताया कि सभी रिपोर्ट की जांच करने के बाद भी आयोग को लगता है कि किसी व्यक्ति के साथ नाइंसाफी हुई है, तो आयोग उसे न्याय दिलाने के लिए काम करता है.
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अप्राकृतिक मौत पर यह होगा मुआवजा: हिरासत में अप्राकृतिक मृत्यु के मामलों में इस नीति के अनुसार, मुआवजा परिजन या रिश्तेदार को दिया जाएगा. कैदियों के बीच झगड़े के कारण मौत होने पर 7.5 लाख रुपए वहीं जेल कर्मचारियों द्वारा यातना/पिटाई के कारण मौत होने पर 7.5 लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा. वहीं अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा ड्यूटी में लापरवाही के कारण मौत होने पर भी 7.5 लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा. चिकित्सा अधिकारियों/ पैरामेडिकल द्वारा लापरवाही के कारण मौत होने पर 5 लाख मुआवजा देने की नीति को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी अपनाया था. नई दिल्ली और एनएचआरसी ने सभी राज्य मानवाधिकारों से अनुरोध किया है कि वे भी इस नीति को अपने राज्यों में लागू करें.
हिरासत में मौत पर इन्हें मिले 7.50 लाख: जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष शिकायतकर्ता नरेश ने हरियाणा मानवाधिकार आयोग को एक लिखित शिकायत की थी. जिसमें उन्होंने बताया कि उनके भाई को 16 अक्टूबर 2021 को सीआई करनाल ने गिरफ्तार कर हिरासत में लिया था. हिरासत के दौरान नरेश के भाई के साथ मारपीट की गई और थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया गया. जिससे उसकी हिरासत के दौरान ही मृत्यु हो गई. मेडिकल जांच में उनके भाई के शरीर पर 22 चोटें पाई गई थी. जिसको लेकर नरेश ने हरियाणा मानवाधिकार के पास गुहार लगाई थी. जिस पर आयोग ने पुलिस तथा संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा. आयोग ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की जांच और तथ्यों के आधार पर पाया कि मृत्यु हिरासत के दौरान हुई थी.आयोग की पीठ के अध्यक्ष जस्टिस एसके मित्तल व सदस्य दीप भाटिया ने इस मामले में सरकार को पुलिस के खिलाफ न सिर्फ कार्रवाई करने को कहा है, बल्कि मृतक के परिवार को 7.50 लाख रुपए का मुआवजा दिलवाया गया.
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी नीति: कैदियों की सजा के दौरान होने वाली मृत्यु के बाद परिजन को मुआवजा देने की नीति सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बनाई गई थी. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मद्देनजर रखते हुए वर्ष 2018 में लिए गए संज्ञान पर सुनवाई करते हुए इस नीति बनाने के लिए कहा था. जिसके बाद हरियाणा मानवाधिकार आयोग द्वारा बनाई नीति में जेल में कैदियों के बीच लड़ाई, जेल स्टाफ की प्रताड़ना, जेल स्टाफ या पैरामेडिकल स्टाफ की लापरवाही के कारण कैदी की मौत पर परिजन को साढ़े सात लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा.
आत्महत्या करने पर 5 लाख का मुआवजा: यह राशि परिजन या कानूनी वारिस को ही दी जाएगी. कैदी अगर जेल में आत्महत्या कर लेता है तो परिजन को पांच लाख रुपये मुआवजा मिलेगा. मुआवजा के लिए संबंधित जेल अधिकारियों को कैदी की मृत्यु की विस्तृत रिपोर्ट, न्यायिक जांच रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मृत्यु के कारणों की अंतिम रिपोर्ट, जेल में प्रवेश के समय की मेडिकल हिस्ट्री एवं चिकित्सा उपचार का विवरण इत्यादि सभी आवश्यक दस्तावेज के साथ जेल विभाग के महानिदेशक को भेजना होगा. वह इसकी सत्यता जानने के बाद सरकार को केस भेजेंगे. गृह विभाग के सचिव, विशेष सचिव नीति के तहत मुआवजा राशि जारी करेंगे.