चंडीगढ़: मोदी सरकार की 20 लाख करोड़ की स्पेशल आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद वित्त मंत्रालय की तरफ से लगातार ब्रिफिंग कर लोगों को पैकेज की जानकारी दी जा रही है. किस क्षेत्र का इस पैकेज में कितना हिस्सा और कब तक किस काम को करने के लिए छूट दी जाएगी. ऐसे में केंद्र सरकार ने अब तक पैकेज में सबसे अच्छी घोषणा क्या की है? और किस मामले में सरकार चूक सकती है? इस बारे में अर्थशास्त्री बिमल अंजुम ने विस्तार से जानकारी दी.
'सरकार के पास योजना का रोडमैप है'
अर्थशास्त्री बिमल अंजुम का कहना है कि पैकेज की सबसे अच्छी बात है. सरकार का इतना दरियादिली दिखाना, जीड़ीपी का 10 प्रतिशत लगा देना, तीन महीने में उपयोग करने का टारगेट लेना, ये कोई छोटा फैसला नहीं है. सरकार ने इस राहत पैकेज की सिर्फ घोषणा नहीं की है. वो एक रोडमैप लेकर चल रहे हैं. अगर सिर्फ घोषणा करना ही होता तो वित्त मंत्री बुधवार को ही इसकी घोषणा कर देते, लेकिन अभी ब्रीफिंग भी तीन-चार दिन की जाएगी. यानी हर सेक्टर के बारे में उनका अपना रोडमैप है.
'सड़क पर मजदूर- सिस्टम, राजनीति जिम्मेदार'
उन्होंने कहा कि जिस देश में 25 प्रतिशत अनाज उत्पादन से लेकर उपभोक्ता तक पहुंचने में बर्बाद हो जाता है, उस देश की जनता भूखी मरे, इससे कुछ ज्यादा दुखदायी नहीं है. इन दिनों मजदूर सड़कों पर हैं, किसी के पैर में जूते नहीं हैं, कोई भूखा है. ये चीजें दुख देती हैं. उसका कारण कहीं ना कहीं हमारे सिस्टम में खोट है. इसका सबसे बड़ा कारण राजनीति और सिस्टम में कमियां होना है. कोई व्यवस्था सही नहीं है. इस वजह से दुर्घटनाएं हो रही हैं, ट्रकों में लोगों को सफर करना पड़ रहा है. इसका हल तभी होगा जब व्यवस्था शिक्षा पर जोर देगी. लोगों को स्किल एजुकेट करेगी.
'लाभार्थी MSMEs का बैक्रग्राउंड भी चेक करना चाहिए'
आर्थशास्त्री बिमल का कहना है कि इस योजना में दो कमियां नजर आ रही हैं. सबसे पहले सरकार को इसमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, जैसा कि सरकार ने कहा कि कोलेस्ट्रॉल सिक्योरिटी सरकार देगी, अच्छी बात है. राहत देनी की कोशिश की गई है, लेकिन सरकार को लाभार्थी के MSMEs का बैक्रग्राउंड भी चेक करना चाहिए. कई ऐसे उद्योग होंगे जिन्होंने पहले की कर्ज लिया है, लेकिन वो अभी तक नहीं दे रहे. सरकार ने वादा किया कि जो पुराने फर्म हैं उन्हें भी राहत देंगी, ऐसी फर्मों को दोबारा खड़ा करने के लिए आर्थिक मदद की जाएगी, लेकिन यहां गड़बड़ी हो सकती है.
जो फर्म बंद हुई, उसके दो कारण हो सकते हैं, नियंत्रण योग्य और अनियंत्रित. अगर फर्म बंद होने के अनियंत्रित वजह थी तो मदद होनी चाहिए, लेकिन फर्म चल सकती थी फिर भी बंद की गई तो सरकार को ऐसी फर्मों को लाभार्थी लिस्ट से बाहर रखना चाहिए. तो ऐसी योजना को लागू करने में बारीकियों का ध्यान रखना चाहिए.
'ईपीएफ लाभार्थियों का वेरिफिकेशन होना चाहिए'
अर्थशास्त्री बिमल का कहना है कि दूसरी कमी ये है कि जो सरकार ने 10 प्रतिशत और 12 प्रतिशत ईपीएफ छूट दी है, उसमें कुछ लोग फ्रॉड कर सकते हैं. जो लाभार्थी हैं, उनका पूरा वेरीफिकेशन होना चाहिए. ऐसा ना हो कि लोग फेक अकाउंट बना कर सरकारी पैसों को लूटें, ये भी ना हो कि बिजनेस मैन पीएफ के पैसे खाए और मजदूर सड़क पर ठोकरे खाएं.
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