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लोकसभा चुनाव 2019: नई सीट से मुश्किल में सियासी सूरमा

लोकसभा चुनाव में मद्देनजर प्रदेश में कई सियासी सूरमा अपनी परंपरागत सीट को छोड़कर तो कई उम्मीदवार अपनी घरेलू जमीन से दूर जाकर चुनाव लड़ रहे हैं.

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Published : Apr 26, 2019, 11:36 AM IST

Updated : Apr 26, 2019, 12:00 PM IST

सियासी 'महाभारत' में नए मोर्चों पर महारथी

चंडीगढ़ः 17वीं लोकसभा के लिए चल रहे चुनाव में हरियाणा में कई दिग्गजों को अपना परंपरागत क्षेत्र छोड़कर दूसरे मैदान में जोर आजमाइश करनी पड़ रही है. अपनी सीट बदलकर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार चाहे जो कुछ भी कहे लेकिन इनके दिलों की धड़कने जरूर तेज होंगी. क्योंकि हरियाणा का सियासी इतिहास किसी दिग्गज को भी चैन की सांस लेने की सहुलियत नहीं देता है. ऐसे में इन सीटों पर जीतना इन धुरंधरों के लिए किसी कड़ी चुनौती से कम नहीं है. जीत के लिए जहां इन प्रत्याशियों के पसीने तो छूटेंगे ही, वहीं चुनाव में जीत से पहले इन प्रत्याशियों को मतदाताओं का भरोसा जीतना होगा. लोकसभा के इस चुनाव में प्रदेश के सियासी हालात कुछ इस कदर बने कि पार्टियों को अपने उम्मीदवारों को नई से लड़ने के लिए मैदान में उतारना पड़ा. एक नजर डालते है ऐसे उम्मीदवारों पर

भूपेंद्र सिंह हुड्डा
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं. जबकि रोहतक लोकसभा सीट भूपेंद्र सिंह हुड्डा का परंपरागत सीट रही है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से 4 बार सांसद रहे हैं.
ऐसे में सोनीपत सीट भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए नई सीट है, लिहाजा उन्होंने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत इस इलाके से अपने पारिवारिक संबंध जोड़ते हुए की.

नवीन जयहिंद
जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी गठबंधन से फरीदाबाद लोकसभा सीट से उम्मीदवार नवीन जयहिंद रोहतक जिले के रहने वाले हैं. नवीन जयहिंद आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष हैं. लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अपनी घरेलू जमीन नहीं मिली.
लेकिन जयहिंद को उम्मीद है कि दिल्ली से सटी होने की वजह से इस सीट पर केजरीवाल का जलवा काम कर सकता है.

दिग्विजय चौटाला
सोनीपत में जननायक जनता पार्टी और आम आमदमी पार्टी गठबंधन के उम्मीदवार जेजेपी नेता दिग्विजय चौटाला सिरसा के रहने वाले हैं. इससे पहले दिग्विजय चौटाला ने जींद में विधानसभा का उपचुनाव लड़ा था. ऐसे में दिग्विजय के लिए सोनीपत का इलाका भी नया है और वहां के मतदाता भी. लेकिन दिग्विजय को इस सीट पर अपने परदादा ताऊ देवीलाल के ‘प्रभाव’ से उम्मीद है.
सन 1980 के लोकसभा चुनाव में देवीलाल सोनीपत से जनता पार्टी (सेक्यूलर) की टिकट पर चुनाव लड़े थे और 54.89 प्रतिशत वोट पाकर अपने प्रतिद्वंद्वी रणधीर सिंह को 1,57,791 वोटों से हराए थे.
शायद यही सोच लेकर दिग्विजय ने इस शहर में लगी ताऊ देवीलाल की मूर्ति के सामने नतमस्तक होकर अपना चुनावी अभियान शुरू किया.

अरविंद शर्मा
पूर्व सांसद अरविंद शर्मा रोहतक लोकसभा सीट से बीजेपी की टिकट पर मैदान में है. लेकिन इससे वे पहले 1996 में सोनीपत और 2004 और 2009 में करनाल सीट से सांसद रहे हैं. बीजेपी में आने के बाद भी अरविंद शर्मा करनाल से ही टिकट के लिए जोर लगा रहे थे. लेकिन बीजेपी ने उन्हें पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ कहे जाने वाले रोहतक से मैदान में उतार दिया है, जो उनके लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं है.

नायब सैनी
प्रदेश की मनोहर सरकार में राज्यमंत्री नायब सैनी अंबाला के नारायणगढ़ हल्के से विधायक हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें कुरूक्षेत्र से रण में उतार दिया है.

निर्मल सिंह
अंबाला के नग्गल से चार बार के विधायक और पूर्व मंत्री रहे निर्मल सिंह को भी कांग्रेस ने इस बार कुरुक्षेत्र से उतारा है. कांग्रेस कुरूक्षेत्र सीट से नवीन जिंदल को चुनाव लड़ाना चाहती थी. लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया. जिसके बाद कांग्रेस ने अंबाला के निर्मल सिंह को कुरूक्षेत्र में कमान सौंप दी.

