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हरियाणा के सरकारी स्कूलों की स्थिति बदहाल, शौचालय न होने से परेशान छात्र, आयोग ने संज्ञान लेने को कहा

हरियाणा के सरकारी स्कूलों (government schools in Haryana) में शौचालयों और पेयजल की व्यवस्था को लेकर कई शिकायतें सामने आई हैं. रिपोर्ट में बदहाल स्थिति को देखकर हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष ने बच्चों से जुड़ी हर समस्या के समाधान को लेकर मामले को संज्ञान में लेने की बात कही.

government schools in Haryana
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Published : Dec 13, 2022, 7:37 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में कुछ सरकारी स्कूलों की स्थिति बदहाल (government schools in Haryana) है. बताया जा रहा है कि इन स्कूलों में टॉयलेट की व्यवस्था न होने से छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. छात्रों ने इसकी शिकायत भी की. मामला बढ़ा और हरियाणा मनाव अध‌िकार कमीशन तक पहुंचा. जिसके बाद हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष व पूर्व न्यायाधीश एसके मित्तल ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की. बताया जा रहा है कि स्कूल में टॉयलेट न होने का मुद्दा आम आदमी पार्टी के प्रभारी राज्यसभा सदस्य डॉ. सुशील कुमार गुप्ता ने उठाया (Lack of toilet in government school Haryana) था.

बता दें कि सोमवार को चंडीगढ़ में मानव अध‌िकार दिवस पर हरियाणा के पूर्व न्यायाधीश के साथ उनके सदस्यों ने एक कार्यक्रम का आयोजन कराया था. कार्यक्रम में हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष से पत्रकारों ने स्कूल में टॉयलेट न होने का सवाल उठाया था.

दरअसल, बीते दिनों हरियाणा में आम आदमी पार्टी के प्रभारी राज्य सभा सदस्य डॉ. सुशील कुमार गुप्ता हरियाणा सरकार को घेरते हुए सवाल किया था कि प्रदेश सरकार लगातार सरकारी स्कूलों को यह कह कर बंद कर रही है कि उन स्कूलों में बच्चों की संख्या बेहद कम है. जबकि उनके द्वारा दी गई रिपोर्ट में उन स्कूलों में इमारती ढांचा और आम सुविधाओं का अभाव है. जिसके चलते हरियाणा सरकार उन सुविधाओं को पूरा करने में असमर्थ है और उन्हें बंद करने का आदेश दे दिया.

पत्रकारों के सवाल पर हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष व पूर्व न्यायाधीश एसके मित्तल ने कहा कि हरियाणा मानव अधिकार आयोग एक सक्षम, जवाबदेह और आधिकारिक संस्था है, जो मानव अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है.

दरअसल, सांसद ने राज्यसभा में हरियाणा के स्कूलों की इस स्थिति पर सवाल किया था. इस सवाल पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें यह स्पष्ट हुआ है कि हरियाणा के स्कूलों में छात्र-छात्राएं शौचालय की समस्या से जूझ रहे हैं. रिपोर्ट में 185 ऐसे स्कूल बताए गए हैं, जहां शौचालय तक नहीं है और 907 स्कूलों में अभी तक लड़के-लड़कियों के लिए अलग शौचालय की बजाय एक श्रेणी के शौचालय हैं. देशभर में शौचालयों को लेकर गंभीर केंद्र सरकार ने स्कूलों में इस तरह के हालात पर कड़ी नाराजगी जताई है.

यह भी पढ़ें-अब प्रशासन नहीं, चंडीगढ़ विभाग से होगी मनरेगा घोटालों की जांच, आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा-पंचायत मंत्री

बता दें कि 2019-2020 से 2021-2022 के दौरान समग्र शिक्षा अभियान के तहत पूरे देश में 53,323 शौचालय बनाए गए हैं, जबकि 1344 की रिपेयर की गई है. इसके बावजूद हरियाणा जैसे सूबे के स्कूलों में इस तरह की दयनीय स्थिति सामने आई है. प्रस्तुत रिपोर्ट में शौचालयों के साथ पेयजल की स्थिति भी स्पष्ट की (lack of drinking water in government school) गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के 2,651 स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए स्वच्छ पेयजल की जगह प्रदूषित पानी मिल रहा है. वहीं हरियाणा के 54 विद्यालयों में पेयजल की सुविधा नहीं है. जिला नूंह के 942 सरकारी स्कूलों में शौचालय और 493 स्कूलों में नल का पानी उपलब्ध नहीं है और 29 स्कूलों में पेयजल की सुविधा ही नहीं है.

मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि आयोग अपने क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए आयोग निरन्तर स्वास्थ्य, भोजन, शिक्षा से संबंधित अधिकारों, अनुसूचित जाति व जनजाति समुदायों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों के संबंध में कार्य करने के साथ-साथ अन्य कमजोर वर्गों जैसे महिलाएं, बच्चे, अशक्त व वृद्ध व्यक्तियों के अधिकारों, मानव अधिकार शिक्षा व प्रशिक्षण और जागरुकता फैला रहा है. वहीं उन्होंने कहा कि बच्चों से जुड़ी हर समस्या के समाधान को लेकर मामले को संज्ञान में लिया जाएगा.

