चंडीगढ़: स्ट्रोक यानि की लकवा ऐसी बीमारी है, जिससे पूरे देश में हर साल 18 लाख से ज्यादा लोग ग्रस्त होते हैं. जिनमें से 8 लाख लोगों की मौत तक हो जाती है. इन मौतों का कारण सही वक्त पर इलाज नहीं करवाना है. वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर चंडीगढ़ पीजीआई में जागरूकता अभियान चलाया गया और लोगों को इस जानलेवा बीमारी के बारे में जानकारी दी गई.
वक्त पर इलाज होने पर ठीक हो सकता है मरीज
चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर धीरज खुराना ने बताया कि लोगों को लकवा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. अगर साढ़े चार घंटों के अंदर मरीज को अस्पताल लेकर आ जाया जाए तो मरीज को ठीक किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि लोग आजकल अपनी बॉडी बनाने के लिए जिन केमिकल युक्त पदार्थों का सेवन कर रहे हैं, उससे लकवा होने की संभावना बढ़ जाती है.
सही डाइट और एक्सरसाइज स्ट्रोक को रख सकते हैं दूर
डॉक्टर ने बताया कि लोग अंधविश्वास में आकर अस्पताल ले जाने के बजाए मरीज को बाबाओं के पास लेकर जाते हैं. ये बिल्कुल मिथ है कि लकवा झाड़ फूंक से ठीक हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए लोगों को सही डाइट के साथ-साथ रोजाना एक्सरसाइज करना भी बेहद जरूरी है. इसके साथ ही लोगों को रेगुलर चेकअप भी कराना चाहिए.
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क्या होता है स्ट्रोक ?
आपको बता दें कि लकवे का मुख्य कारण ब्रेन में ब्लड का सर्कुलेशन न हो पाना है. जिसकी वजह से ब्रेन में क्लोट बन जाता है और उस व्यक्ति को स्ट्रोक हो जाता है. स्ट्रोक का असर दिमाग के छोटे हिस्से पर पड़ता है. जिसकी वजह से वहां की कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं. प्रभावित हिस्से की जगह भले ही छोटी होती है, लेकिन इसका दिमाग पर गहरा असर होता है. स्ट्रोक के कारण चलने फिरने में दिक्कत होती है, पाचन की क्रिया पर असर होता है और दिमाग ठीक से काम करना बंद करने लगता है.