चंडीगढ़: हरियाणा-पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में वायु प्रदूषण ना हो इसलिए इस साल दिवाली के मौके पर पटाखों पर बैन लगाया गया था. इस बैन का अब असर भी देखा जा रहा है. इस साल दिवाली के मौके पर पिछले कई सालों की तुलना में वायु प्रदूषण में कमीं देखी जा रही है.
'इस साल दिवाली पर हवा नहीं हुई जहरीली'
चंडीगढ़ प्रशासन के इस सफल कदम पर ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ पर्यावरण विभाग के निदेशक देवेंद्र दलाई से खास बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने जानकारी दी कि पटाखों पर बैन लगाने का प्रशासन का फैसला सफल रहा, क्योंकि दिवाली के मौके पर चंडीगढ़ में होने वाले प्रदूषण में काफी कमी दर्ज की गई. नवंबर के शुरुआती दिनों में आमतौर पर एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर 110 तक रहता है. जो दिवाली पर बढ़ जाता है. अगर पिछले साल की बात की जाए तो पिछले साल दिवाली के दिन चंडीगढ़ का प्रदूषण बढ़कर 341 तक पहुंच गया था, जबकि इस साल प्रदूषण का स्तर 140 तक रहा, जो काफी राहत की बात है.
देवेंद्र दलाई ने कहा कि दिवाली से अगले दिन बारिश होने की वजह से भी प्रदूषण में काफी कमी आई है. दिवाली के दिन एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 140 तक पहुंचने के बाद हमें उम्मीद थी कि अगले दिन एयर क्वालिटी इंडेक्स 120 तक आ जाएगा, लेकिन बारिश के बाद प्रदूषण के कारण नीचे बैठ गए और एयर क्वालिटी इंडेक्स 95 अंकों तक आ गया.
चंडीगढ़ में सफल हुआ बैन- देवेंद्र दलाई
देवेंद्र दलाई ने कहा कि प्रशासन को पटाखों पर बैन लगाने के फैसले के बाद काफी विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन चंडीगढ़ के आम लोगों ने प्रशासन का साथ दिया. चंडीगढ़ के सहयोग का परिणाम सबके सामने है. जो लोग इस बयान का विरोध कर रहे थे वे उनसे यह कहना चाहते हैं कि हमें छोटी-छोटी चीजों को छोड़कर बड़ी बातों पर ध्यान देना चाहिए. शहर के बारे में सोचना चाहिए.
देवेंद्र दलाई का कहना है कि अगर एक बार प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है तो उसे सामान्य स्तर तक आने में चार-पांच दिन का वक्त लगता है. इतने दिन लोग दूषित हवा में सांस लेते हैं जो बहुत से लोगों के लिए जानलेवा साबित भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि पटाखों पर बैन किसी त्योहार को लेकर नहीं लगाया गया है. डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत यह बैन 6 नवंबर से लगा दिया गया था जो अगले आदेशों तक जारी रहेगा. अगले आदेशों तक जितने भी त्यौहार होंगे उन सभी में पटाखे बैन रहेंगे.
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