चंडीगढ़: हरियाणा में कुछ सरकारी स्कूलों की स्थिति बदहाल (government schools in Haryana) है. बताया जा रहा है कि इन स्कूलों में टॉयलेट की व्यवस्था न होने से छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. छात्रों ने इसकी शिकायत भी की. मामला बढ़ा और हरियाणा मनाव अध‌िकार कमीशन तक पहुंचा. जिसके बाद हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष व पूर्व न्यायाधीश एसके मित्तल ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की. बताया जा रहा है कि स्कूल में टॉयलेट न होने का मुद्दा आम आदमी पार्टी के प्रभारी राज्यसभा सदस्य डॉ. सुशील कुमार गुप्ता ने उठाया (Lack of toilet in government school Haryana) था.

बता दें कि सोमवार को चंडीगढ़ में मानव अध‌िकार दिवस पर हरियाणा के पूर्व न्यायाधीश के साथ उनके सदस्यों ने एक कार्यक्रम का आयोजन कराया था. कार्यक्रम में हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष से पत्रकारों ने स्कूल में टॉयलेट न होने का सवाल उठाया था.

दरअसल, बीते दिनों हरियाणा में आम आदमी पार्टी के प्रभारी राज्य सभा सदस्य डॉ. सुशील कुमार गुप्ता हरियाणा सरकार को घेरते हुए सवाल किया था कि प्रदेश सरकार लगातार सरकारी स्कूलों को यह कह कर बंद कर रही है कि उन स्कूलों में बच्चों की संख्या बेहद कम है. जबकि उनके द्वारा दी गई रिपोर्ट में उन स्कूलों में इमारती ढांचा और आम सुविधाओं का अभाव है. जिसके चलते हरियाणा सरकार उन सुविधाओं को पूरा करने में असमर्थ है और उन्हें बंद करने का आदेश दे दिया.

पत्रकारों के सवाल पर हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष व पूर्व न्यायाधीश एसके मित्तल ने कहा कि हरियाणा मानव अधिकार आयोग एक सक्षम, जवाबदेह और आधिकारिक संस्था है, जो मानव अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है.

दरअसल, सांसद ने राज्यसभा में हरियाणा के स्कूलों की इस स्थिति पर सवाल किया था. इस सवाल पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें यह स्पष्ट हुआ है कि हरियाणा के स्कूलों में छात्र-छात्राएं शौचालय की समस्या से जूझ रहे हैं. रिपोर्ट में 185 ऐसे स्कूल बताए गए हैं, जहां शौचालय तक नहीं है और 907 स्कूलों में अभी तक लड़के-लड़कियों के लिए अलग शौचालय की बजाय एक श्रेणी के शौचालय हैं. देशभर में शौचालयों को लेकर गंभीर केंद्र सरकार ने स्कूलों में इस तरह के हालात पर कड़ी नाराजगी जताई है.

यह भी पढ़ें-अब प्रशासन नहीं, चंडीगढ़ विभाग से होगी मनरेगा घोटालों की जांच, आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा-पंचायत मंत्री

बता दें कि 2019-2020 से 2021-2022 के दौरान समग्र शिक्षा अभियान के तहत पूरे देश में 53,323 शौचालय बनाए गए हैं, जबकि 1344 की रिपेयर की गई है. इसके बावजूद हरियाणा जैसे सूबे के स्कूलों में इस तरह की दयनीय स्थिति सामने आई है. प्रस्तुत रिपोर्ट में शौचालयों के साथ पेयजल की स्थिति भी स्पष्ट की (lack of drinking water in government school) गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के 2,651 स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए स्वच्छ पेयजल की जगह प्रदूषित पानी मिल रहा है. वहीं हरियाणा के 54 विद्यालयों में पेयजल की सुविधा नहीं है. जिला नूंह के 942 सरकारी स्कूलों में शौचालय और 493 स्कूलों में नल का पानी उपलब्ध नहीं है और 29 स्कूलों में पेयजल की सुविधा ही नहीं है.

मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि आयोग अपने क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए आयोग निरन्तर स्वास्थ्य, भोजन, शिक्षा से संबंधित अधिकारों, अनुसूचित जाति व जनजाति समुदायों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों के संबंध में कार्य करने के साथ-साथ अन्य कमजोर वर्गों जैसे महिलाएं, बच्चे, अशक्त व वृद्ध व्यक्तियों के अधिकारों, मानव अधिकार शिक्षा व प्रशिक्षण और जागरुकता फैला रहा है. वहीं उन्होंने कहा कि बच्चों से जुड़ी हर समस्या के समाधान को लेकर मामले को संज्ञान में लिया जाएगा.

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