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जानलेवा स्ट्रोक से हर साल भारत में होती हैं 8 लाख मौतें, जानिए कैसे हो सकता है बचाव - ब्रेन स्ट्रोक रिकवरी टाइम

चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर धीरज खुराना ने बताया कि लोगों को लकवा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. अगर साढ़े चार घंटों के अंदर मरीज को अस्पताल लेकर आ जाया जाए तो मरीज को ठीक किया जा सकता है.

जानलेवा स्ट्रोक से हर साल भारत में होती हैं 8 लाख मौतें,
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Published : Nov 13, 2019, 7:33 PM IST

चंडीगढ़: स्ट्रोक यानि की लकवा ऐसी बीमारी है, जिससे पूरे देश में हर साल 18 लाख से ज्यादा लोग ग्रस्त होते हैं. जिनमें से 8 लाख लोगों की मौत तक हो जाती है. इन मौतों का कारण सही वक्त पर इलाज नहीं करवाना है. वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर चंडीगढ़ पीजीआई में जागरूकता अभियान चलाया गया और लोगों को इस जानलेवा बीमारी के बारे में जानकारी दी गई.

वक्त पर इलाज होने पर ठीक हो सकता है मरीज
चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर धीरज खुराना ने बताया कि लोगों को लकवा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. अगर साढ़े चार घंटों के अंदर मरीज को अस्पताल लेकर आ जाया जाए तो मरीज को ठीक किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि लोग आजकल अपनी बॉडी बनाने के लिए जिन केमिकल युक्त पदार्थों का सेवन कर रहे हैं, उससे लकवा होने की संभावना बढ़ जाती है.

स्ट्रोक से बचा कैसे जाए ?

सही डाइट और एक्सरसाइज स्ट्रोक को रख सकते हैं दूर
डॉक्टर ने बताया कि लोग अंधविश्वास में आकर अस्पताल ले जाने के बजाए मरीज को बाबाओं के पास लेकर जाते हैं. ये बिल्कुल मिथ है कि लकवा झाड़ फूंक से ठीक हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए लोगों को सही डाइट के साथ-साथ रोजाना एक्सरसाइज करना भी बेहद जरूरी है. इसके साथ ही लोगों को रेगुलर चेकअप भी कराना चाहिए.

ये भी पढ़िए: दिखने लगा नए ट्रैफिक नियमों का असर, सख्ती ने लोगों को किया जागरूक

क्या होता है स्ट्रोक ?

आपको बता दें कि लकवे का मुख्य कारण ब्रेन में ब्लड का सर्कुलेशन न हो पाना है. जिसकी वजह से ब्रेन में क्लोट बन जाता है और उस व्यक्ति को स्ट्रोक हो जाता है. स्ट्रोक का असर दिमाग के छोटे हिस्से पर पड़ता है. जिसकी वजह से वहां की कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं. प्रभावित हिस्से की जगह भले ही छोटी होती है, लेकिन इसका दिमाग पर गहरा असर होता है. स्ट्रोक के कारण चलने फिरने में दिक्कत होती है, पाचन की क्रिया पर असर होता है और दिमाग ठीक से काम करना बंद करने लगता है.

चंडीगढ़: स्ट्रोक यानि की लकवा ऐसी बीमारी है, जिससे पूरे देश में हर साल 18 लाख से ज्यादा लोग ग्रस्त होते हैं. जिनमें से 8 लाख लोगों की मौत तक हो जाती है. इन मौतों का कारण सही वक्त पर इलाज नहीं करवाना है. वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर चंडीगढ़ पीजीआई में जागरूकता अभियान चलाया गया और लोगों को इस जानलेवा बीमारी के बारे में जानकारी दी गई.

वक्त पर इलाज होने पर ठीक हो सकता है मरीज
चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर धीरज खुराना ने बताया कि लोगों को लकवा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. अगर साढ़े चार घंटों के अंदर मरीज को अस्पताल लेकर आ जाया जाए तो मरीज को ठीक किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि लोग आजकल अपनी बॉडी बनाने के लिए जिन केमिकल युक्त पदार्थों का सेवन कर रहे हैं, उससे लकवा होने की संभावना बढ़ जाती है.