अर्जुन चौटाला
कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से इनेलो की टिकट पर उतरे अर्जुन चौटाला की भी यही कहानी है. अर्जुन चौटाला रहने वाले तो सिरसा के हैं, लेकिन इनेलो ने उन्हें कुरूक्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है.

चंडीगढ़ः 17वीं लोकसभा के लिए चल रहे चुनाव में हरियाणा में कई दिग्गजों को अपना परंपरागत क्षेत्र छोड़कर दूसरे मैदान में जोर आजमाइश करनी पड़ रही है. अपनी सीट बदलकर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार चाहे जो कुछ भी कहे लेकिन इनके दिलों की धड़कने जरूर तेज होंगी. क्योंकि हरियाणा का सियासी इतिहास किसी दिग्गज को भी चैन की सांस लेने की सहुलियत नहीं देता है. ऐसे में इन सीटों पर जीतना इन धुरंधरों के लिए किसी कड़ी चुनौती से कम नहीं है. जीत के लिए जहां इन प्रत्याशियों के पसीने तो छूटेंगे ही, वहीं चुनाव में जीत से पहले इन प्रत्याशियों को मतदाताओं का भरोसा जीतना होगा. लोकसभा के इस चुनाव में प्रदेश के सियासी हालात कुछ इस कदर बने कि पार्टियों को अपने उम्मीदवारों को नई से लड़ने के लिए मैदान में उतारना पड़ा. एक नजर डालते है ऐसे उम्मीदवारों पर

भूपेंद्र सिंह हुड्डा
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं. जबकि रोहतक लोकसभा सीट भूपेंद्र सिंह हुड्डा का परंपरागत सीट रही है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से 4 बार सांसद रहे हैं.
ऐसे में सोनीपत सीट भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए नई सीट है, लिहाजा उन्होंने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत इस इलाके से अपने पारिवारिक संबंध जोड़ते हुए की.

नवीन जयहिंद
जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी गठबंधन से फरीदाबाद लोकसभा सीट से उम्मीदवार नवीन जयहिंद रोहतक जिले के रहने वाले हैं. नवीन जयहिंद आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष हैं. लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अपनी घरेलू जमीन नहीं मिली.
लेकिन जयहिंद को उम्मीद है कि दिल्ली से सटी होने की वजह से इस सीट पर केजरीवाल का जलवा काम कर सकता है.

दिग्विजय चौटाला
सोनीपत में जननायक जनता पार्टी और आम आमदमी पार्टी गठबंधन के उम्मीदवार जेजेपी नेता दिग्विजय चौटाला सिरसा के रहने वाले हैं. इससे पहले दिग्विजय चौटाला ने जींद में विधानसभा का उपचुनाव लड़ा था. ऐसे में दिग्विजय के लिए सोनीपत का इलाका भी नया है और वहां के मतदाता भी. लेकिन दिग्विजय को इस सीट पर अपने परदादा ताऊ देवीलाल के ‘प्रभाव’ से उम्मीद है.
सन 1980 के लोकसभा चुनाव में देवीलाल सोनीपत से जनता पार्टी (सेक्यूलर) की टिकट पर चुनाव लड़े थे और 54.89 प्रतिशत वोट पाकर अपने प्रतिद्वंद्वी रणधीर सिंह को 1,57,791 वोटों से हराए थे.
शायद यही सोच लेकर दिग्विजय ने इस शहर में लगी ताऊ देवीलाल की मूर्ति के सामने नतमस्तक होकर अपना चुनावी अभियान शुरू किया.

अरविंद शर्मा
पूर्व सांसद अरविंद शर्मा रोहतक लोकसभा सीट से बीजेपी की टिकट पर मैदान में है. लेकिन इससे वे पहले 1996 में सोनीपत और 2004 और 2009 में करनाल सीट से सांसद रहे हैं. बीजेपी में आने के बाद भी अरविंद शर्मा करनाल से ही टिकट के लिए जोर लगा रहे थे. लेकिन बीजेपी ने उन्हें पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ कहे जाने वाले रोहतक से मैदान में उतार दिया है, जो उनके लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं है.

नायब सैनी
प्रदेश की मनोहर सरकार में राज्यमंत्री नायब सैनी अंबाला के नारायणगढ़ हल्के से विधायक हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें कुरूक्षेत्र से रण में उतार दिया है.

निर्मल सिंह
अंबाला के नग्गल से चार बार के विधायक और पूर्व मंत्री रहे निर्मल सिंह को भी कांग्रेस ने इस बार कुरुक्षेत्र से उतारा है. कांग्रेस कुरूक्षेत्र सीट से नवीन जिंदल को चुनाव लड़ाना चाहती थी. लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया. जिसके बाद कांग्रेस ने अंबाला के निर्मल सिंह को कुरूक्षेत्र में कमान सौंप दी.

अर्जुन चौटाला
कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से इनेलो की टिकट पर उतरे अर्जुन चौटाला की भी यही कहानी है. अर्जुन चौटाला रहने वाले तो सिरसा के हैं, लेकिन इनेलो ने उन्हें कुरूक्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है.

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Last Updated : Apr 26, 2019, 12:00 PM IST
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