स्ट्रोक से बचा कैसे जाए ?

सही डाइट और एक्सरसाइज स्ट्रोक को रख सकते हैं दूर
डॉक्टर ने बताया कि लोग अंधविश्वास में आकर अस्पताल ले जाने के बजाए मरीज को बाबाओं के पास लेकर जाते हैं. ये बिल्कुल मिथ है कि लकवा झाड़ फूंक से ठीक हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए लोगों को सही डाइट के साथ-साथ रोजाना एक्सरसाइज करना भी बेहद जरूरी है. इसके साथ ही लोगों को रेगुलर चेकअप भी कराना चाहिए.

ये भी पढ़िए: दिखने लगा नए ट्रैफिक नियमों का असर, सख्ती ने लोगों को किया जागरूक

क्या होता है स्ट्रोक ?

आपको बता दें कि लकवे का मुख्य कारण ब्रेन में ब्लड का सर्कुलेशन न हो पाना है. जिसकी वजह से ब्रेन में क्लोट बन जाता है और उस व्यक्ति को स्ट्रोक हो जाता है. स्ट्रोक का असर दिमाग के छोटे हिस्से पर पड़ता है. जिसकी वजह से वहां की कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं. प्रभावित हिस्से की जगह भले ही छोटी होती है, लेकिन इसका दिमाग पर गहरा असर होता है. स्ट्रोक के कारण चलने फिरने में दिक्कत होती है, पाचन की क्रिया पर असर होता है और दिमाग ठीक से काम करना बंद करने लगता है.

Intro:
आने वाले 5 सालों में शायद भारत नॉन कम्युनिकेबल डिसीसिस का कैपिटल बन सकता है... स्ट्रोक की बीमारी लोगों में बढ़ती ही जा रही है। जिसकी भारत में एवरेज एज 55 है जबकि विदेशों में इस की उम्र 65 साल है और यह काफी चिंताजनक बात है...

Body:दरअसल स्ट्रोक यानि की लकवा एक ऐसी बीमारी है जिससे पूरे देशभर में वर्ष में 18 लाख से अधिक लोग ग्रस्त होते हैं। जिसमें से 8 लाख लोगों की मौत भी हो जाती है जिसका कारण है कि वह समय से इसका इलाज नहीं करवा पाते। लकवा जब किसी इंसान को पड़ता है तो उसे पैरालाईज हो जाता है वह चल फिर नहीं पाता। पीजीआई में वर्लड स्ट्रोक डे को लेकर इसी बीमारी के बारे में जागरूक अभियान चलाया जा रहा है.. इसी को लेकर पीजीआई में प्रैस कांफ्रैंस की गई...जिसमें पीजीआई के डाक्टर धीरज खुराना ने इस बीमारी को लेकर जानकारी दी।

डाक्टर धीरज खुराना ने इस बीमारी के कारण बताए और बताया कि कि लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता की कमी है लकवा पड़ते ही अगर साढ़े चार घंटों के भीतर वह व्यक्ति अस्पताल पहुंच जाए तो वह ठीक हो जाता है।

उन्होंने बताया कि आजकल लोग अपनी बॉडी बनाने के लिए कई तरह के पदार्थ का सेवन भी करते हैं जो कि काफी उनकी सेहत के लिए नुकसानदायक है


डॉक्टर ने बताया कि जब भी किसी व्यक्ति को लकवा पड़ता है तो वह अंधविश्वास में डाक्टरों के पास जाने की बजाय झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं...लोगों में यह सबसे बड़ा भ्रम है...

इस बीमारी से बचने के लिए लोगों को सही डाइट के साथ-साथ रोजाना एक्सरसाइज करना बेहद ही जरूरी है। बीपी को कंट्रोल पर भी रखा व रेगुलर चेकअप भी जरूरी है।

आपको बता दें कि इस बीमारी का मुख्य कारण ब्रेन में ब्लड का सर्कुलेशन न होना है जिसके कारण ब्रेन में क्लोट बन जाता है और उस व्यक्ति को स्ट्रोक हो जाता है...

बाइट : डॉ नीरज खुराना, चंडीगढ़ पीजीआईConclusion:
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